ऐसे शब्द सुनकर मेरा खून खौल गया-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

मानसी की शादी की तैयारी पूरे जोर- शोर से चल रही थी! मानसी के पिता अजीत जी बेटी के हर एक डिमांड को पूरी करने में लगे हुए थे। मानसी 22 साल की हो चुकी थी ।  तथा एम ए की पढ़ाई कर रही थी। ये शादी कुछ हटकर थी ।

दोनों तरफ के परिवार एक दूसरे को पहले से ही जानते थे। एक्चुअली मानसी की बुआ का लड़का ” आदि”और मानसी के होने वाले जेठ” शरद “दोनों बेस्ट फ्रेंड थे !

इनकी दोस्ती की वजह से ही इन दोनों के शादी की बात चल रही थी। 

शरद  ने इस शादी के लिए अपनी एड़ी चोटी एक कर दी। दोनों दोस्त की एक ही इच्छा थी कि दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए । पर

 रिश्तेदारी में बदलते -बदलते दोनों दोस्त की दोस्ती पर आच आ गई।

कारण था इन दोनों परिवार मैं दहेज को लेकर हुई  नोक झोक।

 एक्चुअली जब रिश्ता तय हो रहा था तब दहेज के डिमांड को पूरा करते-करते इन दोनों परिवार के साथ-साथ इन दोस्तों के बीच भी मनमुटाव शुरू होने लगा आदि के मामा, अजीत जी के अनुसार  दोस्ती के नाते दहेज में कंसेशन तो होनी चाहिए।

 पर शरद के पापा की सोच बिल्कुल इसके विपरीत थी उनको लगता था कि कहीं दोस्ती के नाते दहेज न कम करवाले ।अब इतनी सारी विघ्न बाधाये आने के बावजूद शादी तो हो गई ।

 मानसी तन्मय के साथ खुशी-खुशी अपने ससुराल जाकर रहने लगी।

 पहले दिन तो मानसी अपने ससुराल में  इतनी कंफर्टेबल फील कर रही थी कि अरेsss मानसी –मायके से उब चुकी थी क्या?? जेठ शरद ने उसको मजाक में बोला । नहीं भैया— ऐसी बात नहीं है! मानसी मुस्कुराते हुए बोली!

घर में एक जेठानी और दो-दो ननद थीं दोनों ननद दोनों भाइयों से बड़ी थी।

 मानसी के नंदोई को अजीत जी से  काफी शिकायतें थीं ।

उनके अनुसार मानसी के परिवार वालों ने शादी में उनको भाव नहीं दिया।

 रिसेप्शन वाले दिन सुबह-सुबह जब मानसी अपने कमरे में थी तब उसने बाहर वाले कमरे से आती आवाज को सुना उसके नंदोई बहुत ही गुस्से से अजीत जी की बुराई कर रहे थे। पहली बार अपने पापा की बुराई दूसरे की मुंह से सुनकर उसे बहुत हीअटपटा सा लगा । और हद तो तब हुई जब रिसेप्शन की शाम अरे मानसी–! अपनी मम्मी पापा को और अपने परिवार वालों को रिसेप्शन की पार्टी में आने से मना कर देना वरना उनकी बहुत बड़ी वाली बेज्जती हो जाएगी ।

 छोटी नंद शारदा मानसी से बोली।

  बेचारी मानसी के सब्र का बांध टूट गया वह रोने लगी पहले तो सुबह-सुबह उसके नंदोई । और अब उसकी नंद शारदा ने।

 उसे पहली बार एहसास हुआ कि वह किस जगह ब्याह कर आई है।

मां —! आप सब यहां शाम की रिसेप्शन पार्टी में मत आना। 

 दीदी ने आप लोगों को यहां आने से मना किया है!

 मानसी अपनी मम्मी से फोन पे बोली।  उसकी मां ने यह कह कर उसको दिलासा दिलाए। चाहे जो हो जाए हम सबआएंगे। तु टेंशन मत कर ।

 “उसकी मम्मी पापा तथा परिवार वाले तो आए “लेकिन बेइज्जती तो सहनी ही पड़ी।

 जब  मानसी इस घर में आई थी तो चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल में एक बचपना साथ लाई थी पर माहौल देखकर वह अपने आप में सीमित होती चली गई।

