एक-दूजे के लिए – विभा गुप्ता

बैरी.. पिया…बड़ा….

         ” तुमसे शादी करके मैं बहुत पछता रहा हूँ।अब तुम्हारे साथ मैं एक मिनट भी नहीं रह सकता।” चीखते हुए दीपक ने कहा। ” तुम जैसे झूठे इंसान के साथ रहने का मुझे भी कोई शौक नहीं है।” दीपा ने भी उसी लहज़े में दीपक की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।

               दो वर्ष पूर्व ही दोनों ने अपने माता-पिता के खिलाफ़ जाकर कोर्ट-मैरिज कर ली थी।शुरु के एक वर्ष तो हँसी-खुशी पलक झपकते बीत गए,फिर छोटी -छोटी बातों को लेकर दोनों के बीच तकरार होने लगी।कभी देर से आने की शिकायत तो कभी चीजों को व्यवस्थित न करने की चिड़चिड़ाहट।नौबत यहाँ तक आ गई कि साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले ये पति-पत्नी अब एक -दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थें।

               अदालत में जाकर दोनों ने डिवोर्स की अर्जी दे दी।जज ने दोनों को छह महीने तक एक-दूसरे से अलग रहने का आदेश दिया।इस अलगाव-अवधि के दौरान दोनों का साथ रहने का विचार हुआ तो ठीक वरना छह महीने बाद उन्हें तुरंत डिवोर्स मिल जायेगा।

             दोनों ही अपनी आज़ादी का जश्न मनाने लगे।दीपक ऑफिस से फ्री होकर रोज अपनी शाम दोस्तों के साथ बिताता।दीपा भी सहेलियों के साथ खूब घूमती और शापिंग करती।

         एक महीना बीत जाने के बाद दीपा को अपनी आज़ादी से बोरियत होने लगी।अब उसे दीपक की याद सताने लगी।कभी वह एलबम निकालकर घंटों दीपक की तस्वीर निहारती तो कभी उन उपहारों को देखती जो दीपक ने उसे दिये थें।दीपक के साथ बिताये लम्हों को याद करके उसके आँसू नहीं थमते।कई बार दीपक से बात करने के लिए मोबाइल फोन पर नम्बर डायल करने के लिए वह हाथ बढ़ाती और फिर न जाने क्या सोचकर रुक जाती।


          दीपक ने भी अब दोस्तों से मिलना छोड़ दिया था।दीपा के बिना उसे अब अपना ही बेगाना-सा लगने लगा था।घर के कोने-कोने में अब उसे सिर्फ़ दीपा ही दिखाई देने लगी थी।किसी ने सच ही कहा है कि प्यार की कशिश तो जुदाई के बाद ही समझ आती है।वह समझ गया था कि वह दीपा के बिना नहीं रह सकता, दोनों एक-दूजे के लिए ही बने हैं।उसने पल भर की भी देरी नहीं की और दीपा को फोन करके कहा कि दीपा,अब एक पल भी मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता,तैयार रहो, तुम्हें अभी लेने आ रहा हूॅ।दीपा तो जैसे दीपक के ही इंतज़ार में बैठी हुई थी।दीपक की आवाज सुनकर उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।उसने घड़ी देखी,रात के दो बज रहें थें, दीपक से बोली, ” अभी तो बहुत देर हो चुकी है दीपक,कल आ..।”

      ” नहीं दीपा, अपने प्यार को समझने में पहले ही मैंने बहुत देर कर दी है,अब और इंतज़ार नहीं..।” उसकी बात पूरी होने से पहले ही दीपक बोल पड़ा।

                                विभा गुप्ता

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