तुलना –  अनामिका मिश्रा

रोहिणी ….रोहिणी … ये क्या, तुमने हमसे बिना पूछे नौकरी ज्वाइन कर ली, ये क्या बात हुई,..अपनी मनमर्जी कर रही हो यहां…भाभी कभी इस घर के बाहर कदम नहीं रखतीं, तुम अकेले बाहर जाओगी, जॉब करने, सीखा नहीं भाभी से, एक संस्कारी बहू के गुण! “उसके पति दिनेश उसे कह रहे थे। 

 

रोहिणी चुपचाप पहले सुन रही थी । 

फिर उसने कहा,”क्यों क्या हुआ? इस घर में जब से आयीं हूं तब से सब की सेवा ही कर रहीं हूं, लेकिन मुझे क्या मिला! किसी की नजर में मेरी कोई कदर नहीं…तुम्हारी नजर में तो तुम्हारी भाभी ही सब कुछ है, उनकी जैसी औरत तो दुनिया में कोई है ही नहीं…लेकिन ये जरूरी नहीं कि तुम्हारी भाभी की तरह मैं भी रहूं!”

आज चुपचाप सब कुछ सहने वाली रोहिणी, जो अकेली रो लिया करती थी, दो बातें सुनकर, आज वो रोहिणी चीख पड़ी थी! आज वो खुद को रोक नहीं पाई।  

रोहिणी की शादी के तुरंत बाद ही ससुराल में चक्रव्युह जैसे बन गया था। रोहिणी अभिमन्यु की तरह उस में फंसी हुई थी। 

उसका पति दिनेश हमेशा उसकी तुलना अपनी भाभी से किया करता था। उसके सास भी यही किया करती थी, बड़ी बहू से छोटी बहू की तुलना करती थी। 

बिचारी रोहिणी सब को खुश करने के लिए उनकी बातें सुनकर उसी रास्ता को अपना लिया करती थी। 


रोहिणी भी अपमान सहकर चुपचाप सबको खुश करने में लगी हुई थी। सास और जेठानी के षड्यंत्र में रोहिणी पिस रही थी ।

अब बच्चे भी हो गए थे। रोहिणी घुट घुट कर रह रही थी । उसकी जेठानी भी इस बात का खूब लाभ ले रही  थी, जैसे चाबुक उसके हाथ में ही था। 

छोटी-छोटी बातों में उसके पति भी ध्यान दिया करते थे। 

वो सोचने लगी…”दिवाली का वो दिन था, उसकी जेठानी ने पकवान बनाए, पर रोहिणी कुछ पकवान न बना सकी क्योंकि वो घर के और सारे काम करके थक चुकी थी, और कुछ बनाने जा रही थी तो वो पकवान बिगड़ गया। 

उसके पति ने कहा, “देखो भाभी से सीखो, कितने तरह के पकवान बनाईं हैं, बच्चों को संभालती हैं,तुम करती क्या हो तुम से कुछ नहीं हो सकता।”

हालांकि पूजा की सारी तैयारी, साफ-सफाई ,घर को सजाना रंगोली बनाना, दीये जलाना, सारा काम उसने अकेले किया था ,बस वो पकवान जो बना रही थी, बिगड़ गया, नहीं  बना सकी। 

इन बातों को याद कर रोहिणी आज चीख पड़ी थी…..और उसने आज कह दिया, “क्यों तुम्हारी भाभी जो कर सकती है मैं क्यों करूं..मैं क्यों बताऊं तुम्हें… ये  मेरी ज़िन्दगी है, और मैं अब अपनी मर्जी से जिऊंगी ….जरूरी नहीं, तुम्हारी भाभी बाहर काम नहीं करती, तो मैं भी ना करूं, वो जो पकवान बनाए, मैं भी वही बनाऊं, वो उनकी जिंदगी जीने का तरीका है, और ये मेरी ज़िन्दगी जीने का तरीका है!”

इधर उसका पति दिनेश आज चीखती हुए रोहिणी को देखकर और कुछ कह ना सका और विचार करने में लग गया। 

 

 अनामिका मिश्रा 

झारखंड जमशेदपुर

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!