“शीतल—- तुम्हें मेरे जज्बात से खेलने का हक किसने दिया?
मेरे साथ ये प्यार का नाटक किस लिए ?
क्यों इतने दिनों से मुझे इस भ्रम में रखा कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब हूं जिसे तुम मिली थी?
कहां गए तुम्हारे कसम, जो तुमने साथ जीने- मरने के खाए थे?
मुझे तो घिन आती है अपने आप पर कि —तुम जैसी दो मूही सांप से प्यार किया!
अमन एक ही साथ शीतल को सब कुछ कह गया और शीतल खड़ी मुस्कुराती हुई संदीप का हाथ पकड़ वहां से बिना कुछ बोले चली गई ।
उसके जाने के पश्चात अमन फुट-फुट के रोने लगा ।
शीतल और अमन स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ पढ़े ।
इन दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में तब्दील हो गई।
दोनों के प्रेम प्रसंग की चर्चाएं पूरे कॉलेज में होती थी।
एम ए करने के बाद दोनों ने अपने-अपने सेटलमेंट के लिए अलग-अलग रास्ता चुन लिया और अपने करियर को बनाने के लिए की जान से लग गए ।
2 साल के अंदर ही अमन ने बैंक की प्रतिष्ठित जाब ले ली ।
और इधर शीतल ने भी किसी प्राइवेट कॉलेज में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर लेक्चर वाली जॉब ली।
” ओ शीतल! शीतल! शीतल—! हम अपने- अपने पैर पर खड़े हो चुके हैं !
अब अपने पेरेंट्स को हमारे रिश्ते के बारे में बताने का समय आ गया है।
अमन शीतल से किसी कॉफी शॉप पर मिलते हुए कहा।
हां– अमन ! मैंने तो अपने पेरेंट्स को हमारे रिश्ते के बारे में सब कुछ बाता भी दिया है!
और वो खुशी-खुशी राजी भी हो गये।
शीतल चहकते हुए अमन से बोल पड़ी।
सच –!
आज मैं भी सोच रहा हूं कि तुमको अपनी मां से मिलाने अपने घर ले चलूं ।
शीतल का हाथ पकड़ते हुए अमन बोला।
” ओ थैंक यू अमन”!
‘फाइनली आज मैं तुम्हारी मम्मी से मिल ही लूंगी! ‘
कहते हुए शीतल अमन के गले लग गई।
तुम दोनों की खुशी में ही हमारी खुशी है! और रही बात पापा की तो मैं उनको मना लूंगी।
अमन की मम्मी ने शीतल को चूमते हुए कहा!
दोनों परिवार की रजा- मंदीऔर आशीर्वाद के साथ शादी पक्की हो गई ।
इधर अमन की भी ट्रेनिंग के लिए लेटर आ गया उसे कुछ महीनों के लिए मुंबई जाना पड़ा
इसलिए शादी का डेट 6 महीने के बाद का रखा गया।
6 महीने बाद जब अमन ट्रेनिंग से लौटा तो शीतल की फ्रेंड” माही “ने अमन को फोन किया।
” हां बोल माही— “आज बड़े दिनों के बाद’ क्या बात है सब कुछ कुशल मंगल तो है ना ?
” शीतल कैसी है ?
‘कई दिनों से उसका फोन नहीं लग रहा और ना ही उसने फोन किया ।
“मैं –आज ही ट्रेनिंग से लौटा हूं।”
अमन—!” मैंने तुम्हें शीतल के बारे में ही बताने के लिए फोन किया है।
‘ अगर तुम सब कुछ जानना चाहते हो तो आज हमारे वाले कॉफी शॉप पे ठीक 5:00 आ जाना।’
माही अमन से बोली ।
“अच्छा—–! क्या तुम लोगों ने कोई सरप्राइज रखा है मेरे लिए ?
अमन माही को छेड़ते हुए बोला । तुम —-बस आ जाना।
कहते हुए माही ने फोन काट दिया।
अमन आज मन ही मन बहुत खुश था क्योंकि इतने दिनों के बाद वह शीतल से मिलने जाने वाला था ।
और उसने तो यह भी सोच रखा था कि कल ही शीतल के मां पापा से मिलकर शादी का डेट फिक्स करवा लेते हैं ।
शाम 5:00 बजे जब अमन कॉफी शॉप पर पहुंचा तो वहां का नजारा देख पहले तो उसे विश्वास नहीं हुआ पर बाद में “व्हाट द हेल शीतल ???
