बीबी से पंगा मत लेना – नेकराम Moral Stories in Hindi

जय और वीरू दोनों पड़ोसी थे एक दिन वीरू की पत्नी ने अपने पति से कहा सुबह में छोटू को स्कूल छोड़ आई थी आज दोपहर को तुम स्कूल से छोटू को ले आना आज तुमने कारखाने से छुट्टी ली है तो फिर यह छोटा सा काम भी कर दो —
वीरू पहले तो आनाकानी करने लगा फिर बात मान गया दोपहर हो चुकी थी छोटू की छुट्टी दोपहर को 1:00 बजे होती है वीरू 12:30 बजे घर से निकल पड़ा कुछ दूर चला तो रास्ते में उसका पड़ोसी ,, जय ,, मिला उसने बताया मैं भी अपने बेटे डब्बू को लेने स्कूल जा रहा हूं
दोनों हंसते हुए चलते गए 20 मिनट पैदल चलने के बाद दोनों एकाएक रुक गए सामने सड़क पर घुटनों तक गटर का गंदा पानी पूरी सड़क पर भरा पड़ा था बदबू जोरों की आ रही थी जहां-जहां नजर जाती गटर का पानी ही पानी सड़क पर फैला हुआ दिखाई दे रहा था
तभी एक कर्मचारी दिखाई दिया कहने लगा यह रास्ता तो बंद है तुम्हें कहां जाना है तब वीरू बोला हम दोनों ,, बच्चों को स्कूल से लेने जा रहे हैं वह देखो सामने इस गंदे पानी के उस पार ऊंचा सा स्कूल वही हम दोनों के बेटे छोटू और डब्बू कक्षा दूसरी में पढ़ते हैं तब कर्मचारी बोला लेकिन कल मैंने बताया था कि
इस सड़क के गटर खाली किए जाएंगे कई सालों से इन गटरो की सफाई नहीं हुई है सुबह 9:00 बजे के बाद हमारी ड्यूटी शुरू हो जाती है यहां से निकलने वाले हर लोगों को कल दोपहर को बताया था तुम्हें भी बताया था नहीं नहीं तुम लोग नहीं थे हां याद आया दो औरतें थी उन्हें बताया था चार दिनों तक बच्चों को स्कूल मत लाना
वीरू कहने लगा अब हम दोनों सड़क कैसे पार करें आधा किलोमीटर तक गटर का गंदा बदबूदार कीचड़ घुटनों तक भरा है दूर-दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आ रहा है कोई रिक्शा भी नहीं दिखाई दे रहा है ,, जय बोला ,,
, भला कोई रिक्शावाला इस कीचड़ में क्यों घुसेगा बच्चों को तो स्कूल से लाना ही है वीरू ने जवाब दिया ,,
जय ने दूसरा रास्ता बताते हुए कहा अब हमें दूसरी सड़क से जाना होगा रास्ता लंबा है शायद स्कूल पहुंचने में डेढ़ घंटा लग सकता है वीरू बोला ऑटो कर लेते हैं जैसे ही वीरू ने जेब टटोली तो पर्स जेब में नहीं था जय ने अपनी जेब में देखा तो उसका भी पर्स गायब था दोनों पैदल ही चल पड़े दोपहर का एक तो कब का बज चुका था
चलते-चलते दोनों के पसीने छूट गए टांगे दुखने लगी शरीर थक चुका था इतना पैदल पहले कभी नहीं चले थे मोबाइल में समय देखा तो दोपहर के 2:00 बज चुके थे स्कूल अभी भी बहुत दूर था दोनों तेज तेज कदमों से हांफते हुए लंबी-लंबी छलांग मारते हुए चले जा रहे थे 2:30 बजे स्कूल के गेट के पास आकर दोनों ने दम लिया गेट के पास दोनों के बच्चे छोटू और डब्बू खड़े थे
तभी स्कूल का चौकीदार आया दोनों पर खींझता हुआ बोला दोपहर के 1:00 बजे स्कूल की छुट्टी होती है और तुम दोनों अब ढाई बजे आए हो सुबह 8:00 बजे दो औरतें आई और इन बच्चों को गेट पर छोड़कर भाग गई मैंने खूब आवाज दी बहन जी आज स्कूल बंद है गटर की सफाई होने वाली है कई गलियां बंद हो जाएगी
आज स्कूल में कोई बच्चा नहीं आया ,, टीचर भी नहीं मगर उन्होंने मेरी आवाज ना सुनी अब मैं स्कूल छोड़कर उनके पीछे-पीछे तो नहीं भाग सकता
अब खड़े-खड़े मेरा मुंह क्यों तांक रहे हो ले जाओ अपने बच्चों को मुझे गेट पर ताला भी लगाना है —
