लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 13) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा की होने वाली सासू माँ ने उसके लिए उसकी पसंद का जेवर ले लिया हैँ… उमेश और शुभ्रा की शादी में दिन भी कुछ ज्यादा नहीं बचे हैँ…. कभी दादा जी कभी शुभ्रा की माँ बेटी का ब्याह पास आते देख भावुक हो ज़ाते हैँ… घर मे त्योहार का समय हैँ…. चारों तरफ आतिशबाजी हो रही हैँ… उमेश और शुभ्रा पर भी त्योहार का रंग चढ़कर बोल रहा हैँ… शुभ्रा दिवाली की शुभकामनायें देने के लिए उमेश को फ़ोन लगाती हैँ… उमेश बोलता हैँ… मैं विडीयो कॉल कर रहा हूँ शुभ्रा…. तुम्हे आज तो उठाना पड़ेगा…. शुभ्रा डरती हुई कॉल उठाती हैँ…. उमेश शुभ्रा को देखता ही रह जाता हैँ…

अब आगे…

गुलाबी रंग का सूट पहनी हुई शुभ्रा… कानों में छोटे छोटे झुमके हैँ… एक हाथ में कड़े , दूसरे में दादा जी की दी हुई घड़ी , माथे पर  छोटी सी बिन्दी. … तरीने से पहना हुआ दुपट्टा , बाल पीछे क्लिप से बंधे हुए…. कुल मिलाकर बहुत ही खूबसूरत लग रही हैँ शुभ्रा… उमेश भी कुछ कम नहीं लग रहा… आसमानी रंग का कुर्ता पैजामा पहने , सूर्ख काले स्टाइलिश बाल जो हवा के झोंको से उड़ रहे हैँ…. एक हाथ में कलावा , दूसरे में लोहे का कड़ा … तीखे नैंन नक्श जो भी देखे नजर हटने का नाम ना ले…. दोनों ने सगाई की अंगूठी भी पहन रखी हैँ…. जो रोशनी में एक अलग ही चमक दे रही हैँ…

शुभ्रा उमेश को शांत देख बोलती हैँ… इतनी देर से कॉल की बोल रहे हैँ आप… कॉल उठाते ही कुछ बोल ही नहीं रहे….

बस तुम्हे देखता जाऊँ, देखता जाऊँ,देखता जाऊँ….तुम्हारी इस प्यारी सी सूरत को आँखों में बसा लूँ…. रोमैंटिक अन्दाज़ में उमेश शुभ्रा के लिए गाना गाता हैँ…

तेरे चेहरे में वो जादू हैँ…. बिन डोर खिंचा जाता हूँ….. जाना होता हैँ और कहीं, शुभ्रा की ओर चला जाता हूँ….

कुछ ऐसे ही हैँ ना ये गाना शुभ्रा… वैसे मैं गाता नहीं… पर तुम्हारे लिए सीख रहा हूँ…. राहुल कहता हैँ लड़कियां गाने से इम्प्रेस होती हैँ… उमेश बड़ी मासूमियत से बोलता हैँ…

ऐसा हैँ क्या … वैसे आपको मुझे इम्प्रेस करने की नीड नहीं हैँ… मैं आलरेडी इम्प्रेस्ड हूँ…. वैसे एक बात कहूँ… आप बहुत ही….

आगे… आगे तो बोलो यार…. मैं बहुत ही…. एक बार बोलो तो सही… आज तुम्हे सामने देखते हुए सुनूँगा .. पहले अपनी बात पूरी करो….

जी मैं कह रही थी कि आप बहुत ही…..

तब तक शुभ्रा की बहन बबली आती हैँ… जल्दी चलिये दीदी… कब से सभी लोग बुला रहे हैँ… पूजा शुरू हो गयी हैँ…

शुभ्रा जल्दी से उमेश को बाय बोल फ़ोन काट देती हैँ…

उमेश बस इतना ही बोलता हैँ… ओह शिट ….

पीछे से आता राहुल बोला… मैं बताऊँ भाभी तुझसे क्या कहने वाली थी…

कमीने कितनी गंदी आदत हैँ तेरी सबकी बात चोरी से सुनता हैँ… अब सुन ही लिया हैँ तूने तो बता क्या कह रही थी शुभ्रा….

वो भाई भाभी कह रही थी…. कि आप बहुत ही अनलकी हैँ… कभी पूरी बात कर ही नहीं पाते ….. हा हा…. सच में भाई तेरी किस्मत बड़ी माड़ी (खराब) हैँ….

रुक जा कमीने आज ना छोडूँगा तुझे… जब देखो तब मजाक बनाके चला जाता हैँ…. उमेश हाथ में बम लिए हुए हैँ… उसे जलाता हैँ… राहुल की तरफ फेंक देता हैँ…

ये क्या कर रहा हैँ भाई … अगर मुझे मार डालेगा तो तेरी शादी में बारात में नागिन डांस कौन करेगा….

सुन मैं तो जा रहा हूँ……यूनिट में जबरदस्त पार्टी चल रही हैँ ….

तू ही जा… मैं कौन सा ड्रींक करता हूँ….

