“बंजर होते मन” – कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

“कैसी बात कर रही है भाभी आप” भईया को गए अभी दो महीने भी नही हुए और आप ने अपनी ननद के लिए इतना घटिया सोच लिया। हम बहन, बेटियों के लिए हमारा मायका सलामत रहें, हमारी बस यहीं चाह होती है एक बात और बता दूं भाभी की आपके प्यार ओर सम्मान के अलावा … Read more

आशीर्वाद – अंजू गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

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“संसार में रूप सबके सिर चढ़कर बोलता है” जानवी ने यह अब जाना था। साधारण नैन नक्श पर ह्रदय से कोमल और समझदार बीस वर्षीया जानवी ग्रेजुएशन कर चुकी थी और अब उसके लिए उपयुक्त रिश्ता देखा जा रहा था। पर, उसका गेहुआं रंग और साधारण कद काठी उसके सबसे बड़े दुश्मन प्रतीत हो रहे … Read more

अखंड सौभाग्यवती भव – भगवती सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रवीना की जेठानी रमा का स्वर्गवास बीस दिन पहले हुआ था, और आज जेठ जी रात को ऐसे सोये कि सुबह उठे ही नहीं। उम्र भी पचहत्तर के करीब हो चली थी। शाम तक लोगो का आना जाना होता रहा, क्रिया कर्म के बाद जब रात को थक कर चूर हो बिस्तर पर पड़ी तो … Read more

सबक – शिप्पी नारंग: Moral Stories in Hindi

“पापा जी जैसे कल बात हुई थी, पेपर तैयार हो गए हैं आप साइन अभी करेंगे या फिर बाद में ” शुभ्रा ने अपने ससुर सूरज जी से पूछा जो नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे थे साथ में शुभ्रा के पति मोहित और सासू मां वेदिका सरीन भी बैठी थी । “अच्छा तैयार … Read more

बड़ों का आशीर्वाद –   विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुन…अब कोई बहाना नहीं…तुझे आना ही है।सुमित आर्मी ऑफ़िसर बन गया है, उसे आशीर्वाद नहीं देगी…।”    ” दूँगी…क्यों नहीं दूँगी…मेरे सामने ही तो वह चलना-बोलना सीखा है लेकिन रंजू….।” मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि उधर से आवाज़ आई,” लेकिन- वेकिन छोड़ और…।”   ” ठीक है बाबा…मैं आ रही हूँ…अब … Read more

मोगरे के फूल – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

विश्वनाथ जी स्वयं ,खुरपी लेकर गुड़ाई करने के बाद, पानी का पाइप पकड़ कर सभी पौधों में पानी डाल रहे हैँ। भैय्या  आज तो शाम को रिसेप्शन है…. आज तो रहने देते.. किसी और को.. किसी नौकर चाकर को कह देते। बहन दमयंती ने कह तो दिया, मगर ये अच्छी तरह जानती है कि भाभी,दया … Read more

सबसे बड़ा ज्ञानी  : Moral Stories in Hindi

 “अरे विशेष तुम तो भई अब हमें पूछते भी नहीं…… अपने चाचा से इतनी नाराज़गी किस बात की?”पड़ोस में रहने वाले मुकुल चाचा ने विशेष से कहा जो ऑफिस से आकर अपने घर की तरफ़ जा रहा था  “नमस्ते चाचा जी,ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप सोच रहे हैं…बस आजकल काम की अधिकता की … Read more

अति सर्वत्र वर्जयेत् (भाग 3)- डा.पारुल अग्रवाल: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : उन्होनें ने भी फोन पर चित्रा की कोई बात सुने बिना भाई भाभी की बात मानने की सलाह दी। चित्रा बहुत अकेली पड़ गई थी। वो पूरी रात सोई नहीं थी। अगले दिन सुबह वो पास के एक मंदिर में गई,जहां वो अक्सर जाती थी। वहां उसके भजन और शुद्ध … Read more

अति सर्वत्र वर्जयेत् (भाग 2)- डा.पारुल अग्रवाल: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ऐसे में सरिता जी ने उनको ये कहकर दिलासा दिया था कि बहू अभी हम लोगों के साथ इतना रही नहीं है,इस वक्त पर उसकी मां का ही उसके साथ रहना ठीक है। बात आई-गई हो गई। रिया ने बहुत सुंदर बेटे को जन्म दिया। अब रिया के माता-पिता भी … Read more

अति सर्वत्र वर्जयेत् (भाग 1)- डा.पारुल अग्रवाल: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज मनोहर जी के पास यूएस(अमेरिका) से नीलेश की मां का फोन आया था वो चित्रा का हाथ अपने बेटे के लिए मांग रही थी।नीलेश बहुत ही व्यवहारकुशल लड़का था पर चित्रा तो यूएस या विदेश जाने की बात सुनकर ही सिहर उठती थी। यूएस से आने के बाद चित्रा … Read more

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