पढ़ी लिखी गंवार -निशा जैन : Moral Stories in Hindi

पढ़ी लिखी गंवार ही हो क्या बिल्कुल…..

तुम्हे पता नही खाना परोसने से पहले चख कर देख लेना चाहिए एक बार कि नमक है या नही, कम है या ज्यादा

कितना बकवास खाना बनाया है तुमने आज पूर्वी…. खाने का एक कौर मुंह में रखते ही मोहित पूर्वी पर चिल्लाया। (पूर्वी आज शायद नमक डालना भूल गई थी ) ओह नमक नही डाला क्या मैने सॉरी मोहित ये लो नमक …. नमक पकड़ाते हुए पूर्वी बोली

पर इसमें मुझे गंवार कहने की कहां जरूरत आ पड़ी। इतनी बड़ी गलती तो नही है , नमक डालना भूल गई होंगी आज जल्दी में

हां तुम्हे तो हमेशा जल्दी लगी रहती है …..पता नही घर पर रहकर क्या करती हो? ऑफिस जाना पड़ता तो पता नही खाना भी बना पाती या नही…. मोहित तंज कसते हुए बोला।

मोहित ऑफिस का गुस्सा मुझ पर निकाल रहे हो ? घर पर रहकर क्या करती हूं ये बताने की ज़रूरत नही मुझे… पूर्वी का गला बोलते बोलते रूंधने लगा

अब छोड़ो बात का बतंगड़ मत बनाओ मुझे तुमसे कोई बहस नही करनी कहकर मोहित चुप हो गया

पर पूर्वी के गले से अब खाना नीचे नही उतर रहा था।

( मोहित ऐसा ही था प्यार तो बहुत करता था पूर्वी को पर कभी कभी अपने ऑफिस का गुस्सा पूर्वी पर ऐसे ही निकाल देता था। उसको लगता पूर्वी के पास काम ही क्या है करने को घर पर

पूर्वी भी कम पढ़ी लिखी नही थी। उसने बीएससी बीएड किया था और शादी से पहले प्राइवेट स्कूल में नौकरी भी करती थी पर ससुराल में ज्वाइन फैमिली थी दादी सास, सास ससुर, जेठ जेठानी सभी थे घर पर और अच्छा खाता पीता परिवार था तो मोहित ने पूर्वी को आगे नौकरी कंटिन्यू नही करने के लिए मना लिया था ताकि वो घर पर रहकर उसके माता पिता की अच्छी देखभाल कर सके । शादी के दो साल बाद मोहित का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया और मोहित और पूर्वी यहीं शिफ्ट हो गए।

मोहित का ऑफिस घर से काफी दूरी पर था तो वो सुबह जल्दी निकलता और लेट वापस आता । घर और बच्चों की सारी जिम्मेदारी पूर्वी पर आ गई और वो चाहते हुए भी नौकरी नहीं कर पाई।) आज पूर्वी किसी काम में व्यस्त थी तो शायद नमक डालना भूल गई थी और उसी बात को लेकर मोहित उसे इतना सुना रहा था।

अचानक फोन बजा… ट्रिन ट्रिन… ट्रिन ट्रिन ( पूर्वी फोन उठाती है)

हैलो पूर्वी कैसी हो बेटा? 

हां मां मैं बस ठीक हूं आप बताओ ।

ठीक तो नही लग रही आवाज़ से.. लग रहा है आज फिर अनबन हुई है मोहित जी से… बता क्या बात है बेटा

मां अनबन हुई होती तो फिर भी ठीक था पर यहां तो मोहित आए दिन मुझे पढ़ी लिखी गंवार घोषित करने में लगे रहते हैं

क्यों ऐसा क्या हो गया बेटा? मोहित जी तो तेरी कितनी फिक्र करते हैं।

हां करते हैं मां पर कभी कभी वो कुछ ऐसा बोल जाते है जिससे मेरे सारे किए कराए पर पानी फिर जाता है और पूर्वी नमक वाली बात मां को बताती है और रोने लगती है

अरे बेटा वो तो उन्होंने ऐसे ही गुस्से में बोल दिया होगा तू दिल पर मत ले 

कल तक तो वो बिल्कुल भूल भी जायेंगे ये सारा गुस्सा बुस्सा

हां मां ठीक है चलो मैं अब रखती हूं, मेरा काम पड़ा है अभी

और रात में मोहित सच में सब भूल गया पर पूर्वी को रह रहकर ये ही बात याद आ रही थी कि तुम पढ़ी लिखी गंवार हो क्या

