बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है – प्रीती सक्सेना

पतिदेव का जन्म दिन है, काफी लोग आने वाले है, मैं माया जल्दी जल्दी तैयारी करती जा रही हूं, बेटी को नाश्ता करा दिया, मेरा छोटा नन्हा शायद भूखा है, इसलिए दादी की गोद में मचल रहा है, दूध पिला ही देती हूं, वरना सम्भालना मुश्किल होगा, लाइए मम्मी सनी को मुझे दे दीजिए, बेटे … Read more

बरगद की छाँव – नीरजा कृष्णा

एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में ऊँची पोस्ट पर कार्यरत शशांक बहुत व्यस्त चल रहे हैं। उनके यहाँ हैडऑफिस से अमेरिकी डेलीगेशन आया हुआ है। वो मिस्टर ब्राउन और उनकी पत्नी  के लिए रात का डिनर किसी बढ़िया पांचसितारा होटल में प्लान कर रहे थे …तभी उनके सहयोगी सुधाकरजी सुझा बैठे,”सुनो, ये लोग होटलों में तो … Read more

एक माँ का गणित – नीरजा कृष्णा

अरे मम्मी जी! आप अभी तक तैयार नहीं हुईं। गाड़ी आ गई है।” बहू ममता हैरानी से पूछ रही थी। एक पारिवारिक विवाह समारोह में उन सबको हाजीपुर जाना था। बेटे मनोज को पटना में कुछ काम था अतः वो शाम को आने वाला था। वो धीरे से बोलीं,”अभी तुम दोनों बच्चों को लेकर चली … Read more

साथ – कंचन श्रीवास्तव

“कामवाली से लेकर पति का नाश्ता, बच्चों का टिफिन सांस ससुर की दवा उनका नाश्ता सबसे खाली होके पल भर अखबार लेके बैठी तो पहले ही पन्ने पर हेड लाइन पढ़कर रेखा  सहम गई । लिखा था ” रिश्ते बनाम पैसे “ बाकी क्या लिखा है भीतर पढ़ती कि उसके पहले उसके अपने भीतर के … Read more

बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है – अनुपमा

शमिता आज फिर छोटी स्कर्ट पहनी है तुमने , कितनी बार बोला है कॉलेज जाते वक्त ऐसे कपड़े मत पहना करो , पीछे से सुधा ने उसे आवाज देते हुए कहा तो शलभ ने मां का हाथ पकड़ के बोला रहने दो मां , पहनने दो उसे जो पहनना चाहती है ।  शमिता तो बिना … Read more

अम्माजी का श्राद्ध – नीरजा कृष्णा

सुमन सुबह से दौड़भाग में लगी थी। आज सासूमाँ के श्राद्ध और तर्पण की तिथि थी। वो और उसके पति सुनील जी इसको बहुत विधिविधान से करने में विश्वास रखते थे और पूरी श्रद्धा से करते भी थे। फैक्टरी और घर के समस्त स्टाफ़ के अलावा कुछ नाते रिश्तेदार और कुछ खास खास मित्रमंडली के … Read more

बेटी बेटे सी.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

सरीता देवी लगातार बेचैनी भरी नज़रो से दरवाजे की ओर बार बार देख रही थी,अभी तक उनका बेटा आनंद आया नहीं था,कह कर गया था कि अभी दवाई लेकर आता हूँ.। काफी देर हो गयी थी पर लौटा नहीं था अभी तक जबकि हास्पिटल वाले बार बार आकर सरीता देवी से उनकी दवाईयों के बारे … Read more

गांव बड़ा प्यारा, – सुषमा यादव

एक, एक करके सबके जाने के बाद, मेरे श्वसुर अकेले हो गए,, गांव से मैं उनको लेकर म, प्र, अपने कार्य स्थल शहर में ले आई, साथ में अपने पिता जी को भी उनका साथ देने और अकेलापन दूर करने के लिए गांव से ही ले आई,,मेरा मायका, ससुराल, पास, पास ही है,, इनके और … Read more

अंत भला तो सब भला – सरला मेहता भाग (1)

विभा मध्यमवर्गीय परिवार की सर्वगुण संपन्न बेटी है। प्रारम्भ से ही प्रतिभाशाली रही विभा ने इस वर्ष बी ए की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। पिता गुप्ता जी सेवानिवृत्ति के पूर्व उसके हाथ पीले करना चाहते हैं। ताकि छोटी बेटी श्रेया को भी शिक्षित कर  सके। संयोग से उन्हें अच्छी हैसियत वाले एक … Read more

दिल की कील – ज्योति व्यास

ननद रानी आज भात रखने आई है।बड़े बेटे की शादी है यानी परिवार में इस पीढ़ी की पहली शादी ।धीरे से एक लिस्ट भी दे गई कपड़ों और गहनों की  भात में रखने की! बेचारे भाई -भाभी !स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी  लिस्ट में दिए गए कपड़ों ,गहनों की व्यवस्था कर शादी में खुशी … Read more

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