हां जैसे मैं तो दो चार बोतल गटक जाता हूँ…. बस डांस करेंगे… खायेंगे पीयेंगे… इंजोय करेंगे… यहां देवदास बनके बैठने से कोई फायदा नहीं… भाभी से बात तो अब कल ही होगी तेरी… दो चार गर्ल फ्रेंड और बना ले… टाइम पास होता रहेगा….

चुप कर …. इसके लिए तू ही सही हैँ… चल चलता ही हूँ…. अब वैसे भी शुभ्रा से कौन सी बात होनी हैँ….

सुन पटाखे निकाल ला यार और… हम तो पटाखे जलायेंगे ….

चल फिर … दोनों दोस्त चले ज़ाते हैँ….

चारों तरफ धुआं ही धुआं हैँ… शहर के सारे मच्छर आज खत्म हो ही जायेंगे….

अगले दिन दादा नारायण जी घर के सभी सदस्यों को कुछ ज़रूरी बात करने के लिए बैठक में बुलाते हैँ….

का बात है बाऊ जी बताओ  …. बबलू जी पूछते हैँ….

सुन सुमित्रा, बबिता तुम लोगन पे जो कछु सोने को सामान हैँ… सब लैके आओ…. अपये पीहर को मत लईयो ….

वो बाऊ जी…. सुमित्रा जी नारायण जी की बात को काटते हुए बोलती हैँ…

बाऊ जी ने एक बार कह दयी तो लै के आ…. ज्यादा सवाल ना कर …. बबलू जी अपनी पत्नी सुमित्राजी  को फटकारते हुए बोले….

ये कैसे बात कर रहो हैँ तू बहू से…. खबरदार दुबारा ऐसी ऊँची आवाज में बहू से बात करी तो… नारायण जी रोष दिखाते हुए बबलू जी से कहते हैँ….

बबलू जी आँखें नीची कर लेते हैँ…

बबिता जी झट से सारा जेवर लाकर नारायण जी के तखत पर लाकर रख देती हैँ….

सुमित्रा जी बड़ा गुना गनित करके जेवर लाती हैँ…

धम्म से उनके पास रख देती हूँ… अपना घूंघट खींचते हुए कहती हैँ… लेओ बाऊ जी लै आयी सारो….

बबलू जी सभी सामानों को बड़े गौर से देखते हैँ…. फिर बोलते हैँ…. ए री सुमित्रा. … सीता रामी कहां गयी री ?? . और वाके संग के झुमके…. बबिता को तो बराबर जेवर आयें गयो… पर तेरे में बहुत कछु कम लाग रहो….

तो का बाऊ जी … सबरो तुम्हे दै दूँ …. आखिर मेरे आगे भी छोरिय़ां  हैँ….

तो जे बता री का अभी तक घर में बटवारों हैँ गयो… नहीं ना … तो कैसे तेरो हैँ गयो…. ब्याह शादी में पहनने को दिया जावें याको मतलब ये नहीं सब तेरो हैँ गयो….

पर बाऊ जी वो सीता रामी वाके संग के झुमके तो मेरे  ही हैँ …. वो मैं ना दूँगी … मेरे पिता जी ने दहेज भी ज्यादा दयो … बबिता के मैं कम मिलो….

एक बात बता … दहेज तो मैने अपये मुंह ते काऊँ ते ना मांगो…. सबके पीहर वालों ने अपयी इच्छा से दयो…. वैसे भी सीता रामी पुस्तैनी हैँ हमाये घर की…. ज़िसकी इच्छा होये पहन लै पर जे आने वाली पीढ़ीन को मिलती जावेगी….

तोये वो देनो तो पड़ेगो अगर बाकी घर की चीजन में हिस्सा चाहे हैँ तो…. जा लै के आ….

हां लैके आ…. बाऊ जी ने कह दयी तो कह दयी … बबलू जी भी नारायण जी का सपोर्ट करते हुए बोले….

मैं काऊँ कीमत पे ना दूँगी… जे ही नियम होवे हैँ जिनकी ब्याह में ज्यादा सामान मिले हैँ जेवर भी ज्यादा वाये ही मिले हैँ….

तो तू ना देगी….

माफ करियो बाऊ जी… मैं ना दूँगी… मैं अपये बाऊ जी को बुलाये रही…. उन्ही के सामने फैसला होवे हैँ….

वो क्या कर लेंगे हमाये घर के फैसलों में… बाऊ जी हैँ तो तेरे पीहर वारन की कोई ज़रूरत नाये हैँ… अगर ना मानी तो समझ लियो…. बबलू जी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था….

बबलू … बुलाये ले अपये ससुर को… सुमित्रा के मन की यूँ हैँ जायें …. सुमित्रा जी झट से अपने एसआई चाचा , अपने पिता जी और दबंग भाईयों को बुला लेती हैँ… सभी अगले दो घंटे में घर आ ज़ाते हैँ….

आगे की कहानी कल… तब तक के लिए गोवर्धन महाराज़ की जय…गिरिराज की जय

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

लड़के वाले सीजन -3 (भाग -12)

लड़के वाले सीजन -2 (भाग -1) – मीनाक्षी सिंह

लड़के वाले सीजन -1 – मीनाक्षी सिंह 

1 thought on “लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 13) : Moral Stories in Hindi”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!