खेर रोते रोते कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला

अगले दिन संडे था और मोहित को शाम को ऑफिस की किसी पार्टी में जाना था तो वो पूर्वी से बोला मेरे बालों में थोड़ा कलर कर दो प्लीज़ पूर्वी माय डियर

(असल में बिना पूर्वी उसका कोई काम चलता नही था फिर भी उसको क्रेडिट देने के बजाय वो उसे कुछ भी बोल देता था)

पूर्वी कलर करने लगी पर थोड़ा कलर उसकी स्किन पर लग गया ( और ऐसा होता ही है जब हम हेयर कलर करते हैं तो थोड़ा कलर स्किन पर या स्कैल्प पर लगना स्वाभाविक है)

ये क्या किया पूर्वी जब तुम्हारा मन नही था तो मना कर देती पर ऐसे बिगाड़ती तो मत…. कर दी ना वो ही गंवारो वाली हरकत

मोहित इतना चिल्लाने की क्या ज़रूरत है। शैंपू करोगे तो हट जाएगा । नही तो कोकोनट ऑयल लगा लो । मैने पहले कहा था कि लोशन या क्रीम लगा लो कलर करने से पहले तो तुमने मना कर दिया और अब ये हो गया तो भी मुझ पर ही चिल्ला रहे हो

पूर्वी उससे बहस करके अपना संडे बरबाद नही करना चाहती थी और वहां से चली गई।

आए दिन पूर्वी और मोहित में फालतू बातों को लेकर झगड़ा होता रहता और लड़ाई का सारा ठीकरा पूर्वी के माथे मढ दिया जाता ये कहकर कि तुम गंवार की गंवार ही रहोगी

अब पूर्वी ने कम बोलना शुरू कर दिया और मोहित को इससे कोई फर्क भी नही पड़ता क्योंकि उसके सारे काम तो समय से पूरे हो ही जाते थे।

थोड़े दिनों बाद पूर्वी की ननद रश्मि मिलने आई हुई थी तो पूर्वी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी ननद से उसकी बहुत बनती थी । वो मन की हर बात उससे साझा करती थी।

पूर्वी ने सोचा मोहित को बता दूं दीदी के लिए साहू हलवाई का गाजर का हलवा लेते आयेंगे जो उसे बहुत पसंद था तो उसने उसे फोन किया पर उसका फोन व्यस्त था । पूर्वी के दो तीन बार करने पर भी फोन बिजी था ।

थोड़ी देर बाद मोहित का फोन आया जो उस समय रश्मि के हाथ में था उसने फोन स्पीकर पर डाल दिया

पूर्वी जब तुम्हे पता था कि मेरा फोन बिजी है फिर भी बार बार में फोन किए जा रही हो। तुम्हे एक बार में समझ नही आता क्या मैं यहां ऑफिस में हूं, जरूरी मीटिंग में हूं । तुम ये गंवारों वाली हरकत करना कब छोड़ोगी यार। तुम्हारी पढ़ाई लिखाई का कोई फायदा भी है या नही…

मोहित… जैसे ही रश्मि ने बोला मोहित सहम गया

दीदी आप… मुझे लगा पूर्वी है

पूर्वी है तो क्या कुछ भी कैसे भी बोलेगा उसे

तुम घर आओ फिर बात करते है कहकर रश्मि ने फोन रख दिया

पूर्वी जो पीछे खड़ी सारी बाते सुन रही थी रोने लगी और रश्मि को सारी बातें उसे न चाहते हुए भी बतानी पड़ी

शाम को मोहित घर आया तो रश्मि से सॉरी बोला और उसको मनपसंद गाजर का हलवा खिलाया। पूर्वी बच्चों के स्कूल के काम से बाहर गई हुई थी

रश्मि बोली मोहित तुम जानते हो तुम्हे ये तरक्की , ये प्रमोशन पता है क्यों मिल पाता है क्योंकि ये पढ़ी लिखी गंवार ही इन सबके पीछे है

