सास से माँ तक के सफर में गजरों का योगदान !! – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

 देखिए पापा…. मम्मी कैसे बेला के फूलों के क्यारियों के बीच बैठ कर मुस्कुरा रही हैं…. जैसे किसी पुरानी यादों में खोई हो….! रिमझिम ने मुकुल जी से कहा …। मुकुल जी भी पत्नी नैना को यादों में खोए और फूलों को प्यार से सहलाते हुए देखकर मजाकिये लहजे में पूछा…. अरे नैना जी …किसकी … Read more

दुखवा मैं कासे कहूं – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो सिद्धांत….?? क्या बात है समीक्षा…. फिर तुम कहीं वही घिसे पीटे राग तो नहीं अलाप रही हो ना …..मम्मी जी ये …मम्मी जी वो ….. तो मैं  साफ साफ बता दूं …इस मामले में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता ….तुम्हें खुद सामने आकर अपनी समस्याओं को … Read more

माँ तो माँ ही होती है बेटा या बेटी की नहीं – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

 शादी की शॉपिंग हो गई दीदी….. वर्तिका (देवरानी) ने अहिल्या (जेठानी) से पूछा…..! पहले तो ये बताइए आपने अपने लिए कैसी साड़ी ली है….?? लड़के की शादी है इस बार तो हमें भी आपके तरफ से महंगी और सुंदर साड़ी चाहिए …..बहू के घर से आएगी… वो अलग…. पूरे हक और अपनेपन से वर्तिका ने … Read more

मुहँ ना खुलवाओ – संध्या त्रिपाठी  : Moral stories in hindi

     नमस्ते आंटी….. पौधों में पानी डाल रही है…..?? हां बेटा पर तुम कब आई ससुराल से गिन्नी…..?? तुम्हारी मम्मी ने बताया नहीं कि तुम आने वाली हो…. आओ अंदर बैठते हैं…! पाइप पौधों के बीच में रखते हुए आभा ने कहा….! हां आंटी वो अचानक ही प्रोग्राम बन गया…तो बस आ गई….।      गिन्नी आभा के … Read more

रॉन्ग नंबर – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

    अरे ये काम के बीच में किसका फोन आ गया….?? अभी सवेरे सवेरे किसको इतनी फुर्सत भी होती है जो टाइम बेटाइम फोन करते रहते हैं…! अननोन नंबर का कॉल देखकर कावेरी को लगा …कमल ने फिर कुछ ऑनलाइन मंगाया होगा.. वे लोग ही डिलीवरी से पहले कॉल करते हैं…।       अनमने ढंग से फोन उठाकर … Read more

कभी तो बहू की तारीफ कीजिए – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

 अंजना जब से अपनी ननद के घर से लौटी है नई नवेली बहू नव्या की तारीफ करते नहीं थक रही हैं। छोटी बुआ की बहू नव्या बड़ी सुंदर है और जितनी सुंदर है उतनी गुणी भी है, व्यवहार तो पूछो मत एक – एक गरमा गरम फुल्के थाली में लाकर परोसती थी …..और तो और … Read more

मंशा –   संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

     हे गंगा मैया ….मेरी गोद भर दो… न जाने आपकी क्या मंशा है… मंशा.. वाह ..मिल गया नाम.. मैं सोच ही रही थी… यदि गंगा मैया मेरी मनौती पूरी कर , मेरा गोद भर देंगी तो मैं नाम क्या रखूंगी …? अब देखिए ना गंगा मैया…. मेरी माँ ने भी आपसे मनौती मांग मुझे पाया… … Read more

हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

       वाह वाह …क्या खाना बनाया है यार इंदु…… मजा आ गया और यह हरे धनिया की चटनी ….वो भी सिलबट्टे वाली…. इसका तो जवाब नहीं…. लीना तारीफ करते नहीं थक रही थी…! बस कर लीना तू कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रही है ….इतने लोगों में बस तुझे ही खाना इतना ज्यादा पसंद आया जो … Read more

मुखौटा – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

कीर्ति न जाने कितनी बार डायरी के पन्नों में अपनी लिखी कविता बार-बार पढ़ती और मुस्कुराती… उसे पूर्ण विश्वास था बहुत अच्छे ढंग से अपनी प्रस्तुति देगी….!      कीर्ति आज काफी खुश थी ….उसके ही मोहल्ले में एक पार्क था ..जिसमें आज शाम 4:00 बजे से महिला दिवस के समारोह का आयोजन होना था …। इस … Read more

पागल कहीं की – संध्या त्रिपाठी: Moral stories in hindi

         हॅलो मैम….. मैं जिला अस्पताल से बोल रहा हूं …आपकी बेटी रत्ना का प्रसव के पश्चात निधन हो गया है…! कृपया अस्पताल से संपर्क कर मृत शरीर को अपने सुपुर्द लें…।        क्या.. क्या…?? आपको कोई गलतफहमी हो गई है …मेरी बेटी रत्ना नहीं है …और आपको मेरा फोन नंबर किसने दिया…?  सॉरी …..कह कर सुलोचना … Read more

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