अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 6 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi
विनया के परांठा बनाते हाथ यथाशीघ्र चल रहे थे और उसकी उत्सुक ऑंखें किचन से बाहर अंजना के कमरे की ओर भी उठ जा रही थी। वो चाहती तो थी कि अंजना के कमरे में जाकर थोड़ी देर उसका इंतजार करने कहे। लेकिन छह महीने का संकोच आड़े आ जा रहा था। अंजना के रूखे … Read more