Moral Stories in Hindi : आज मां का फोन आया फिर बही बात सुनकर कुणाल झल्ला कर बोला क्या मां एक ही बात करती रहती हो यहां आ कर रहना है अब मैं आपको देखूंगा या अपने काम को यहां बड़े शहर मै रहने की आदत है नही आपको कुछ भी होगा तो मुझे ही देखना पड़ेगा इस उम्र मैं आप कैसे सम्हालोगी अनजान शहर मै।
कुणाल की बात सुनकर मां ने ठीक है बेटा के कर फोन रख दिया ।
कुणाल छोटे गांव का रहने वाला था उसके पिता गांव मैं शिक्षक थे कुनाल को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना उनका भी सब माता –पिता की तरह सपना था कुणाल और उसकी बहन की जिम्मेदारी मैं उन्होंने हमेशा अपनी खुशियों को दूर रखा ,बच्चों की खुशी मैं ही उनकी खुशी थी।
पढ़ लिख कर कुणाल की नौकरी बड़े शहर मै लग गई सब लोग बहुत खुश थे ।शहर मै आ कर यहां की चका चौंध मैं कुणाल को अपना घर बेकार लगने लगा धीरे धीरे माता पिता से भी दूर होने लगा अब फोन भी कम ही करता यहां दोस्तों के संग पार्टी घूमना यही सब उसे लगता जिंदगी है ।
बेटी कीर्ति की शादी के बाद और पति के रिटायर होने के बाद कुणाल की मां (सुशीला ) को लगा की अब बेटे के पास जा कर रहना चाहिए इसलिए वो बार बार कुणाल को फोन कर के बोल रही थी कि हमारा आने का इंतजाम कर दे
पर कुणाल को उनका आना और साथ रहना पसंद नही आ रहा था कई दिन टालने के बाद आज उसने बोल ही दिया ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
कुछ दिन बाद कुणाल की तबीयत ज्यादा खराब हो गई मां को पता चला तो दोनों जल्दी ही कुणाल के पास पहुंच गए कुणाल उनको देखकर अचंभित हो गया ।मां बोली चिंता मत कर तेरे ठीक होने के बाद चले जायेंगे
कुणाल को खुद पर शर्मिंदगी हुई।
मां ने जल्दी ही घर सम्हाल लिया आस पड़ोस मैं भी अपने व्यवहार से पहचान बना ली और पिताजी भी बाहर जा कर सामान बगेरह ले आते अब कुणाल को अहसास हुआ की उसे लग रहा था उनकी जिम्मेदारी उसे उठानी पड़ेगी पर इन्होंने तो मेरी जिम्मेदारी उठा ली सच मै माता -पिता बच्चों के लिए सब कर लेते है और हम उन्हें बोझ समझते है ये सोचते हुए उसकी आंखो मैं आंसू आ गए उसने दोनो से माफी मांगी और अपनी गलती पर शर्मिंदा हुआ और बोला आप दोनो अब साथ मैं ही रहेंगे मैं आपको लाचार समझ कर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा था
मां बोली बेटा मां -पिता बूढ़े जरूर हो जाते है पर लाचार नही होते वो अपनी जिम्मेदारी उठा सकते है वो तो बच्चों की खुशी मैं खुद की खुशी ढूंढते है इसलिए साथ रहना चाहते है ।
कुणाल गले लगते हुए बोला हां मां मैं ही देर मैं समझ पाया।।
स्वरचित
अंजना ठाकुर
#शर्मिंदा