Moral Stories in Hindi : हैप्पी बर्थडे मां… आप अपनी आंखें बंद करो… हां अब खोलो, अब इन मोमबत्तियां को बुझा कर जल्दी से केक काटो… वरुण ने अपनी मां कविता को सरप्राइज देते हुए कहा
यह सब क्या है बेटा..? इतने सालों में तो तूने कभी मेरा जन्मदिन ऐसे नहीं मनाया, फिर आज क्या हो गया..? कविता ने चौंकते हुए कहा
वरुण: ओ हो मां… मेरा पूरा वीडियो ही खराब कर दिया आपने… अरे यह मेरे ब्लॉग का कंटेंट था… जिसे आपने बिगाड़ दिया, आपको दिक्कत क्या है कोई सरप्राइज दे रहा है तो ले लीजिए ना..? इतना ओवर एक्टिंग करने की क्या जरूरत है..?
कविता: माफ कर देना बेटा… मुझे लगा शायद मेरा बेटा सच में मेरा जन्मदिन मना रहा है, इसलिए… ठीक है तू बता दे कि मुझे क्या बोलना है..? मैं वही बोल दूंगी… तू फिर से बना ले अपना वीडियो
वरुण: अब क्या बनांऊ वीडियो…? सारा मूड तो खराब कर दिया आपने.. आप तो मुझे बड़ी तमीज सिखाती रहती है.. खुद को फिर तमीज क्यों नहीं सिखाती..? कि अगर कोई आपको सरप्राइज दे रहा है तो उससे सवाल नहीं करते, बल्कि थैंक यू बोलते हैं… छोड़ो आपसे कुछ कहना ही बेकार है… मेरी ही गलती है, बड़ा चला था आपका बर्थडे का वीडियो बनाने
वरुण वहां से चला गया… कविता के जन्मदिन के ठीक 1 महीने बाद ही वरुण का भी जन्मदिन आता है और आज वरुण का जन्मदिन था… सुबह उठकर कविता नहा धोकर मंदिर गई, घर आकर उसने सबसे पहले वरुण के लिए नाश्ते में उसका मनपसंद खाना खीर पूरी बनाई और फिर गई वरुण को जगाने
कविता: बेटा, उठो… जन्मदिन मुबारक हो… जल्दी से नहा लो, तिलक कर देती हूं, फिर तुम्हारा पसंदीदा खाना है नाश्ते में
वरुण उठकर तैयार होकर बाहर आता है… कविता उसे तिलक करने आती है तो वह कहता है.. प्लीज मां… अभी मैंने अपने फेस पर सीरम लगाया है, तो यह सब लगाकर आप मेरा चेहरा बिगड़ो मत… मुझे अपने दोस्तों के साथ आज का वीडियो बनाना है… मैं अभी चलता हूं… शायद मुझे आने में देर हो जाएगी तो, आप मेरा इंतजार मत करना
कविता: पर बेटा, मैं तुम्हारे लिए ही तो खीर पूरी बनाई है… उसका क्या होगा..?
वरुण: आप और पापा खा लेना और क्या..?
कविता: बेटा, तेरे पापा को तो शुगर है… भूल गया क्या..? और मैं तेरे लिए इतने प्यार से सब कुछ बनाया है… थोड़ा सा तो खा ले
वरुण: क्या मां..? जब देखो तब मेलोड्रामा… मां, अब मैं बच्चा नहीं रहा.. जो सुबह उठकर मुझे तिलक लगाकर खीर पूरी खिला दिया और मैं पूरे दिन बस इसी को सोच कर खुश होता रहूंगा.. अब मैं बड़ा हो गया हूं, मुझे अपनी लाइफ मेरी मर्जी से जीनी है… यह कहकर वरुण चला गया
अगले दिन वरुण को कविता ने ना नाश्ता पूछा ना ही उससे कोई बात ही की… इधर वह अपने कमरे में बैठा कविता को कॉफी के लिए आवाज दिए जा रहा था… उधर कविता सब कुछ सुनकर भी खामोश थी… इस पर वरुण खुद ही रसोई में आकर कविता से कहता है… मां क्या बात है..? कब से मैं कॉफी मांग रहा हूं आपसे… आपको सुनाई नहीं दे रहा है क्या..?