शीतल संदीप के जो उन दोनों का ही दोस्त था ,के हाथ में अपना हाथ डाल एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसम खा रही थी ।
और जैसा कि शुरू में आप लोगों ने घटनाक्रम पढ़ा ।
इस इंसिडेंट के बाद अमन काफी विचलित हो उठा उसके लिए मुश्किल हो रहा था कि शीतल ऐसा भी कुछ कर सकती है । उसका दिल और दिमाग में द्वंद उत्पन्न हो गया।
जैसे तैसे अपने आप को संभाल 10 दिन बिता कर, मां -पापा को ये बातकर कि फिलहाल मुझे अभी छुट्टी नहीं है बाद में मैं आपको अपना फैसला सुनाता हूं।
वापस मुंबई चला गया।
अमन अंदर से इतना टूट चुका था कि वह दोबारा कभी भी शीतल से बात करने की कोशिश नहीं की। नफरत सी हो गई थी।
९ महीने बीत चुके थे एक दिन संदीप का फोन आया।
“हेलो अमन—–” यार! तू बस फौरन कानपुर आजा।
‘ दगाबाज –। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बात करने की ? तू तो दोस्त के नाम पर कलंक है। तूने बहुत अच्छी दोस्ती निभाई जो –अपने दोस्त के पीठ पीछे खंजर मरने से पीछे नहीं हटा। तू दोस्त कहलाने लायक नहीं ।अमन पूरे गुस्से में था।
शीतल को समझने में तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी।’
संदीप ने अमन को समझाते हुए कहा ।
“नाम ना लो उस धोखेबाज का”अमन बीच में ही संदीप की बात को काटते हुए बोल पड़ा। नहीं नहीं वह कोई धोखेबाज नहीं अमन।
आज तो वह अस्पताल में अपनी आखिरी सांसें गिन रही है। दिल में एक ख्वाहिश लिए की बस एक आखरी बार वह तुमको जी भर के देख ले।
संदीप एक साथ में सब कुछ कह गया ।
क्या sssss?
पर वो तो तुम्हारे साथ –।
अरे नहीं —उसका बंधन तो तुम्हारे साथ अटूट था वह सब तो एक नाटक था तुमको अपने से दूर करने का।
तुम्हारे ट्रेनिंग के दौरान उसकी तबीयत अचानक से खराब हो गई एक दिन वह हम लोगों के साथ बैठी थी तो उसे अचानक से चक्कर आ गया हम सब उसे डॉक्टर के पास लेकर गए। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट लिखा । टेस्ट में उसको कैंसर डिटेक्ट हुआ वह भी आखिरी स्टेज का ।
जब शीतल को इस बात का पता चला तो उस वक्त भी उसे तुम्हारा ही ख्याल आया। और उसने हम सबको कह कर प्रॉमिस लिया कि तुम्हें इन सब बातों का कभी पता नहीं चलना चाहिए ।नहीं तो तुम अपनी जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे।
उसे पता था कि तुम्हें यह बात पता चल जाएगी तो तुम अपना सब कुछ छोड़ उसके पास दौरे चले आओगे और तब तुम्हारे मां-बाप जिनका एक आखरी तुम ही सहारा हो वो टूट जाते । इसलिए उसने हम सबको अपनी दोस्ती का वास्ता देकर ये नाटक करने को मजबूर किया ।
वह मुझसे अब भी कहती रहती है कि देखना मेरा अमन इतनी जल्दी नहीं मानेगा वह कभी ना कभी एक बार तो जरूर आएगा ।
आज मैंने शीतल से किया हुआ वादा तोड़ दिया ।
दोस्त —!तु बस एक आखरी बार शीतल से मिलने कानपुर आजा।
कहते हुए संदीप फोन पर ही फूट-फूट के रोने लगा।
अमन की आंखों में पश्चाताप और प्यार दोनों भावनाओं से आंखें भर उठी।
तत्काल में रिजर्वेशन करा वह फौरन कानपुर की ओर निकल पड़ा।
” अरे पगली तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तेरे बिना अपनी जिंदगी जी लूंगा”! और तु इतनी स्वार्थी और महान कैसे हो गई जो मुझे अपने से अलग कर दिया?
कहते हुए अमन शीतल से लिपटकर रोने लगा।
संदीप के नजरों को झुका देख शीतल को समझते देर ना लगी कि– अमन को अब सब कुछ पता चल चुका है ।
बस शीतल अब तुम एक शब्द कुछ नहीं बोलोगी।
आज मेरा एक आखरी फैसला तुम्हें मनाना ही पड़ेगा कहते हुए अमन सिंदूर की डिब्बी अपने हाथ में लेकर शीतल की मांग को भर देता है ।
शीतल चुपचाप खामोश होकर आंखों में गंगा जमुना लिए बस अमन की ओर देखी जा रही थी—, देखी जा रही थी ।
शायद उसे अमन का ही इंतजार था।
शायद उसे इस दिन का ही इंतजार था।
अमन का दिल भी कहीं ना कहीं ये मानने को तैयार नहीं था कि शीतल ऐसा कुछ कर सकती हैं।
शायद वह उसे भी शीतल का ही इंतजार था। यह प्यार का बंधन भी कितना अटूट होता है जहां एक तरफ शीतल अपने प्रेमी के लिए अपने प्यार का बलिदान देनी चाही वहीं दूसरी तरफ अमन इस भरोसे में कि शीतल कभी ऐसा नहीं कर सकती ।
तो दोस्तों इनके रिश्तो की डोर कभी टूट नहीं सकती थी क्योंकि इनके रिश्ते प्यार, विश्वास और सम्मान से भरे थे।
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धन्यवाद।
मनीषा सिंह।