एक बार फिर (भाग 38 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

शेखर और प्रिया की कोर्ट मैरिज के बाद अगली सुबह  दादी कहती हैं कि प्रिया और शेखर की शादी पूरे रीति-रिवाज के साथ की जाएगी बाकी रस्में भी परंपरागत ढंग से होंगी तब तक प्रिया को मायके भेज दिया जाए। दूसरी तरफ शेखर के पापा शेखर को साढ़े दस बजे ऑफिस पहुंचने को कहते हैं जिससे शेखर नाराज हो जाता है। अब आगे-

वो तेजी से स्टेयर्स चढ़ने लगा।

प्रिया भी उसके पीछे पीछे ऊपर आ गई।

सुनिए! प्रिया ने मीठी आवाज में कहा, शेखर रूम में आया और दरवाजा जोर से बंद कर‌ दिया।

उसने अलमारी खोली ब्लैक कलर का ब्लेजर निकाला पहन कर मिरर में बाल संवारने लगा।

प्रिया उसके पीछे खड़े हो कर उसे देख रही थी।

मुझसे नाराज़ हैं??? शेखर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और नजरें फेर ली।

मेरी नाराज़गी से तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?? तुम तो बहुत खुश हो??

वो आकर उसके सामने खड़ी हो गई।

प्लीज गुस्सा ना करें शेखर! उसकी आवाज में मिठास और आंखों में गुजारिश थी।

शेखर ध्यान से उसे देखता रहा फिर उसने उसे बाहों में ले लिया।

मैंने जल्दी शादी क्यों की  ताकि तुम मायके जा कर बैठ जाओ??? उसकी आवाज में नाराजगी थी।

तो दादी और मम्मी को मना कर दूं?? वो बड़े हैं उनका कहा कैसे टाल सकती हूं?

हां, तो ठीक है पति का कहना मत मानना शेखर ने उसे घूरते हुए कहा।

शेखर! मैं समझ रही हूं प्रिया ने धीरे से उसके गालों को सहलाया ।

ऊंहुं, तुम कुछ नहीं समझती उसने मुंह फुला लिया।

पापा को देखो आज भी मीटिंग में बुला लिया।

आज क्या बदल गया है ऑफिस तो आप रोज जाते हैं??? प्रिया उसकी आंखों में देखते हुए मुस्कुरा दी।

तुम्हें नहीं पता क्या बदल गया है?? लगता है तुम्हें समझाना पड़ेगा। शेखर ने उसे कमर से करीब कर अपने सीने से लगा लिया। 

‌प्रिया ने एक हाथ से उसे पीछे किया और बेड पर पड़े हुए कपड़े समेटने लगी।

मुझे इग्नोर कर रही हो मिसेज बाधवा!

मेरी ऐसी जुर्रत ‌कि मैं आपको अनदेखा करूं??? 

तो फिर आ जाओ।  शेखर ने अपना ब्लेजर उतार कर बेड पर फेंका और बाहें फैला दी, प्रिया शरमा कर पीछे हट गई।

शेखर टाइम देख रहे हैं साढ़े नौ बजे चुके हैं साढ़े दस तक पापा ने ऑफिस पहुंचने को कहा है।

चला जाऊंगा पर पहले अपने मन की कर लूं??? जल्दी आ जाओ।

बेशर्म! प्रिया ने अपने आप से कहा और उसके करीब आ कर उसकी बाहों में सिमट गई। आंखों में ढेर सारा प्यार लिए उसके गाल पर किस करते हुए बोली, शेखर! मैं आपका इंतजार करूंगी।

पर मैं इंतजार नहीं कर सकता “माई ब्यूटीफुल वाइफ”

मम्मी और दादी दोनों की साज़िश देखो तुम्हें मायके भेज रहे हैं।

मैं तो अकेला हो जाऊंगा।

” आई लव यू सो मच डार्लिंग”  शेखर उसे अपने सीने भींचते हुए उसके चेहरे पर झुका और उसके होंठों पर होंठ रख दिए।

इतने में डोर पर नॉक हुआ, शेखर कुछ कहने वाला था कि प्रिया ने उसके मुंह पर हाथ रखा, उसकी गिरफ्त से आजाद होते हुए आगे बढ़ कर डोर खोल दिया।

बाहर रंजन खड़ा था।

गुड मार्निंग मैम! सर को बड़े सर बुला रहे हैं।

प्रिया ने मुड़ कर शेखर की तरफ देखा, सर को कहो, मैं आ रहा हूं साथ चलते हैं।

तुम्हें तो मैं शाम देख लूंगा कब तक बचोगी??? बड़ी अदा से उसने प्रिया के माथे को चूमा और मुंह बनाते हुए चला गया।

