मुखौटा – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

कीर्ति न जाने कितनी बार डायरी के पन्नों में अपनी लिखी कविता बार-बार पढ़ती और मुस्कुराती… उसे पूर्ण विश्वास था बहुत अच्छे ढंग से अपनी प्रस्तुति देगी….!      कीर्ति आज काफी खुश थी ….उसके ही मोहल्ले में एक पार्क था ..जिसमें आज शाम 4:00 बजे से महिला दिवस के समारोह का आयोजन होना था …। इस … Read more

पागल कहीं की – संध्या त्रिपाठी: Moral stories in hindi

         हॅलो मैम….. मैं जिला अस्पताल से बोल रहा हूं …आपकी बेटी रत्ना का प्रसव के पश्चात निधन हो गया है…! कृपया अस्पताल से संपर्क कर मृत शरीर को अपने सुपुर्द लें…।        क्या.. क्या…?? आपको कोई गलतफहमी हो गई है …मेरी बेटी रत्ना नहीं है …और आपको मेरा फोन नंबर किसने दिया…?  सॉरी …..कह कर सुलोचना … Read more

देखो देखो मालती आई है – संध्या त्रिपाठी   : Moral stories in hindi

 बहू तुम मायके जा रही हो तो …वो लाल वाली साड़ी पहन लेना …. और हाँ अपने सोने के गहने भी लेते जाना ….पर मम्मी…. मैं तो वहीं की हूं…. सब मुझे जानते ही हैं….और सब को ये भी पता है…. कि मेरा ससुराल अच्छा है… फिर ये सब दिखाने की क्या जरूरत है…??  अरे … Read more

सगुनी काकी का फैसला – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

  ताखा पर सगुनी काकी का फोटो… ब्लैक एंड व्हाइट..  वो भी बड़े दयनीय हालत में … बगल में एक डिभरी रखी हुई…..हल्की सी मुस्कुराहट के साथ अनिला ने फोटो उठाया और अपनी ओढ़नी से पोछने लगी….!    आज उसे ताखा शब्द का अर्थ भली-भांति समझ में आ गया था… आज पहली बार ही तो गांव आई … Read more

जैसे को तैसा – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

   लाजो जी थोड़ा बहुत काम में आप भी हाथ बंटाया कीजिए बहू श्वेता के….. इससे आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा आप एक्टिव भी रहेंगी और श्वेता की काम में मदद भी हो जायेगी…! बजरंगी प्रसाद जी ने पत्नी लाजो जी को समझाने की कोशिश की…।           देखिए जी अब मुझसे काम धाम नहीं होता… हड्डियों में दर्द … Read more

अर्धांगिनी की कद्र कीजिये पतिदेव – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

 उठो विप्लव जल्दी से तैयार हो जाओ आज ड्राइवर नहीं आया है तो गाड़ी लेकर बुकिंग में तुम्हें ही जाना पड़ेगा बद्री प्रसाद जी ने अपने बेटे विप्लव को उठाते हुए कहा….! अरे पापा यह नौकरों वाला काम मुझे पसंद नहीं है.. कह कर विप्लव करवट बदल कर फिर सो गया…।  देखो विप्लव यह बिजनेस … Read more

दायित्व या त्याग – संध्या त्रिपाठी  : Moral stories in hindi

  जज अंकल …आप तो मुझे ही मम्मी पापा से अलग कर दीजिए ..मेरा मतलब तलाक दे दीजिए …ये क्या है ना , मम्मी अलग मुझे समझाती रहती हैं कि …जब जज साहब पूछे किसके साथ रहना है तो मैं उनका नाम लूं… और पापा अलग समझाते हैं कि मैं उनका नाम लूं…. मैं तो रोज-रोज … Read more

आप कैसी सास हो माँ – संध्या त्रिपाठी   : Moral stories in hindi

      सवा नौ बज गए हैं ….अभी तक तुम्हारा टिफिन पैक नहीं हुआ….?? मैं चला…. शांतनु ने देर होने से मानसी पर गुस्सा होते हुए कहा…     अरे शांतनु रुको तो…. एक मिनट बस हो ही गया है ….मानसी ने अपने काम की स्पीड बढ़ा दी….! जल्दी-जल्दी टिफिन पैक किया और दौड़ कर बाहर गई… तुरंत ही … Read more

झूमका – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

 क्या बात है छोटी …जब से दिल्ली से आई है खोई- खोई रहती है अपने आप हँसती है…… मुस्कुराती है…. और बार-बार ये अपने कान के झुमके को क्यों छु कर शरमा जाती है…..I तू तो खेलने गई थी ना दिल्ली , कौन सा खेल ……खेल के आ रही है कहीं दिल के खेल में … Read more

नफा या नुकसान – संध्या त्रिपाठी   :Moral stories in hindi

 मम्मी इतनी सुबह से उठकर क्या खटर पटर कर रही हो….. आराम से सोती क्यों नहीं हो ….?? मायके आई बिटिया स्वरा ने माँ सुगंधा से कहा ……..अरे तू सो ना भाई….. मुझे काम करने दे …… 12:00 बजे तक समधन जी लोग आ जाएंगी….. सारा काम कैसे होगा….? सुगंधा ने भी तुरंत जवाब दे … Read more

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