अकेली मां बेहतर है या धोखेबाज पिता का साथ – नीतिका गुप्ता 

सुबह-सुबह की आपाधापी में श्रुति अपने सारे काम जल्दी जल्दी निपटा रही थी। बेटी काव्या को स्कूल बस में बैठा दिया था और अब वह चाय का कप हाथ में लेकर काव्या का दोपहर का लंच और अपने लिए टिफिन भी तैयार कर रही थी। श्रुति की रोज की यही दिनचर्या थी सुबह जल्दी उठकर पहले काव्या के लिए नाश्ता बनाना , फिर टिफिन देकर उसे स्कूल की बस में बैठाना।

अचानक से घंटी बजने से श्रुति के तेजी से चलते हुए हाथों की गति धीमी पड़ गई और फिर सोचने लगी इस समय कौन आया होगा लेकिन दरवाजा खोल कर तो देखना ही था सो अपने पजामे से अपने हाथों को पोछते हुए उसने दरवाजा खोला, मगर दरवाजे पर आए हुए व्यक्ति को देखकर उसके शब्द जैसे मुंह में ही जम गए, कुछ पलों में हिम्मत जुटाकर उसने कहा “सुधीर तुम यहां कैसे”

 

दरवाजे पर आए हुए सज्जन ने बस इतना ही कहा “पहले मुझे फ्रेश होना है” और वह श्रुति को एक तरफ धकेलते हुए सीधा कमरे में चला गया।

 

श्रुति कुछ देर दरवाजे पर खड़ी रही जैसे वह कोई सपना देख रही हो और अभी यह सपना टूट जाएगा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ यह सब सच था सुधीर सच में उसके घर में था या ये कहें कि उनके घर में था।

 

श्रुति ने अपने ऑफिस में मैसेज दिया कि आज वह ऑफिस नहीं आ सकती है और वहीं सोफे पर बैठ कर सुधीर के आने का इंतजार करने लगी, आज अपने ही कमरे में जाने से उसे डर लग रहा था,, कभी वह कमरा सुधीर और श्रुति का बेडरूम हुआ करता था जहां उन्होंने बहुत सारे खूबसूरत पल साथ में बिताए हैं।

 

श्रुति इंतजार करते-करते अतीत की परछाइयों में खो गई,”सुधीर मेरा चौथा महीना चल रहा है मैं हमारे बच्चे को जन्म देने वाली हूं तुम ऐसे हालत में मुझे छोड़ कर कैसे जा सकते हो”।



 

“श्रुति अब मैं तुमसे प्यार नहीं करता, मैंने तुम्हें यह बच्चा रखने से भी मना किया था मगर तुम नहीं मानी।मैं पिछले 6 महीनों से प्रिया के साथ हूं और बहुत खुश हूं। हम शादी करने वाले हैं”, सुधीर ने अपने कपड़े बैग में पैक करते हुए कहा।

 

“हमारा यह बच्चा हमारे प्यार की निशानी है सुधीर, मेरे नहीं लेकिन कम से कम एक बार इसके बारे में तो सोचो , कहां जाऊंगी मैं क्या करूंगी “? श्रुति सिसक रही थी गिड़गिड़ा रही थी लेकिन सुधीर पर कोई असर नहीं हुआ।

 

“देखो श्रुति तलाक के एवज में मैं तुम्हें यह घर दे दूंगा इस घर पर सिर्फ तुम्हारा हक होगा लेकिन तुम मुझे आपसी सहमति से तलाक दे दो मैं कोर्ट के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता मुझे जल्द से जल्द प्रिया से शादी करनी है”।

 

ये आखिरी शब्द थे सुधीर के श्रुति के लिए, वह श्रुति की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं था जैसे कि प्रिया ने उस पर कोई जादू कर दिया हो,

और इसके बाद उनका तलाक हो गया और पिछले 5 सालों में सुधीर ने एक बार भी श्रुति और उसके बच्चे की कोई खैर खबर नहीं ली फिर आज अचानक यहां क्या लेने आया है।

 

“श्रुति यार नाश्ते में क्या बनाया है ,बहुत भूख लगी है ,प्लीज आज कुछ अच्छा सा खिला दो, बहुत टाइम हो गया तुम्हारे हाथ का खाना खाए हुए”



 

सुधीर के इन शब्दों से श्रुति का ध्यान टूटा और वह यंत्रवत सी रसोई की तरफ गई और प्लेट में नाश्ता लगाकर टेबल पर रख दी।

 

सुधीर के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई, सुधीर बिल्कुल पहले की तरह खुश होकर बड़े सुकून से नाश्ता कर रहा था जैसे कि जीवन में कुछ बदला ही ना हो।

 

नाश्ता खत्म करके सुधीर ने बोलना शुरू किया,” श्रुति मैं प्रिया को छोड़ आया हूं और अब तुम्हारे और हमारी बेटी के साथ रहूंगा। हम सब एक परिवार हैं और एक ही घर में रहेंगे।”

 

श्रुति के जवाब का इंतजार किए बिना ही सुधीर कमरे की तरफ जाने लगा। श्रुति में न जाने कहां से इतनी हिम्मत आ गई कि उसने बढ़कर सुधीर के सामने आकर उसे पीछे की तरफ धक्का दिया और कहा,”चले जाओ यहां से सुधीर, अब इस घर पर या इस परिवार पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है। किस बेटी की बात कर रहे हो तुम जिसे तुम इस दुनिया में ही नहीं लाना चाहते थे ,जिसे तुम मेरे पेट में ही अनाथ करके चले गए थे। मैंने बहुत मुश्किल से अपनी बेटी को माता और पिता दोनों बनकर पाला है और अब मैं कमजोर नहीं रही ,तुम्हारे बिना जीना सीख चुकी हूं”।



 

“और रही बात प्रिया को छोड़कर आने की तो तुमने उसे नहीं छोड़ा। वह तुम्हें छोड़कर एक बहुत अमीर बिजनेसमैन के साथ यूएस शिफ्ट हो गई है। हमारे कॉमन फ्रेंड से तुम्हारी सारी जानकारी मुझे मिलती रहती थी ,, मालूम है मुझे कि तुम कंगाल हो चुके हो, सारा पैसा अय्याशी में उड़ा दिया लेकिन यह नहीं जानती थी कि तुम इतने बेशर्म हो कि इस तरह मुंह उठाकर मेरे पास वापस चले आओगे”।

 

एक साथ में ही सब कुछ बोलकर श्रुति ने सुधीर को घर के बाहर धक्का दिया और उसका सामान भी फेंक दिया और फिर जोर से दरवाजा बंद किया।

 

बेड पर गिर कर श्रुति जार जार फूट-फूट कर रोने लगी इसलिए नहीं कि उसे अपने किए का पछतावा या दुख था बल्कि इसलिए कि उसे सुकून था कि अब वह एक कमज़ोर पत्नी नहीं बल्कि एक मजबूत मां है जो अपने बच्चे की अच्छी परवरिश अकेले कर सकती है।

 

कमेंट करके अवश्य बताइएगा कि अगर आप श्रुति की जगह होते तो क्या करते ?

 

स्वरचित एवं मौलिक रचना

नीतिका गुप्ता 

 

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