पापा,आ जाओ ना एक बार – सुषमा यादव

#पितृ दिवस #मन के भाव  एक बेटी की आंतरिक वेदना,, ,,,,  ,,,,**** कुछ दर्द आंसू बनकर बह जाते हैं,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,***    पापा की मैं दूसरी बेटी थी,, पापा, ने भले ही दीदी को मारा, डांटा हो, पढ़ाई के बारे में,,पर मुझे कभी भी एक उंगली से भी नहीं छुआ,, पापा … Read more

बेटियां बेटी बनकर भी मान बढ़ाती हैं – संगीता अग्रवाल

” ईश्वर की लीला देखिए एक के बाद एक तीन बेटियां आ गई एक बेटा दे देता इनमे से तो जीवन तो सफल हो जाता!” मानसी छोटी बेटी को दूध पिलाते हुए पति देवेश से बोली। ” क्यों चिंता करती है तू मानसी देखना हमारी बेटियां बेटों की तरह नाम रोशन करेंगी !” देवेश ने … Read more

डिनर सेट –  पूजा मनोज अग्रवाल

अरे भई अनीता… आज इतवार है इनके कुछ मित्र रात को डिनर पर आएंगे , घर जाने से पहले वो सफेद काँच का डिनर सेट निकाल लेना और साफ कर डाइनिंग टेबल पर लगा देना । मेरे शब्द जैसे ही अनीता के कानों मे पड़े ,उसने तुरंत ही अलमारी से डिनर सेट निकाला और हर … Read more

‘ दहाड़ ‘ –  विभा गुप्ता

दोस्तों! मैंने इस चित्र को एक नये नज़रिये से देखा है और नारी के दूसरे रूप को अपनी कहानी में दिखाने का प्रयास किया है।उम्मीद है आपको पसंद आएगी। छोटा-सा शहर था साहेबगंज,जहाँ पर साक्षी का घर था।माँ, पिताजी और एक छोटे भाई के साथ वह बहुत खुश थी।उसके पिता साहेबगंज रेलवे स्टेशन में काम … Read more

 तुलना –  अनामिका मिश्रा

रोहिणी ….रोहिणी … ये क्या, तुमने हमसे बिना पूछे नौकरी ज्वाइन कर ली, ये क्या बात हुई,..अपनी मनमर्जी कर रही हो यहां…भाभी कभी इस घर के बाहर कदम नहीं रखतीं, तुम अकेले बाहर जाओगी, जॉब करने, सीखा नहीं भाभी से, एक संस्कारी बहू के गुण! “उसके पति दिनेश उसे कह रहे थे।    रोहिणी चुपचाप … Read more

गूंगी चीख – लतिका श्रीवास्तव

चित्रकथा मां… ओ मां  .. रूक जा …वो फिर चीखी… हृदय विदारक तीव्र चीख  ने  ट्रेन की पटरियों की ओर बढ़ते शालू के कदमों को त्वरित रोक  दिया!  ….ये तो उसी के अंदर से आती हुई आवाज है , वो घबरा सी गई,”कौन है “उसने थोड़ा डर और घबराहट से पूछा….”तेरी अजन्मी बच्ची हूं मां … Read more

जन्मदिन – पूनम वर्मा

“बस दो घण्टे में आ जाऊंगा मम्मी ! प्लीज जाने दीजिए न ।” आशीष अपनी जिद पर अड़ा था । “बड़े हो गए पर समझदारी नहीं आई । घर में सारे लोग भरे पड़े हैं और तुम्हें कॉलेज जाना है ।” मैं भी मानने को तैयार न थी । तभी मेरे पतिदेव ने मुझे इशारे … Read more

मकड़जाल – कंचन श्रीवास्तव’

कल्पना से परे था जो कुछ हुआ पर सहने के अलावा कोई चारा नही इसलिए सहना पड़ा।फिर धीरे धीरे वक्त की धूल जमने लगी। पर मैंने देखा जैसे ही पहली परत बनने वाली थी कि किसी ने आकर उसे उंगली के हटाने की कोशिश की और कामियाब भी हो गई ,पर उतना ही हटा पाई … Read more

वेदना (दर्द) – मीनू जायसवाल

चित्रकथा पहले तो मन में एक ही सवाल आता है वेदना (दर्द) क्या है, तो आइए हम आज थोड़ी सी इसी विषय पर चर्चा कर लेते है, वेदना यानी “दर्द”जो हम सब के हिसाब से आमतौर से शारीरिक चोट पहुंचने से होता है ,लेकिन मेरा अपना अनुभव कहता है की वेदना सिर्फ शारीरिक चोट ही … Read more

पागल – गुरविन्दर टूटेजा

मन_के_भाव  ———–    मेरा दस साल का बेटा अभिमन्यू हँसते हुये घर में घुसा तो मैंने पूछा क्या हुआ इतने खुश क्यों हो…?????   वो बोला मम्मी अपनी कॉलोनी के बाहर मंदिर में एक पागल आया है आजकल वो ऐसी ऐसी हरकतें करता है इसलिये हँसी आ रही थी…!!!!!  मैंने उसे  समझाया कि बेटा ऐसे किसी की … Read more

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