वसीयत – अनुपमा 

रेलवे स्टेशन पर साक्षी बेंच पर बैठी सतना जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रही थी , बहुत मौसम खराब था ,बारिश बहुत तेज थी , ट्रेन इस वजह से लेट होती जा रही थी । साक्षी की मां ने सभी को बुलाया था , सारे भाई बहन आ रहे थे , बड़े भैया भी … Read more

बुर्क़े वाली – दीपा शाहु

आरज़ू को मेरी तुनें जाना ही नहीं बस खुद से तुनें फैसला कर लिया एक बार सुन तो लेते अगर मेरी तमन्ना क्या थी….. आरजू  जो हमेशा बुर्के में रहा करती थी, उसके चेहरे को कभी किसी बाहर वालो ने नहीं देखा, उसकी सहेली “चाहत” हमेशा उसके साथ रहती थी,एक दिन एक लड़के को आरजू … Read more

खामोश वक़्त – भगवती सक्सेना गौड़

अभी दो ही दिन पहले माधुरी को उसके बेटे बहू इस सारी सुख सुविधायों से लैश सीनियर सिटीजन वृद्धाश्रम में छोड़ गए थे। बेटा आकाश ने पहले से नही बताया, कार से रास्ता दो घंटे की दूरी पर था, उसी बीच धीरे धीरे सब समझाता रहा। समान डिक्की में रखते हुए देखकर, माधुरी सोच रही … Read more

बड़े भाई साहब – सरला मेहता

मिश्रा जी कोर्ट में क्लर्क हैं। शहर में उनकी निष्ठा व ईमानदारी के बड़े चर्चे हैं। किसी का भी कुछ काम हो मिश्रा तैयार रहते हैं। ना कहना उन्होंने शायद सीखा ही नहीं।जज साहब से लेकर चपरासी तक सभी उनकी इज्ज़त करते हैं। कुछ पुश्तेनी जमीन भी है। फ़सल आदि की मदद से गृहस्थी की … Read more

जीवन संध्या – मधु श्री

दिसंबर का महीना था,सुधा घर का सारा काम निपटा कर धूप में आकर बैठ गई। आज बालकनी में इतनी धूप नहीं थी जितनी तेज हवा चल रही थी। हल्की हल्की कोहरे की धुंध भी थी फिर भी धूप का हल्का सा सेंक अच्छा लग रहा था।मनोज को आफिस भेज कर सुधा थोड़ा निश्चिन्त महसूस कर … Read more

वापसी (रिश्तों की) भाग–3 – रचना कंडवाल

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा सुनिधि को उसके पापा के बारे में बताना चाहती है। और अपनी मां को रूम से बाहर जाने को कहती है अब आगे– बैठो, सुनिधि को कह कर बरखा हारे हुए जुआरी की तरह बेड पर बैठ गई। सुनिधि काऊच पर बैठी हुई थी। तुम्हारे पापा के बारे … Read more

बड़े भाई सा पिता या पिता सा बड़ा भाई – लतिका श्रीवास्तव

ट्रेन पूरी रफ्तार से चली जा रही थी….पर अजय का अधीर मन तो जैसे आनंद के पास वैसे ही चला गया था..कल रात में ही आनंद का फोन आया” भैया ,आप तत्काल यहां आ जाओ ,आपकी ही जरूरत है आप नहीं आओगे तो मेरा क्या होगा…”अजय तो घबरा ही गया “क्या बात है बेटा ?तुमका … Read more

अनमोल धन….!-विनोद सिन्हा “सुदामा”

माँ कुछ खाने को दो बेटे वैभव की आवाज सुनते ही सुनंदा का ध्यान भंग हुआ.!बस थोड़ी देर बेटा चावल पक जाने दे तुरंत देती हूँ कहते ही सुनंदा के आँखों में आँसू आ गए….पर बच्चे से छीपा लिया क्योंकि उसे पता था कि बेटे से वह अपना दर्द नहीं बांट सकती परस्थितियाँ जो बदल … Read more

बड़ा भाई पिता समान होता है-गीता वाधवानी

साधारण वेशभूषा और असाधारण व्यक्तित्व। बात करते तो मानो मुख से फूल बरसते, सामने वाला मंत्रमुग्ध होकर उनकी बात सुनता ही रह जाता और उसे स्वयं को क्या कहना था यह भूल ही जाता। छोटा हो या बड़ा सबको अपने स्नेह में बांध लेते हमारे बड़े भैया लक्ष्मण।        हम कुल चार भाई है। जब हम … Read more

मै एक कहानी “बेबसी” – रीमा ठाकुर

आज उर्मि की सांसे थम थम कर चल रही थी!  अतिंम बार उसने हिमम्त कर पलट कर देखने की कोशिश की “ सब ओर खून ही खून बिखरा पड़ा था!  उसने उठने की कोशिश की, पर उठ न पायी “ मेरा श्रेष्ठ,  उसने फिर से नजरें घुमायी “ कुछ दूरी पर आठ महिने का बच्चा … Read more

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