उसके जाने के बाद प्रिया कवर्ड खोल कर अपने लिए जगह बनाने लगी फिर अचानक से उसे ध्यान आया कि उसे तो मायके जाना है तो उसने सामान सैट करने का विचार छोड़ कर कवर्ड को बंद कर दिया।

शेखर का ख्याल उसके दिमाग में ख्वाबों का सतरंगी इंद्रधनुष बुन रहा था, वो सोच में ही मुस्करा दी।

तभी मोबाइल की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।

मम्मी का कॉल था।

प्रिया! बेटे नीचे आ जाओ दीदी और कविता आई हैं।

जी मम्मी

नीचे आई तो कविता और मासी जी नीचे बैठी हुई थीं।

उसने मासी के पैर छुए तो उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कविता की आंखों में खुशी झलक रही थी।

अलबत्ता वो कल भी आई थी पर कल मिलने जुलने वालों के चलते उससे बात नहीं हो पाई थी।

वो सब बातें करने लगे,कविता उसे ध्यान से देख रही थी।

वो प्रिया से चुहलबाज़ी करना चाहती थी पर मौका ही नहीं मिल रहा था।

तभी शेखर की मम्मी बोली उठीं हम दोनों बहनों की बातें तो चलती रहेंगी तुम दोनों भी आपस में बातें कर लो।

कविता को तो जैसे सांस में सांस आ गई। उसने झटपट  प्रिया का हाथ पकड़ा और लगभग खींचते हुए ऊपर उसके रूम में ले ग‌ई।

अब बता कैसी है तू ??? कविता ने मुस्कराते हुए पूछा।

मैं ठीक हूं।

कल रात कैसी बीती???? मुंह दिखाई में क्या मिला???

प्रिया ने चुप्पी साध ली। तुम्हारी यही आदत मुझे पसंद नहीं है, कविता ने चिढ़ कर उसकी तरफ देखा।

प्रिया ने उसका चेहरा देखा फिर मजबूरी में कहा,उन्होंने कहा मुंह दिखाई में मैं तुम्हें खुद को दे रहा हूं।

ये सुन कर कविता ठहाका मारकर हंस पड़ी।

क्याआआआआ???  दोबारा से बोलो।

पागल हुई हो क्या जो इतनी ज़ोर जोर से हंस रही हो??? कोई सुन लेगा।

मंदबुद्धि!

मतलब तूने ये सुन कर खुद को उसके हवाले कर दिया वो दोबारा से हंसने लगी।

वो राजशेखर बाधवा है टॉप क्लास बिजनेस मैन और उसकी बीवी एक नंबर की नासमझ वो खी खी कर के हंस पड़ी।

अरे! भाव गिरा दिए खुद के

तो पति-पत्नी के रिश्ते में सौदेबाजी करनी थी ????

उसने तो सौदेबाजी की, कविता उसे जलाने के लिए जानबूझकर कर बोली।

तुम तो चुप ही रहो अब मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊंगी।

नहीं मैं तो पूरा सुन कर जाऊंगी।

जैसी भाभी वैसे तुम्हारे देवर भी हैं दोनों निहायती बेशर्म हो सारे एटिकेट्स बेच कर खा लिए हैं।

प्रिया ने उसे घूरते हुए कहा।

अब इससे ज्यादा कुछ नहीं बताऊंगी तुमने मेरा बहुत मजाक बना लिया है।

अब तो तुम्हारी हर रात ऐसी ही होगी वो तुम्हें बुद्धू बनाएगा और तुम आसानी से बन जाओगी वो हंसते हुए बोली।

और हां मेरे गिफ्ट (परफ्यूम) को जाया मत करना यूज कर लेना।

पर मैं बहुत खुश हूं अचानक से कविता संजीदा हो गई।

मासी और मौसा जी का एक ही बेटा है तू रिश्तों को अच्छे से निभाना खुद भी खुश रहना और सबको खुश रखना।

ओके दादी अम्मा प्रिया ने हंसते हुए कविता के आगे सिर झुका दिया।

लंच के बाद प्रिया अपने रूम में चली आई। करीब तीन बजे  उसका फोन बजा देखा तो शेखर ही था।

हैलो!

मेरी जान! क्या कर रही हो???  कुछ नहीं

प्रिया ने धीरे से कहा

मैं तो सोच रहा हूं कि कब शाम हो और कब तुमसे मिलना हो???

