माधुरी के 2 रूपए – नेकराम Moral Stories in Hindi

माधुरी स्कूल से जल्दी-जल्दी घर जाने लगी माधुरी की सहेली लता ने माधुरी को रोकते हुए कहा रास्ते में जो पार्क हमें रोज मिलता है इस पार्क में एक मेला आया हुआ है मेरी मां ने स्कूल जाते वक्त दस रुपए दिए थे मेले से कोई अच्छी सी गुड़िया खरीद लूंगी ,,,,, अब तक और सहेलियां भी आ चुकी थी सब ने अपनी-अपनी पसंद की गुड़िया खरीदने की बात कही —-
माधुरी के पास केवल 2 रूपए थे मां ने माधुरी को आज सुबह मेले की बात सुनकर दिए थे लता मेले में बड़े-बड़े झूले देखकर खुश थी लता ने मेले की दुकान से एक गुड़िया ले ली बाकी सहेलियों ने भी किसी ने आइसक्रीम खाई किसी ने कुल्फी का मजा लिया किसी ने शरबत पिया किसी ने झूले का मजा लिया
माधुरी सब सहेलियों को दूर से देख रही थी किंतु उसने अपने 2 रूपए अभी तक खर्च नहीं किए थे 2 रूपए का इमली का चूरन भी मिल रहा था किंतु माधुरी ने अपना मन मार लिया सब सहेलियों ने मेले का जमकर मजा लिया 1 घंटे से ज्यादा हो चुका था अब सब लड़कियों को घर भी जाना था माधुरी को मेले के गेट पर एक दुकान दिखाई दी उस पर लिखा था ,,, चलता फिरता मेडिकल स्टोर ,,,
माधुरी ने दुकान पर जाकर दुकानदार से पूछा तुम क्या क्या सामान रखते हो तब दुकानदार बोला सरकार ने इसी शर्त पर मेले की परमिशन दी है कि हर बार मेले में मेडिकल स्टोर की भी सुविधा होनी चाहिए मेले में आने जाने वालों को अगर रुई पट्टी बैंडेज दवाई गोली की जरूरत पड़े तो हम मेले में आए लोगों को दे सकते हैं
माधुरी को याद आया कल शाम मां की उंगली आलू काटते समय चाकू से कट गई थी काफी खून बह गया था मां ने घर के पुराने कपड़े को लपेटकर उंगली में बांध लिया था तभी स्टोर वाला दुकानदार बोला बेटी यहां तुम्हारे मतलब की कोई चीज या कोई खिलौना नहीं है
तब माधुरी ने कहा एक बैंडिज पट्टी दे दो दुकानदार ने 2 रूपए दाम बताया और माधुरी को एक बैंडेज दे दी अब तक सभी सहेलियां लता के साथ माधुरी के पास पहुंची माधुरी के हाथ में बैंडेज देखकर सब सहेलियां जोर-जोर से हंसने लगी माधुरी सब सहेलियों के साथ घर लौट चली रास्ते में लता ने कहा
माधुरी ने यह बैंडेज खरीदी है यह भी कोई खरीदने की चीज है तब माधुरी को बड़ी गुस्सा आई उसने नाक फुलाकर कहा मुझे सब पता है तुम लोगों ने मेले में क्या-क्या खाया है
राधा ने आइसक्रीम खाई आधी आइसक्रीम तो जमीन पर ही टपक गई डंडी ही चूसती रही श्यामा ने गन्ने का जूस पिया गन्ने के चारों तरफ कितनी मक्खियां भिनभिना रही थी आधी मक्खियां तो दुकानदार जूस में पीसकर सबको पिला रहा था श्यामा ने गन्ने का जूस नहीं मक्खी का जूस पिया है
माधुरी ने सबकी एक-एक कमियां गिनानी शुरू कर दी और अंत में अपनी बैंडेज की तारीफ करते हुए बोली जब मैं अपनी मां को यह बैंडेज दूंगी तो मां का प्रेम मेरे प्रति और बढ़ जाएगा और मां की उंगली का जख्म भी जल्दी ठीक हो जाएगा सब सहेलियां माधुरी की तरफ देखकर स्वयं पर शर्म महसूस कर रही थी और माधुरी के काम की तारीफ कर रही थी
घर आ चुका था माधुरी की मां शाम की सब्जी पकाने के लिए एक थाली में दाल पानी से धो रही थी माधुरी ने बस्ता फर्श पर रख दिया और दोनों हाथ पीछे करते हुए बोली मां मैं तुम्हारे लिए मेले से कुछ खरीद कर लाई हूं अगर तुम बता सकती हो तो मैं समझूंगी मेरी मां अंतर्यामी है माधुरी की मां मुस्काई और बोली अच्छा यह बात है
मुझसे टक्कर आखिर तेरी मां हूं एक सेकंड में बता दूंगी कि मेरी बेटी माधुरी मेरे लिए मेले से क्या खरीद कर लाई है
इतने में पड़ोस की कुछ आंटिया भी आ गई हम भी तो देखें मेले से माधुरी अपनी मां के लिए क्या सामान लाई है मां ने कहा तुम मेले से लाई हो चूड़ियां माधुरी ने मना करते हुए कहा कुछ और सोचो तब पड़ोस वाली आंटी बोली काजल की डिब्बी माधुरी ने मना किया तब दूसरी आंटी ने कहा बालों में लगाने वाली रबड़ माधुरी ने फिर मना किया
और हंसते हुए बोली कोशिश करो मां एक बार और तब मां बोली आर्टिफिशियल अंगूठी माधुरी ने वह भी मना किया तब मां हार गई तब माधुरी ने कहा ठीक है मां तुम हार चुकी हो और पड़ोस की सभी आंटी भी तब माधुरी ने मां से कहा अपनी दोनों आंखें बंद करो और एक हाथ आगे बढ़ाओ मां ने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया अपनी दोनों आंखें बंद कर ली माधुरी ने झट से बैंडेज मां के हाथ में रख दी
मां ने आंखें खोली ,, यह क्या है ,, यह तो एक बैंडेज है माधुरी ने कहा हां मां मैं तुम्हारे लिए लाई हूं कल शाम को आलू काटते समय चाकू से तुम्हारी उंगली कट गई थी तुमने कपड़ा लपेटकर काम चला लिया था मेले में मुझे बैंडेज के अलावा कोई काम की चीज ना दिखाई दी माधुरी ने मां की उंगली से कपड़ा निकाल दिया और मेले से खरीदी हुई
बैंडेज मां की उंगली में लपेट दी यह देख सब पड़ोसने अपने-अपने घर माधुरी की अक्लमंदी की प्रशंसा करती हुई चली जा रही थी
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
स्वरचित रचना मुखर्जी नगर दिल्ली से

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