कविता: अबसे जो भी तुझे चाहिए होगा, तु मुझे व्हाट्सएप पर बताएगा, क्योंकि तू एक यूट्यूबर है, तू हर कुछ अपने कंटेंट के लिए करता है ना… तो मैं भी तो एक यूट्यूबर की मां हूं, तो मुझे भी फोन की भाषा सीखनी होगी ना…?
वरुण: अरे वाह, यह तो अच्छा ही हो गया… आज बहुत दिनों बाद पते की बात की है आपने… अब तो कमरे में बैठे-बैठे ही मेरा सारा काम हो जाएगा… बेकार में आपकी किच किच सुननी नहीं पड़ेगी…
फिर वरुण चला गया, अब वह शुरू करता है अपना हर एक काम व्हाट्सएप पर भेजना… कविता को कभी वह लिखकर भेजता और कभी वह वॉइस बनाकर भेजता… उसे हर छोटे बड़े काम को व्हाट्सएप पर भेजना होता.. वह धीरे-धीरे इससे चिढ़ने लगा और एक दिन वह चिढ़कर अपनी मां से कहता है.. मां, मुझे नहीं करना व्हाट्सएप… थक गया मैं हर एक बात टाइप करके.. मुझे भूख लगी है, कुछ दे दो अभी तुरंत…
कविता: ओ बिगाड़ दिया ना मेरा काम तूने….तूने व्हाट्सएप्प नहीं किया तो मुझे लगा तुझे भूख नहीं है… इसलिए मैंने तेरे लिए कुछ बनाया ही नहीं… तेरे पापा तो लंच लेकर ही चले गए… अब खाना कहां से लांऊ..? देख बेटा, तेरी हर बात तुझे व्हाट्सएप करनी ही पड़ेगी क्योंकि अब मुझे इसकी आदत हो गई है, इसके बिना तो मुझे कुछ भी याद नहीं रहता…
वरुण सर पर हाथ रख कर बैठ जाता है और सोचता है, सच में यह फोन ने सब कुछ कितना गड़बड़ कर दिया है, जो मां कभी मुझे बिना खिलाए चैन से नहीं बैठती थी, आज उसे मेरे भूख की बिल्कुल भी परवाह नहीं
वरुण ऐसे ही बैठा था तभी कविता उसे खाना लाकर देती है और कहती है, यह ले खा ले… अब समझ आया जब कोई अपना ऐसे पेश आता है तो कैसा लगता है..? बेटा, यह फोन, यह ब्लॉग,यह वीडियो, यह सब इंसानों ने ही बनाया है… पर रिश्ते भगवान ने बनाया है, तो उसका दर्जा हमेशा ऊपर ही रहेगा… बेटा, रिश्ता दिल से निभाया जाता है, दिखावे के लिए तो कई सारी चीजे हैं, पर आजकल के बच्चे बस सोशल मीडिया में ही घुस गए हैं… उसे ही अपना परिवार बना लिया और उसी से हर रिश्तेदारी निभा रहे हैं… याद रखना बेटा, जब खुद को अकेला पाओगे या किसी तकलीफ से गुजारोगे तो सोशल मीडिया पर आए लाइक और कमेंट तुम्हें सहानुभूति नहीं देंगे… तब इन असली रिश्तों की ही जरूरत पड़ेगी, जैसे आज पड़ी
वरुण: मुझे माफ कर दो मां… मैं अपने हरकतों से आज बहुत शर्मिंदा हूं और आज मैं आपसे यह वादा भी करता हूं कि अब से मैं अपने ऑफलाइन परिवार को ऑनलाइन परिवार से ज्यादा अहमियत दूंगा..
वरुण के इस बात से कविता अपनी हंसी नहीं रोक पाती और वह आज बहुत खुश थी कि उसने कितनी आसान तरीके से अपने बेटे को ऑफलाइन और ऑनलाइन परिवार के बीच का फर्क समझा दिया…
धन्यवाद
रोनिता कुंडु
#शर्मिंदा