बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है – अनुपमा

शमिता आज फिर छोटी स्कर्ट पहनी है तुमने , कितनी बार बोला है कॉलेज जाते वक्त ऐसे कपड़े मत पहना करो , पीछे से सुधा ने उसे आवाज देते हुए कहा तो शलभ ने मां का हाथ पकड़ के बोला रहने दो मां , पहनने दो उसे जो पहनना चाहती है । 

शमिता तो बिना सुने ही बाहर निकल गई थी और सुधा बड़ बड़ करते हुए रसोई मैं चली गई ।

रोज की ही कहानी थी ये सुधा के घर की , शमिता वैसे ही कुछ नही सुनती थी उस पर सुधा जब भी उसे कुछ कहने की कोशिश करती तो शलभ हमेशा मां को ही मना कर देता और शमिता को सपोर्ट करता था , सुधा भी बस  यही कहती की तुम इतना बिगाड़ रहे हो इसे शलभ , आगे पछताओगे , लड़कियां मर्यादा मैं रहे तभी अच्छी लगती है ,कल को कोई ऊंच नीच हो गई तो , कौन संभालेगा , तेरे पापा होते तो मुझे इतनी फिक्र न होती । शलभ बस मुस्करा देता और कह देता मां छोटी है अभी वो , धीरे धीरे सब समझ जायेगी ।

कुछ दिन बाद शमिता की दोस्त का जन्मदिन था और सुधा ने बोल दिया था की शाम के 7 बजे तक ही वो बाहर रह सकती है , शमिता पूरे घर मैं पैर पटकती घूम रही थी , बोल रही थी की शाम के तो पार्टी शुरू होगी और उसे जाना ही है , पर सुधा ने तो उसे साफ मना कर दिया था । उसने शलभ को इशारा किया की कुछ जुगाड लगा दीजिए भैया , मां आपकी बात कभी मना नही करती है ।


शलभ ने भी मां से कहा पर सुधा इस बार बिल्कुल ही ज़िद कर के बैठी थी की नही वो शमिता को नही जाने देगी देर रात तक की पार्टी मैं ।

शलभ ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए , तो शमिता गुस्से मैं अपने कमरे मैं चली  गई और दरवाजा बंद कर लिया , सुधा ने खाने के लिए बुलाया तो उसने मना कर दिया ।

सुधा के सो जाने के बाद शमिता चुपके से दबे पांव तैयार होकर पार्टी के लिए चली गई।

उसे लगा की शलभ भैया तो पढ़ रहे होगे इयरफोन लगा कर तो किसी को पता नहीं चलेगा , पर शमिता के नाराज होने से शलभ बहुत परेशान था और वो छत पर टहल रहा था ,उसने शमिता को जाते देखा तो जल्दी से नीचे आकर वो भी उसके पीछे हो लिया । 

शमिता पार्टी मैं पहुंच कर मस्त हो गई थी और अपने दोस्तों के साथ एंजॉय कर रही थी , पार्टी बहुत बड़े पब में थी और सभी तरह के ड्रिंक्स वहां उपलब्ध थे , चूंकि शलभ न ही तो अच्छे कपड़े पहना था और न ही इनवाइटेड था तो अंदर नही जा पाया था तो वो शमिता का बाहर ही रहकर इंतजार करने लगा ।

काफी रात तक शलभ यूं ही खड़ा रहा और अतीत की यादों मैं को गया , कैसे सुधा ताई ने उसे कभी महसूस नहीं होने दिया की वो अनाथ है , अपने बेटे की तरह उसकी परवरिश की ओर उसे वो सबकुछ दिया जो एक मां अपने बच्चे के लिए कर सकती है अगर सुधा ताई न होती तो मां पापा के एक्सीडेंट मैं गुजरने के बाद वो किसी अनाथालय मैं पल रहा होता , ताऊ जी भी नही थे ताई जी के साथ फिर भी मेरे लिए उन्होंने अकेले सबकुछ किया , वो कैसे भूल सकता था ये सब इसलिए वो सुधा को मां ही बुलाता था ।

अचानक से शोर सुनकर शलभ का ध्यान शोर की तरफ गया तो देखा कुछ लोग पब से बाहर आ रहे है , उनमे शमिता भी थी और वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी ,उसने पी रखी थी, शलभ फौरन जा कर शमिता को संभालता है तो शमिता शलभ को सामने पा कर चिड़ जाती है उसे लगता है की शलभ भैया मां से शिकायत कर देंगे और उसकी चोरी पकड़ी जायेगी तो वह उसे उल्टा सीधा सुनाती है की वो उसकी जासूसी कर रहा था यहां ।

शलभ शमिता को घर ले आता है , घर आते ही दोनो के होश उड़ जाते है , हुआ यूं था की सुधा को रात मैं दर्द हुआ और उन्होंने शलभ को आवाज दी , कोई जवाब न आने पर सुधा जी खुद उठी बिस्तर से तो गिर गई और बेहोश हो गई , दोनो ही जल्दी जल्दी सुधा को अस्पताल ले जाते है ।


डॉक्टर ने बताया की सुधा जी को माइनर हार्ट अटैक आया था । शलभ का तो बुरा हाल था सोच सोच कर की अगर उसकी बेवकूफी की वजह से मां को कुछ हो जाता तो वो क्या करता ।

शमिता भी बहुत परेशान थी और ज्यादा परेशान ये सोच कर थी की अगर शलभ ने मां को बता दिया तो उस रात क्या हुआ था ।

आज सुधा को घर वापिस आना था , शमिता ने मां के घर आते ही शलभ के लिए बोलना चालू कर दिया की मां आपकी जो हालत हुई है सिर्फ शलभ भैया की वजह से हुई है , उस रात अगर भैया आपकी आवाज सुन लेते तो आपकी इतनी तबीयत ही न खराब होती । 

इतना सुनने के बाद ही शमिता के गाल पर जोरदार चांटा पढ़ता है , और शलभ फूट फूट के रोने लगता है , और सुधा से माफी मांगने लगता है की उसकी वजह से ही शमिता इतनी लापरवाह हुई है , ना वो शमिता की हार बात मानता न आज शमिता का दिमाग इतना खराब होता ।

सुधा जी शलभ को अपने गले से लगा लेती है और कहती है की उन्हे पता चल चुका है की उस दिन तुम घर पर ही नही थे शमिता के पीछे गए थे , शमिता से कहती है की शलभ ने हमेशा बाप बन कर तुम्हारी परवरिश की है इसलिए वो तुम्हे वो सब कुछ करने देता है जरूरी नहीं की भाई सगा हो तभी भाई बने कुछ अनजाने भी सगों से ज्यादा रिश्ते निभा जाते है , शमिता को भी अपनी गलती का एहसास होता है और वो अपने भैया के गले लग जाती है ।

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