“आई लव यू” उसने फोन पर ही उसे किस किया।

“आई बैट” तुम शरमा रही हो।

मैं भी आपका इंतजार कर रही हूं बमुश्किल उसके गले से शब्द निकले।

ठीक है जल्दी आ जाऊंगा।

करीब सात बजे शेखर और पापा जी घर पहुंचे।

मम्मी दादी और प्रिया तीनों नीचे हाल में बैठे हुए थे।

शेखर आया और दादी के पास बैठ गया बैठा क्या चिपक ही गया,

मगर उसकी नजरें प्रिया को ही देख रही थी।

दादी आपने मुझे मिस किया??? ये सवाल अप्रत्यक्ष रूप से प्रिया से था।

“तुझे मिस करे मेरी जूती” दादी ने पलट कर उसका गाल नोच दिया।

दादीईईईई ये क्या कर रही हो???  मेरे हैंडसम चेहरे पर कहीं दाग पड़ गया तो तुम्हारी खूबसूरत बहू मुझे छोड़ कर भाग जाएगी।

बस आते ही सबको परेशान करना शुरू मम्मी प्यार से उसे देखते हुए मुस्कुराईं।

कैसी रही आपकी मीटिंग वो बिग बाधवा की तरफ मुखातिब हुईं।

बहुत ही उम्दा जैसे सोचा था वहीं हुआ।

शेखर जाओ तुम भी चेंज करो मैं भी फ्रैश होता हूं फिर आराम से बैठेंगे। तुम्हारी जिम्मेदारी बढ़ने वाली है। ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है, कंस्ट्रक्शन के कारोबार में पहली बार कदम रखा है अब इसे सफल तुम बनाओगे।

जी डैड!

उसने अपना ब्लेजर उतार कर प्रिया को पकड़ा दिया। 

अपने रूम में एंटर करते ही बेड पर पसर गया।

प्रिया ब्लेजर को हैंगर में लगा रही थी वो ध्यान से उसे देखने लगा।

जितना ध्यान ब्लेजर पर दे रही हो उसका वन फोर्थ मुझ पर भी दे सकती हो।

प्रिया चुपचाप उसके कपड़े निकाल रही थी।

अचानक वो उठा उसने ‌प्रिया को गोद में उठा कर बेड पर डाल दिया और उसके हाथों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया।

मिसेज बाधवा आपके पतिदेव थक कर आए हैं और आपको परवाह नहीं है क्यों????

प्रिया कसमसाई, छोड़िए  ‌फ्रैश हो कर नीचे चलते हैं डिनर पर सब साथ बैठेंगे नहीं तो सब क्या सोचेंगे???

सबकी चिंता है पर मेरी नहीं

ऐसे नहीं चलेगा मिसेज बाधवा आप नाफरमानी नहीं कर सकती उसने झुक कर प्रिया के होंठ चूम लिए।

शेखर! अच्छा फ्रैश हो जाइए फिर जैसा आप कहें उसने मुस्कुरा कर कहा।

ठीक है मैं अभी आ रहा हूं खबरदार! जो इस रूम से बाहर कदम रखा तो।

शेखर उसे छोड़ कर बाथरूम की तरफ बढ़ गया।

वो बाहर आया तो प्रिया वहां नहीं थी क्योंकि वह नीचे पहुंच चुकी थी।

उसने भी नीचे आकर डाइनिंग टेबल पर सबको ज्वाइन कर लिया।

डिनर के बाद सब बातें करने लगे। शेखर शादी के सब इंतजाम मैं देख रही हूं, तुम क्या कर रहे हो ????

मॉम सब कुछ बुक हो चुका है।

रिलेटिव्स के लिए गिफ्ट्स सोच रहे हैं। मेरे बेटे की शादी है तो कुछ अलग होना ही चाहिए।

प्रिया तुम भी कुछ कहो।

जी मम्मी मैं…….

हां बोलो, निभा और उसकी फैमली के लिए क्या लेना है??

मम्मी दी और जीजा जी कुछ नहीं लेंगे।

कैसे नहीं लेंगे??? मेरे लिए जैसी तुम हो वैसी वो है।

और मां का दिया हुआ गिफ्ट कोई बेटी मना नहीं करेगी।

प्रिया संकोच और लज्जा से इकहरी हो गई।

शेखर उसे देख रहा था उसने सबकी नजर बचाकर उसके हाथ को धीरे से दबाया और आंखों से इशारा किया।

” डोंट वरी मैं हूं” तुम फ्रिक मत करो।

तभी प्रिया का फोन वाइब्रेट होने लगा शेखर की निगाह उस पर पड़ी तुम्हारा फोन आ रहा है।

देखा तो कोई अननोन नंबर था।

क्रमशः

©® रचना कंडवाल

एक बार फिर (भाग 37 )

12 thoughts on “एक बार फिर (भाग 38 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi”

  1. इस बार उम्मीद नही रखी थी कि आगे की कहानी आएगी पर आपने तो दीवाली का तोहफा दे दिया😍🥰
    प्रिया और शेखर का रोमैंस और नोक झोंक बहुत अच्छा लगा।।।।

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