 10 दिन बाद ही तन्मय के साथ नागपुर जाने का उसका टिकट भी था।

 इधर हर दिन शारदा मानसी को कुछ ना कुछ  उलाहना देने से पीछे नहीं हटती ।

रिसेप्शन के दिन से लेकर उसके नागपुर जाने का के दिन तक वह तानों  से घिरी रही। 

खैर समय का पहिया दौड़ता गया धीरे-धीरे मानसी ने भी अपने आप को एडजस्ट कर लिया। 

 शादी के 16 साल बाद कोरोना काल में मानसी के सास- ससुर भी चल बसे ।

समय की गति बढ़ती चली गई एक दिन— अरे तुम्हें एक बात पता चलाssss कि राहुल मृदुला एक दूसरे को 5 साल से डेट कर रहे हैं और बात शादी तक आ गई।  दीदी -जीजा जी पहले तो इस शादी के  सख्त खिलाफ थे वह चाहते थे कि राहुल मृदुला के संग ब्याह नहीं रचाए पर बेटे के जीद की आगे उन्हें झुकना ही पड़ा। शादी भी पक्की हो गई है।

 मानसी की बातचीत उसकी जेठानी अनीता से फोन पर हो रही थी।

 अच्छा दीदी—! हमें तो पता भी नहीं था !

मानसी अनीता से बोली।

2 दिन बाद।

“अब तुम सबको पता ही होगा sss क्या करें —बच्चों की जीत के आगे हम मां-बाप को झुकना ही पड़ता है। राहुल की शादी पक्की हो गई है!”

 जनवरी का रिजर्वेशन तुम सब का करवा रही हूं 31 की शादी रखी गई है तुम सबको आना है !

आज सुबह-सुबह मानसी की ननद ने फोन पर मानसी को बताया ।

जी—- हम सब जरूर आएंगे दीदी! आप निश्चिंत रहिए!

 कहते हुए मानसी ने फोन अपने पति तन्मय को दे दिया।

 फिर भाई- बहन की बातों का सिलसिला चलता रहा इधर मानसी मन ही मन में यह सोच रही थी कि  दीदी की होने वाली बहू मृदुला का क्या होगा?

 दीदी की सख्त मिजाज क्या वह सहन कर पाएगी?? सोचते सोचते वह अपने कामों में व्यस्त हो गई।

धीरे-धीरे शादी का डेट भी नजदीक आ गया।

अब सारे शादी के लिए पटना आ गए।

 मानसी  ने अपने भांजे की शादी को खूब इंजॉय किया। गीत संगीत से लेकर नाच गान तक, सब में जोर-शोर से भाग लिया ।

पूरी शादी मानसी शारदा के चेहरे की हाव-भाव को नोटिस करने में लगी हुई थी और अंततः उसने यह नोटिस किया कि——

 पूरी शादी दीदी का चेहरा बिल्कुल उतरा सा लग रहा था। शायद लड़की की वजह से??

 लेकिन पता चला कि दीदी की तबीयत  शादी में हुई थकावट के कारण खराब थी।😇

 रिसेप्शन के दिन मैं यह सोच रही थी कि शायद आज जरूर कोई नौटंकी जीजाजी और दीदी करेंगे जैसे उन्होंने मेरी शादी में किया था।

 पर यह सारी बातें गलत साबित हो गई इन फैक्ट दीदी पूरे दिल से मृदुला  के मायके वालों की स्वागत में एक पैर पर खड़ी रही।

 मानसी ने इस बात को अपनी जेठानी अनीता से शेयर किया।

 हां —!मैने भी नोटिस किया! अनीता बोली!

 खैर शादी ब्याह खत्म हुआ सभी अपने-अपने जगह प्रस्थान कर गए।

 मनसी भी अब नागपुर आ चुकी थी ।

एक दिन  मानसी की बात अनीता से हो रही थी

 “जीजा जी और दीदी अपनी बहू मृदुला को काफी मान- सम्मान दे रहे हैं 

दीदी मृदुला की बच्चे वाली हरकत पर भी हंसती हैं ,कभी भी उसको दहेज के लिए 10 बातें सुनना नहीं पड़ता और यहां तक की मृदुला के साथ-साथ किचन में भी लगी रहती हैं ।

मानसी की रिपोर्टर जेठानी अनीता बोली ।

“ऐसा सुनकर मानसी का खून खौल गया “

पर वह कुछ बोल ना सकी दिल में एक कसक थी कि मेरी ही साथ ऐसा क्यों किया—?? उन्होंने अपनी बहू के लिए, तो वो अपने आप को एक महान सास साबित करने में लगी है ।

पर मेरे घर में मेरी सास को क्यों—-? यह सोचते सोचते जाने कब मनसी की आंख लग गई।

दोस्तों नंद को कभी भी अपनी भाभी से इस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए। चाहे दहेज मिले ना मिले इससे उनका क्या फर्क पड़ता है । नंद  का रोल एक बहन और मां का होना चाहिए  ना की सास बनने का।

 तो दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आए तो इसे लाइक शेयर और कॉमेंट्स जरूर कीजिएगा।

 धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

2 thoughts on “ऐसे शब्द सुनकर मेरा खून खौल गया-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi”

  1. अधूरी सी है कहानी, जब तक गलती करने वाले को आइना न दिखाया जाये…….

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