“भाई-भाभी और भरोसा” – कुमुद मोहन

“हलो! जीजी हो सके तो इस संडे आ जाना”

रीमा के भाई विनय ने सुबह सुबह फोन पर कहा!

रीमा–पर तेरे जीजा जी तो टूर पर गए हैं फिर कभी रख लें?”

विनय—नहीं! संडे ही आ जाओ सीमा जीजी भी आ रही हैं!

सीमा एक साल पहले विधवा हो गई थी अपने बेटे के साथ रहती रीमा के पति एक कंपनी में मैनेजर थे उसका एक बेटा था।

विनय ने लाॅ की पढ़ाई पूरी कर प्रैक्टिस कर रहा था शहर के नामी वकीलों में उसकी गिनती होती थी।

विनय सीमा रीमा के पिता पहले ही चल बसे थे मां ने ही तीनों को पढ़ा-लिखा कर अच्छी परवरिश दी थी।

तीनों भाई बहनों में आपस में बहुत प्यार था।

जायदाद के नाम पर एक घर था जो उनकी मां के नाम था।

तीनों की मां राधा देवी पिछले महीने चल बसी थीं!

जाने से पहले राधा ने अपने बचपन की सहेली शीला की भतीजी सुमी के साथ छः महीने पहले विनय का ब्याह करा दिया था!

सुमी के मां-बाप की जब वो छः साल की थी एक रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी! शीला ने कुछ दिन उसे अपने पास रखा पर पति और सास-ससुर के रोज-रोज के क्लेश के कारण उसे एक अनाथाश्रम में भेज दिया। सुमी देखने में बहुत सुन्दर थी गोरा रंग बड़ी बड़ी आंखें तराशा हुआ बदन लंबे काले घने बाल!



पढ़ाई में भी होशियार!  अनाथाश्रम में उसने अपने सौम्य और विनम्र व्यवहार से सबका दिल जीत लिया था ! जब आश्रम की सब लड़कियां टीवी देखती तब वह किचन में काम कराती।सुमी बहुत कम बोलती हर वक्त डरी सहमी रहती।

विनय के लिए अमीर परिवारों के अच्छे से अच्छे रिश्ते आ रहे थे पर सुमी को देखते ही सबने एक बार में ही उसे पसंद कर लिया।

राधा जब तक रहीं सुमी ने उनकी बहुत सेवा की!  रीमा-सीमा भी जब जब आती वह खुले दिल से उनका स्वागत करती!

संडे को तीनों भाई बहन इकट्ठा हो गए। सुमी ने मां-बाप का बड़ा कमरा रीमा और सीमा के लिए तैयार कर रखा था।

कमरे में उनके मां पापा के साथ तीनों भाई बहनों की बचपन से लेकर अब तक की फोटो लगा रखी थीं। सीमा और रीमा को कमरे में आकर लगा ही नहीं कि उनके माता पिता अब नहीं रहे।

सुमी ने खाने में दोनों की मनपसंद की सारी चीज़ें चुन चुन कर बना रखी थीं।

 

खा-पीकर सब बैठे!  विनय ने कहा”आप दोनों सोचती होंगी मैने आप लोगों को क्यूँ एकाएक बुलाया?”दर-असल इस घर के बारे में बात करनी थी”!

दोनों बहनें एक दूसरे की तरफ हक्की-बक्की सी देखने लगी और सोचने लगीं अभी तो अम्मा को गए महीना भी नहीं हुआ और विनय को घर अपने नाम कराने की क्या जल्दी पड़ गई! विनय से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी! हो सकता है सुमी ने विनय को घर अपने नाम कराने की पट्टी पढ़ाई हो?अनाथाश्रम में पली है ना इसे भाई-बहन के रिश्तों के बारे में क्या पता होगा?



विनय ने कहा”अम्मा ये घर मेरे नाम कर गई हैं पर मै और सुमी चाहते हैं कि इसमें आप दोनों का भी हिस्सा हो इसीलिए मैंने आप लोगों को बुलाया है!”

 

“नहीं नहीं भाई जब मां तुम्हें दे गई हैं उसमें हमारे हिस्से का प्रश्न ही नहीं” कहते हुए सीमा और रीमा का सर शर्म से झुक गया!

“नहीं दीदी!”सुमी ने पहली बार मुँह खोला”घर क्या होता है यह मैंने यहीं आकर जाना मेरे लिए तो मायका भी यही ससुराल भी यही! लड़कियों का मायके से जुड़ाव किस हद तक होता है मुझे यहीं आकर महसूस हुआ रिश्तों की अहमियत को मैंने यहीं आकर जाना।मैं तो बचपन से अनाथ थी  मां  विनय और आप दोनों के प्यार की वजह से मुझे

परिवार क्या होता है पता चला।

जिस घर में बेटियां पली बढ़ी हों ब्याह होते ही उसी घर में उनके लिए एक कोना भी ना हो कहां का न्याय है।

 

जिस घर में बेटियों का बचपन बीता हो जिस आंगन में खेलते-खेलते जवानी में कदम रखा हो  जिस घर में भविष्य के सपने संजोये हों शादी होते ही वो वहाँ मेहमान की तरह क्यूं हो जाए ?जाने कितनी अनगिनत यादें उस घर से जुडी हैं कैसे एक दिन में उन्हें दिल से निकाल कर फेंक दे कोई नही सोचता!



 

इसलिए हम लोगों ने तय किया है कि इस घर में तीनों का हिस्सा होगा।आप लोगों का मायका उसी तरह बना रहेगा जैसे मां पापा के टाइम रहा करता था।”

 

एक अनाथ लड़की ने रिश्तों की ऐसी परिभाषा समझाई जिसे सुन सीमा और रीमा दंग रह गई उन्हें अपनी मां की पसंद पर गर्व हो आया।

 

दोनों ने बढ़कर सुमी को गले से लगा लिया कहा”तुम जैसी भाभी हो तो हम बेटियों का मायका हमेशा आबाद रहेगा”।

घर का बंटवारा करके हमारे आपस के प्यार को मत बांटो!  मां पापा ने हमें ऐसे घरों में दिया है जहाँ किसी चीज़ की कमी नहीं है ! हमें तुम दोनों पर पूरा भरोसा है कि तुम्हारे रहते हमारा मायका कभी हमसे नहीं छुटेगा! बस जब जी चाहे तुम लोग प्यार से बुलाते रहो हम आती रहें और ऐसे प्यार भरे लम्हों को जी भर के जीते रहें! हम दोनों बस यही चाहती हैं।”

“दीदी!मैं आप दोनों का भरोसा कभी टूटने नहीं दूंगी”कहकर सुमी ने दोनों के पांव छू दिये!

दोस्तों

आप में से बहुत से लोग जरूर सोचेंगे आजकल के जमाने में यह नामुमकिन हैं !सुमी जैसी समझ अगर सब में आ जाए तो शायद रिश्ते बिखरने से बच जाएं।भाई बहनों का भरोसा इसी तरह एक दूजे पर बना रहे तो हर घर शायद स्वर्ग बन जाए! 

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#भरोसा

कुमुद मोहन

 

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