मैं समझा नही दीदी आप क्या कहना चाहती हो? मोहित बोला

देख मोहित ये घर की जिम्मेदारी, बच्चों की जिम्मेदारी, रिश्तेदारों की जिम्मेदारी सब पूर्वी ने अपने कंधे पर ले ली तब ही तो तू अपने काम , ऑफिस पर पूरा फोकस कर पाया

  घर का वातावरण , मम्मी पापा की सेहत का ध्यान , जरूरतों का ध्यान पूर्वी ने अच्छे से रखा तब ही तो तनाव रहित होकर तुम अपने उद्देश्य को सफल कर पाए

  है या नहीं तुम बताओ

  हां दी ये तो ठीक है

  और मोहित पूर्वी बचपन से ही बहुत मेधावी रही हैं वो अलग बात है कि इसने नौकरी करने के बजाय घर सम्हालना ज्यादा जरूरी और उचित समझा।

  और ये तो तुम्हे भी पता है पूर्वी पूरे तन , मन और समर्पण के साथ अपने हिस्से की सारी जिम्मेदारियां पूरी करती है।

  

  तुम को सारी चिंताओं से मुक्त रखती है। तुमसे कोई तर्क वितर्क नही करती। तुम कभी लेट भी आए तो कोई जासूसी नही करती। तुझ पर पूरा विश्वास करती है तभी तो तू पूरे समर्पण के साथ अपना ऑफिस वर्क संभालता है और तरक्की करता है

  है कि नही बोल

  और सबसे जरूरी तुम उसे कुछ भी बोलो वो घर का माहौल खराब नहीं होने देती चाहे खुद कितना भी परेशान हो। और आज भी वो तो गलती से फोन मेरे हाथ में था इसलिए मुझे सब पता चला वरना वो इतनी समझदार लड़की है कि पति पत्नी के बीच की बातें मुझे या मम्मी पापा तक को नहीं बताती और तू उसे गंवार कहता रहता है।

  सॉरी दीदी मेरा उद्देश्य उसे हर्ट करना नही था । मैं उसे बहुत प्यार करता हूं पूछो उससे

  तभी पूर्वी अंदर आ गई ।

  दीदी क्या हुआ ? मोहित का चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों है?

  मोहित क्या हुआ बताओ ना, आप ठीक हो न?

  हां पूर्वी सब ठीक है बस आज दीदी से कुछ नया सीख रहा था इसलिए थोड़ी डांट पड़ गई बस

  पूर्वी मुझे माफ कर दो अब तक मैं तुम्हे गंवार बोलता रहा पर आज पता चला है असली गंवार तो मैं हूं जो तुम्हारे सेवा समर्पण का फल तुम्हे डांट कर देता रहा । मुझे माफ कर सकती हो? मोहित ने पूर्वी के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहा 

  पूर्वी ने मोहित के हाथ अपने हाथ में लेकर कहा मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं बस अपनी इस पढ़ी लिखी गंवार का साथ कभी मत छोड़ना और कह कर सब हंसने लगे

  रश्मि अपने भाई भाभी की नजर उतारने लगी

दोस्तों कभी कभी हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओ को चोट पहुंचाना नहीं होता पर हमारी वाणी इतनी कटु होती है कि न चाहते हुए भी सामने वाला आहत हो जाता है इसलिए रिश्ता कोई भी हो बस अपनी वाणी पर संयम रखकर रिश्ता निभाया जाए तो बिगड़ते काम भी बन जाते हैं वरना बनते हुए काम बिगड़ने में भी देरी नही होगी फिर।

धन्यवाद

 स्वरचित और मौलिक 

 निशा जैन

दिल्ली

3 thoughts on “पढ़ी लिखी गंवार -निशा जैन : Moral Stories in Hindi”

  1. हाँ भाई हम भी अपनी पढ़ी लिखी ………..को आज से ही कुछ नहीं कहेगें।

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    • ये भी तो हो सकता है कि आप अपनी पढी लिखी-“:;;,को भले कुछ न कहें पर वो आपको पढा लिखा मूर्ख उल्लू का,;”?#या खोते दा पुत्तर कह दे? पर महिलाएँ ये सब शायद ही कहती हों । वैसे सम्मान दिया जाए तभी प्राप्त किया जा सकता है । प्रेम वैसे तो बडी अलग चीज है पर सम्मान के बिना ये भी नहीं टिकता ।

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