“सुझाव” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

बनारस की राइशो में एक नाम ठाकुर बलवंत सिंह का था। वह अपनी शानो-शौकत तथा रुतबो के लिए जाने जाते।   बलवंत की मां कमला बहुत ही बुद्धिमान तथा गंभीर महिला थी ।  बलवंत सिंह अपनी मां की बहुत इज्जत किया करते । इनके दो पुत्र बड़ा बेटा गोपाल और छोटा गोविंद । पत्नी दुर्गा बोले … Read more

“अपनापन” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

कालिंदी काकी की टोकरी लाल, नीली, पीली, आसमानी और हरी चूड़ियों से भारी पड़ी थी और  जल्दी-जल्दी  सर पर टोकरी रख वह कहीं जा रही थीं कि–  तभी एक आवाज आई–  अरे काकी—-कहां भागी जा रही हो—? हमें नहीं पहनाओगी चूड़ियां–!   देखी तो वैजयंती उनके पीछे-पीछे भागे आ रही थी ।  अरे बिटिया– अभी मैं … Read more

“आत्मग्लानि” – मनीषा सिंह   : Moral Stories in Hindi

“नवीन जी  किरानी की नौकरी करते थे।  पत्नी सावित्री और दो बेटियां अंकिता और अवंतिका थी। भगवान की दया से बेटियां पढ़ाई और खेल दोनों में काफी होशियार थी–। दोनों स्कूल में हमेशा टॉप आया करतीं । “नवीन जी के घर में कुछ हो ना हो पर– बेटियों की “ट्रॉफीज और प्रमाण” पत्र जरूर रहते … Read more

“धैर्य ” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

 “महेश बाबू की शादी के 15 साल हो गए और पत्नी सुनीता इन 15 साल में चार बार गर्भवती हुई पर, हर बार उनका गर्भपात हो जाता ।   कितना भी पूजा पाठ और कितनी भी मन्नतें मांगी पर वो कहते हैं ना कि सब कुछ समय से ही निर्धारित होता है समय से पहले किसी … Read more

“आखिरी ख्वाहिश” – मनीषा सिह : Moral Stories in Hindi

 “दो बच्चे और पत्नी धनिया” को सोता छोड़ एक रात हीरा गांव छोड़कर  कहीं चला गया। सुबह जब धनिया सो कर उठी, तो पति को न पाकर उसे ढूंढते खेत चली गई । सबसे पूछा पर हीरा को किसी ने नहीं देखा । मुंह लटका कर धनिया घर लौट आई सुबह से शाम हो गई … Read more

“ठेस” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

यह कहानी शारदा नाम की औरत की है जो बिहार के छोटे शहर से मुंबई जैसे बड़े शहर में अपने पति के साथ बेटे के इलाज के लिए आई और फिर क्या हुआ आगे पढ़िए :- शारदा तीन बच्चों की मां थी दो जुड़वा बेटा गोलू, मोलू और एक प्यारी सी बेटी अक्षरा। पति शरद, … Read more

“जिम्मेदारी का एहसास”-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

यह कहानी कोई मनगढ़ंत या काल्पनिक नहीं बल्कि सच्ची घटना पर आधारित है ।कहानी की संवेदनशीलता को देखते हुए ,उनके नाम  बदल दिये गये हैं । पुष्पा—! कब जाना है तुम्हें- मायका—? मैं उस और ही जा रहा हूं सोचा तुमसे पूछ लूं।  रजत मोटरसाइकिल पोछते हुए बोला । शादी के अभी दो महीने ही … Read more

बदलाव – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

मूलचंद जी शहर के बहुत ही नामी-गिरामी व्यापारी थे । इनके दो बच्चे थें बेटा संकेत और बेटी अवंतिका।  बेटा संकेत बहुत ही बुद्धिमान, गंभीर और समझदार लड़का था जबकि बेटी अवंतिका बहुत ही जिद्दी और तुनुकमिजाज थी।  दोनों बच्चे भी वक्त के साथ बड़े होते गए ।  संकेत अब अपने पिता के कारोबार में … Read more

एक समझौता – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“क्या ये दिन देखने के लिए    हमने तुझे इतना पढ़ाया-लिखाया—-?  और तेरी शादी करवाई —? कृष्णकांत जी गुस्से से लाल- पीले हुए जा रहे थे।  बेटा नितिन चुपचाप पिताजी की नाराजगी को सहन कर रहा था।  सामने मंजू देवी बुखार से कराहते हुए पति कृष्णकांत से बोलीं बस –। अब चुप भी करो जी—!  मेरी … Read more

बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहां की मेहमान है – मनीषा सिंह। : Moral Stories in Hindi

स्टेशन छोड़ते ही गाड़ी धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी ज्यों -ज्यों गाड़ी तेज रफ्तार पकड़ रही थी त्यों -त्यों सरस्वती की आंखों से मां-बाप ओझल होते जा रहे थे। आशु थमने का नाम नहीं ले रही थी मन मारकर अपनी सीट पर जाकर बैठ गई।   अपनी और बच्चों की छुट्टियां खत्म होने के बाद … Read more

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