जय और वीरू अपने-अपने बच्चों की उंगली थामे उसी रास्ते से चल पड़े जिस रास्ते से आए थे वीरू बोला पैर तो पहले से ही दुख रहे थे अब फिर डेढ़ घंटे पैदल चलना होगा कुछ देर बाद डब्बू बोला पापा ,, पैदल नहीं चला जाता मुझे अपने कंधे पर बिठा लो छोटू का भी यही जवाब था दोनों ने अपने-अपने बच्चों को कंधे पर बिठा लिया पैदल चलते-चलते दोनों की हवा खराब हो गई
लेकिन घर अभी भी कोसों दूर था अभी और कितना चलना पड़ेगा कहीं हम रास्ता तो नहीं भूल गए वीरू ने जय से कहा ,,
जय ने बताया सड़क तो वही है चलते चलो दोनों ने बच्चों को कंधे से उतार दिया कुछ देर बच्चे पैदल चले फिर कंधे पर बैठने की जिद करने लगे दोनों ने फिर बच्चों को कंधे पर बिठा लिया दोनों की टांगे लड़खड़ाने लगी डेढ़ घंटे चलने के बाद घर की गली दिखते ही दोनों के चेहरे पर चमक आ गई किंतु टांगे चलते-चलते सूज गई थी
जय और वीरू दोनों सड़क पर बैठ गए बच्चों से कहा मम्मी से कहो एक गिलास पानी ला दे तब एक पड़ोसन आकर कहने लगी तुम दोनों की आंखें अभी से कमजोर हो गई है अपने-अपने घर के दरवाजे के बाहर देखो ताले लटके हुए हैं डब्बू और छोटू की मम्मी ने मुझे चाबी देते हुए कहा था चार दिनों के लिए मायके जा रही है ,, वह आ जाए तो उन्हें चाबी दे देना
दोनों ने चाबी ले ली रेंगते रेंगते दरवाजे तक पहुंचकर ताला खोला ,,
गला सूख चुका था गिलास उठाकर जैसे ही मयूर जग की टूटी खोली तो पानी की एक बूंद भी नहीं किसी तरह मोटर चला कर मयूर जग भरा और पानी पिया बच्चे चिल्लाने लगे पापा पापा भूख लगी है दोनों ने अपने-अपनी रसोई घर में बर्तनों को टटोला तो सब बर्तन धुल कर अलमारी में सजे थे
खड़े होने की ताकत नहीं थी जय एक टेबल घसीट लाया और टेबल पर बैठकर मैगी बनाने लगा वीरू ने जय को फोन करके बताया मुझे तो रोटियां पकाना भी नहीं आता इसलिए अपने बच्चें के लिए मैगी बना रहा हूं वीरू ने अपना भी यही किस्सा सुनाया कुछ मिनट बाद दोनों बच्चों ने मैगी खाई और उनकी भूख शांत हो गई
शाम के 6 बज चुके थे दोनों दोस्त खटिया पर चित पड़े थे तब वीरू ने अपने बच्चें से कहा जरा मम्मी को फोन लगा दे छोटू ने फोन हाथों में उठा लिया बहुत देर के बाद पापा से कहा पापा ,, लगता है, मम्मी ने तुम्हारा नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है
वीरू ने जय को कॉल करके अपनी कहानी सुनाई तब जय बोला मेरी बीवी ने भी मेरा नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है हम दोनों की बीवियां हमसे कौन से जन्म का बदला ले रही है तब वीरू बोला कल रात हम दोनों शराब पीकर घर आए थे,, हमारी पत्नियों ने कई बार हमें टोका लेकिन हम नहीं सुधरे इसलिए हमें ऐसी सजा मिली है
एक काम करते हैं तुम अपना फोन मुझे दे दो और मेरा फोन तुम ले लो दोनों ने फोन की अदला बदली कर ली यह काम बच्चों से करवाया गया तब वीरू ने जय के फोन पर अपनी बीवी का नंबर मिलाया तो बेल बजने लगी
किंतु उस तरफ से कोई आवाज नहीं आई लेकिन कॉल लग चुकी थी तब वीरू बोला पैर सूज कर मोटे-मोटे हो गए हैं
पूरा शरीर बुखार से तप रहा है ,, मैगी खाकर मेरा पेट भी नहीं भरेगा ,, हाथ जोड़ता हूं ,, अब आगे से शराब पीकर घर नहीं आऊंगा
आधे घंटे बाद दोनों की पत्नियां घर आ गई चीनी के डिब्बे से अपने-अपने पति के पर्स निकाल कर उनके हाथ में थमा दिए दोनों दोस्त बेड पर दर्द से चिंघाड़ रहे थे जय और वीरू की पत्नियां तेल की मालिश उनके घुटनों में करते हुए बोली
,, बोलो , फिर आओगे शराब पीकर ,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
दृष्टि आईएएस बिल्डिंग नंबर 641
से स्वरचित रचना

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