मै एक कहानी “बेबसी” – रीमा ठाकुर

आज उर्मि की सांसे थम थम कर चल रही थी! 

अतिंम बार उसने हिमम्त कर पलट कर देखने की कोशिश की “

सब ओर खून ही खून बिखरा पड़ा था! 

उसने उठने की कोशिश की, पर उठ न पायी “

मेरा श्रेष्ठ, 

उसने फिर से नजरें घुमायी “

कुछ दूरी पर आठ महिने का बच्चा अचेत पडा था! 

वो तडप उठी, 

वो बुरी तरह घायल थी, उसने पूरी हिम्मत जुटाई “


और खुद को घसीटते हुए रेगते हुए, अध जिदां लोगों को पार करती हुई बेटे के पास पहुंच गयी “

उसे खीचकर सीने से लगा लिया “

ममत्व से उसका सीना भर आया “

उसे तसल्ली हुई उसका बेटा जिदां था! 

पर वो कब तक जिदां रहेगा उसे पता नहीं था! 

बस उसे अपने अंश को कैसे भी बचाना था! 

उसने पलट कर देखा , उसके पति की क्षतविक्षत लाश”

वो बहुत बडी दुर्घटना थी! 

वो चीख रही थी “

पर उसे कोई नही सुन पा रहा था! 

चार घटें पहले ही तो बस से निकले थे ! 

पति के भान्जे के जनेऊ में शामिल होने के लिए, 

आधे घंटे का सफर और बाकी था! 


नन्हा बेटा था सब मना कर रहे थे! पर पति चाहते थे की पूरा परिवार साथ जाऐ “

बाकी लोग बस में पीछे बैठे थें! पर बच्चा छोटा था तो पति जी पास आकर बैठ गये! 

रात का सफर था ” तो माहौल अच्छा बनाने के लिए शैरो शायरी गीत संगीत सब चल रहा था! 

की अचानक सामने से आ रही    टृक, जोरदार टक्कर और बस खाई की ओर मुड गयी! 

देखते ही देखते चीखते चिल्लाते लोग दम तोडने लगे, कुछ ही देर में सन्नाटा “

शायद कुछ दूर पर दूसरी सडक भी थी “

उर्मि उधर ही बढ गयी! 

रात का पहला पहर, सडक पर दूर से रोशनी नजर आयी, उर्मि बीच सडक पर खडी हो गयी! 

गाड़ी उसके ठीक सामने आकर रूक गयी! 

अरे कोई घायल महिला है, 

गाडी के अंदर से स्त्री की आवाज सुनायीं दी “

हा शायद उसे मदद की जरूरत है! 

एक पुरूष  दरवाजा खोलते हुए बोला “

वो दिखने में भले लग रहे थे! 

भाई साहब उर्मि ने हाथ जोड लिए “

हमारी बस का एक्सीडेन्ट हो गया है, मेरा नन्हा बच्चा अचेत मदद कीजिये, 

जी चलिए कहाँ हुआ बताईए, पास में ही एक सडक है वहाँ “

सुमन मैं देखकर आता हूँ! 

मै भी चलती हूँ वो स्त्री बोली, हा चलो “

मोबाइल की रोशनी मे वो आगे बढ गये “

गाड़ी चालक गाडी में ही बैठा रहा! 

वहाँ का नजारा विभत्स था, शायद ही कोई बचा हो, ये मेरा बेटा है, एक  नन्हा बच्चा जमीन पर पडा था! 

उर्मि ने उठाने की कोशिश की पर जख्म ज्यादा होने के कारण उठा न सकी, उसकी पूरी कुहुनी रगड खा गयी थी! 

सुमन ने आगे बढकर बच्चे को गोद मे ले लिया! 

सुमन के पति विनोद जी मदद के लिए फोन लगाने लगे “

सुमन तुम गाडी में बैठो मैं आता हूँ! 

सुमन बच्चे को लेकर गाडी की ओर बढ गयी! 

उर्मि भी कराहते हुए उसके पीछे खुद को घसीटते हुए चल दी “

तुम यही रूको मै बच्चे को गाडी में सुलाकर तुम्हे सहारा देकर ले चलती हूँ “तुम्है इलाज की सख्त जरूरत है! 

ठीक है ” उर्मि बेबसी से देखती हुई बोली “

विनोद जी ने सहायता के लिए, पुलिस को फोन लगा दिया था! 

वहा का मैप भी भेज दिया था! 

वो घूमे तो किसी वस्तु से टकराऐ, सेलफोन हाथ से छूट गया! 

वो नीचे झुके फोन उठाया “

फोन की रोशनी उधर डाली देखना चाहते थे किससे टकराऐ “

वो डेड वॉडी थी! 

उर्मि वो मर चुकी थी! उसका शरीर का आधा अंग दूर कटकर पडा था! 

ये उर्मि है तो वो कौन जिसके साथ सुमन अभी गयी! 

विनोद जी गाडी की ओर भागे “

सुमन सामने से टकरा गयी! 

कहा जा रही हो, 

वो उर्मि  घायल है! 

नही वापस चलो, वहाँ कोई उर्मि नही है! 

पागल से हो गये, विनोद जी “चलो जल्दी,  सुमन कुछ समझ न पायी! 

वो गाडी में बेठ गये’

उर्मि गाडी के आगे हाथ जोड़कर धन्यवाद मुद्रा में खडी थी! 

सुमन जी ने बच्चे को गोद में सुला  लिया! 

गाडी बढाओ, विनोद जी चिल्ला कर बोले”

विनोद जी, उर्मि को हमारी जरूरत थी! 

नही सुमन जी उन्हें सहायता कर्मी की जरूरत है! 

जो आते ही होगें! 

गाडी अधेंरे को चीरती आगे बढ गयी! 

घर पहुँच कर सुमन का मूड उखडा हुआ था! 

बच्चा सुरक्षित था! 

घर के बाकी बच्चे उसे संभाल रहे थे! 

सुमन इधर आओ, आज से इस घटना की चर्चा इस घर में नही होगी, श्रेष्ठ की परवरिश हम अपने बच्चो जैसी ही करेगे “

पर आज हुआ “

तुम समझती क्यूँ नहीं, उर्मि एक आत्मा थी, जिसकी लाश  मैने अपनी आंख से देखी, 

वो अपने बच्चे को बचाने आयी थी! 

उफ, सुमन की आंखे फटी रह गयी! 

उसके शरीर के टुकड़े बिखरे थे वहाँ वो कैसे चल सकती है! 

तुम्ही बताओ, उसका बेटा बच गया था, 

उसका कार्य खत्म हो चुका था! 

रातभर करवटें बदलती रही सुमन, उर्मि उसकी आंखो से ओझल न हुई! 

सुबह का अखबार टेबल पर पडा फडफडा रहा था! 

आगे पहले पृष्ठ पर ही उर्मि के शरीर के टुकड़े बिखरे पड़े थे! 

मेन हेडिंग में लिखा था! 

दर्दनाक हादसा, भिडंत में शव के उडे परखच्चे “

सुमन ने सिर पकड लिया!

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