अंतर्मन की लक्ष्मी ( अंतिम भाग ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“टिंग, टोंग”, बातें करते करते विनया की ऑंख लगी ही थी कि मुख्य द्वार की घंटी किसी के आगमन की सूचना देने हेतु मुखर हो उठी। विनया हड़बड़ा कर उठ बैठी, “ओह हो, चाय का समय हो गया और मेरी ऑंख लग गई। दरवाजे पर कौन है।” घंटी की आवाज पर संपदा को उठकर दौड़ते … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 44) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

जब हैप्पी बर्थडे के शोर ने घर को आवृत्त किया, विनया मनीष के बगल में आकर शर्मीली सी मुस्कान लिए हुए उस विशेष क्षण की ओर देख रही थी। शर्मीली मुस्कान के साथ उसकी आँखों में चमक थी, जो बता रही थी कि यह छोटा सा क्षण उसके लिए कितना महत्वपूर्ण था। संपदा विनया की … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 43) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“तुम दोनों, सौरभ बेटा तुम” मनीष के साथ बैठक में छोटी बल्ब की हल्की रोशनी में दीपिका और सौरभ को देखकर अंजना आश्चर्यचकित होकर कहती है। “शी.. शी..आंटी जी, आपकी बहू की नींद बहुत पतली सी है। कल उनका जन्मदिन है और अब मेरे पतिदेव और उनके पतिदेव के बीच दोस्ती हो गई है तो … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 42) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“ओह तुम तो डर ही गई। ऐसा क्या है इस डायरी में।” विनया के गोरा मुखड़े को पूर्णतः सफेद होते देख मनीष कहता है। नहीं कुछ नहीं, विनया के डायरी छीनने के प्रयास में डायरी मनीष के हाथ से छूट कर फिर से नीचे गिर गई। जब टीके विनया नीचे झुकती, मनीष झुक कर गिरने … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 41) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

पति को रसोई के दरवाजे पर देख अंजना का ट्रे पकड़े अंजना का हाथ कांप गया था और दिल की धड़कन बेशक बढ़ गई लेकिन चेहरे पर शून्य का भाव पसर गया। जिसे अंजना के पति ने भी महसूस किया। “तुम अपनी चाय भी ले आना।” कातर दृष्टि से अंजना की ओर देखकर उसके पति … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 40) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

मनीष कोयल की ओर मुड़ते हुए विनया को दिल से चाहने के अहसास का अनुभव कर रहा था, परंतु अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में संकोच कर रहा था। उसकी नजरें विनया पर होने के बावजूद, वह अपनी भाभी की ओर उन्मुख होता हुआ कोयल की ओर बढ़ रहा था। इसी बीच, विनया तेजी से … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

अचानक कमरे की लाइट ऑन हुई और ऑंखों पर पड़े इस प्रकाश ने विनया की ऑंखें बंद कर दी और वो चीख कर डगमगा गई, डगमगाते ही उसने खुद को बलिष्ठ हाथों में पाया। “तुम डरती भी हो, मुझे तो लगा था केवल डराती हो।” मनीष विनया को बाॉंहों में लिए उसकी कजरारी नैनों में … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 38) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“भैया, टिकट तो आप आज देख रहे थे। फिर ये दोनों”…संपदा मिन्नी, विन्नी के अंजना के पास जाने के बाद मनीष से धीरे से पूछती है। “ये तो परसों ही करा दिया था मेरी बहन, मिन्नी, विन्नी इसी शर्त पर आई हैं कि दो दिन से ज्यादा नहीं ठहरेंगी तो लौटने की टिकट देख रहा … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 37) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“बेटा, विनया को अकेले खाने की आदत नहीं है। वो अकेली नाश्ता तो नहीं करेगी। क्यों ना हम डॉक्टर से मिल कर घर ही आ जाएं।” गाड़ी के आगे बढ़ते ही अंजना पीछे छूटते जा रहे पेड़ पौधों को देखती हुई कहती है। “ओह हो माँ, कितना सोचती हो। भैया ने उसकी भी व्यवस्था कर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 36) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

सुबह की बेला जब सूर्योदय के साथ हवा में ठंडक भरी होती है, जिसके साथ जुड़ कर हृदय भी ताजगी व मिठास से भरा सुगंध लिए नए दिन का स्वागत करता है। रात का अंधेरा दबे पाॅंव विलीन होता नई उम्मीदों का किरण बिखेरता है, उस समय शोर और शंका के बजाय  शांति का अनुभव … Read more

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