अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 35) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“मम्मी, कैसा लग रहा है आपको। हाउ आर यू फीलिंग दिनभर।” रात के खाने के बाद मुठ्ठी को माइक की तरह बनाती हुई संपदा नाटकीय अंदाज में कहती है। “फीलिंग बेटर माई डियर।” झिझकती हुई संपदा के अंदाज में ही अंजना जवाब देने की कोशिश करती है। “मम्मी बेटी की गुफ्तगू चल रही है, मुझे … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 34) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“समधन जी का स्वास्थ्य अब कैसा है बेटा।” विनया के मम्मी पापा घर में प्रवेश करते हुए पूछते हैं और उनके पीछे पीछे ड्राइवर के साथ उनका बेटा बहू कई पैकेट्स हाथ में लिए आते हैं। “आंटी, ये सब क्या है?” संध्या का चरण स्पर्श करता हुआ मनीष पूछता है। “लंच का समय हो रहा … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 33) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“आप कमरे में चलिए पापा, मैं कुछ व्यवस्था करता हूॅं।” मनीष अपने पापा से कहता है। “बेटा, पहले अपनी माॅं को डॉक्टर से दिखा ला, उसके बिना ये घर नहीं चल सकेगा।” मनीष के पापा बहुत ही धीमे और क्षीण स्वर में कुछ इस तरह कहते हैं जैसे यदि किसी और ने सुन लिया तो … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 32) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हे भगवान! कैसी अतरंगी लड़की है। एक हमारी कोयल है, सारे काम नफासत से संभाल लेती है।” बुआ का विनया का कोसना शुरू हो गया और अनजाने में ही कोयल की प्रशंसा में भी कुछ शब्द उनके मुंह ने बरसा दिए। “हें!” कोयल को अपनी सास द्वारा प्रशंसा मिली, लेकिन उसने यह स्वीकारने में कठिनाई … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 31) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“माॅं, मामा जी के आगमन की बेला हो रही है और आप अभी तक सोई हैं।” सूरज की किरणों से प्रतिस्पर्धा लगाती विनया किरणों को मात देकर बालकनी में उसके स्वागत के लिए काफी देर से खड़ी थी, तभी उसे अहसास हुआ कि अंजना जो अब तक किचन में माना जी के नाश्ते को लेकर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 30) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“रातों रात ऐसा क्या कर दिया भाभी आपने कि भैया के सुर बदले बदले हैं, जो भैया बुआ को किसी से बांटना नहीं चाहते थे, संभव भैया से भी नहीं। संभव भैया तो इस बात से काफी दिन नाराज भी रहे थे और आज मेरे भैया पर इस जादू की पुड़िया ने ऐसा क्या जादू … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 29) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“वो माॅं, पूछ रही हैं कि कुछ चाहिए था क्या आपको।” मनीष के पीछे पीछे कमरे में प्रवेश करती विनया पूछती है। “तुम्हें एक बार बता तो देती कि तुम मम्मी के कमरे में हो।तुम्हारी प्रतीक्षा में यही सोफे पर सिर टिकाए सो गया था मैं। अब गर्दन भी अकड़ गई है।” मनीष बिना मुड़े … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 28) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“ये तुम क्या कह रही हो बेटा, ये सही नहीं है। घर के सारे लोग परेशान हो जाएंगे बेटा फिर कोयल और संभव भी यही हैं। अच्छा नहीं लगेगा ये सब।” विनया की बात सुनते ही लेटी हुई अंजना उठ कर बैठ गई। “इसमें बुराई क्या है माॅं। हम सब तो होंगे ही यहाॅं, कोई … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 27) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हह..हह..हह”…. विनया को अंजना के गले लगते देख और अंजना को उसकी पीठ सहलाते देख बड़ी बुआ के मुॅंह में धरा निवाला गले में जाकर अटक गया था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अभी अंजना विनया को खुद से अलग करके रसोई की ओर बढ़ जाएगी। लेकिन ये क्या अंजना तो उसे और जोर से … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 26) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

एक और अलसाई सुबह, अंगराई लेती हुई विनया मोबाइल में समय देखकर ऑंख मिचमिचा कर खोलने के बदले फिर से बंद कर लेती है। बिस्तर छोड़ने की उसकी इच्छा नहीं हो रही थी। दिल दिमाग बोझिल सा हो रहा था, आजकल उसकी रातें घर के हालातों को सोचती गुजर जाती हैं और जब तक दिमाग … Read more

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