निर्णय ——डा.मधु आंधीवाल

सब आ चुके थे रजत की तबियत अधिक बिगड़ती जा रही थी ।उर्बि को कुछ समझ नहीं आ रहा था । वह अपने को बहुत संभाले हुई थी । बच्चे बाहर थे दोनो बेटियाँ और बेटा । सब शाम तक आजायेगे । रजत की लापरवाही से बीमारी बढ़ती गयी ।अभी बच्चों की पूरी जिम्मेदारी थी … Read more

सच्चा साथ – लतिका श्रीवास्तव 

  नई नवेली दुल्हन मानसी  सौरभ के साथ जैसे ही अपनी सासू मां सुनंदा देवी के चरण स्पर्श करने के लिए झुकी ,सुनंदा देवी ने अपने पैर तत्क्षण तेजी से पीछे हटा लिए यह सौरभ की तेज नजरों से अछूता नहीं रहा….मानसी की खूबसूरत आंखों के अनमोल  आंसू उसके हाथो के आश्वासन भरे स्पर्श से पलकों … Read more

*बचपन * – अनु ‘इंदु’

” अरे कानन तुम ? आज़ इतने दिनों बाद याद आई मेरी ? जब से यहाँ से मॉडल टाउन में शिफ्ट हुई हो , तुमने तो मिलना ही छोड़ दिया । चलो दिवाली के बहाने से सही तुम आई तो सही । बहुत सुँदर है बेटी तुम्हारी , कितनी बड़ी हो गई । जब तुम … Read more

पति पत्नी और लॉकडाउन..! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

#वैरी_पिया बड़ा बेदर्दी……. माँ के घर जैसे ही पहुँची हॉल में लगे टीवी पर ऐश्वर्या पर फिल्माया गाना चल रहा था.. हालांकि काफी खूबसूरत गाना है पर जानें क्यूँ सुनकर मन में कोफ्त से भर उठा  था..उस रोज माँ टीवी देख रही थी… मैंने झुककर प्रणाम किया… पैरों पर मेरे हाँथों की छुअन महसूस हुई … Read more

सुबह की पहली किरण – नीरजा कृष्णा

बेला रातभर तेज बुखार में तपती रही थी। पूरा घर परेशान था , डाक्टर की बताई दवाएं किसी प्रकार दी गई थी पर बुखार कहाँ मान रहा था। इसी तरह पूरी रात बीत गई थी, उसने एक मिनट के लिए भी आँखें नहीं खोली थी। सुबह वो कसमसाई थी…शायद बुखार की तीव्रता कुछ कम हुई … Read more

~~वफादारी~~अनुज सारस्वत

भौंऽऽ भौंऽऽ देख कैसे इतराती हुई जा रही मालिक के साथ, ज्यादा ऐशो आराम में पल रही ,लेकिन कुछ भी करले रहेगी तो कुतिया ही ,अरे राॅकी देख तो नखरे इसके इंसान बनने की कोशिश कर रही,हाहाहा भौंऽऽभौंऽऽ“ आलीशान घर में रहने वाली मादा पवेलियन डाॅगी को देखते हुए ,गली के कुत्ते कालू ने अपने … Read more

वो लम्हें जो याद आती रहेंगी: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

हर किसी के मन में कुछ लम्हें खाश जगह बना कर रखती हैं फिर चाहे वह अच्छी हो या बुरी। ख़ुशी वाली हो या तकलीफ से भरी। ऐसी बातें अक्सर तब याद आती है जब आप कुछ उसी तरह की चीज़ें दोबारा होते हुए देखते हैं। मैं बताता चलूँ की ये कोई तकलीफ वाली बात … Read more

बेटी घर की शान, – गोविन्द गुप्ता 

सेठ रोशनलाल शहर के बहुत बड़े आदमी थे,पृरे शहर में उनका मॉन सम्मान होता था, बड़ा खानदान था सेठ जी भी पांच भाई थे, सभी का विवाह हो चुका था , भरा पूरा घर चारो भाइयो की संतानें भी थी सबके एक एक पुत्री थी पर रोशनलाल के चार पुत्र थे, उन्हें बहुत खुशी होती … Read more

आज का सत्यवान – डॉ पारुल अग्रवाल 

डॉक्टर दिनेश चौहान अपनी पत्नी और 6 साल के बच्चे के साथ खुशी खुशी जीवन बिता रहे थे, सब अच्छा चल रहा था। पर कहते हैं ना की समय का चक्र कब घूम जाए पता नहीं चलता।किसको पता था कि कोरोना की दूसरी लहर इतनी भयावह होगी जो सुरसा के मुख की तरह अपने अंदर … Read more

एक-दूजे के लिए – विभा गुप्ता

बैरी.. पिया…बड़ा….          ” तुमसे शादी करके मैं बहुत पछता रहा हूँ।अब तुम्हारे साथ मैं एक मिनट भी नहीं रह सकता।” चीखते हुए दीपक ने कहा। ” तुम जैसे झूठे इंसान के साथ रहने का मुझे भी कोई शौक नहीं है।” दीपा ने भी उसी लहज़े में दीपक की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा। … Read more

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