ये वादा रहा -पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

पूजाघर से घंटी की आवाज आ रही थी ।मां जी ( कल्याणी जी) आरती  गा रही थी।सुबह उठ कर घर में पूजा करती फिर,बहू वैशाली तब तक नाश्ता तैयार कर लेती, फिर नाश्ता करके मंदिर निकल जाती।  मोहल्ले की उनके उम्र की औरतें मंदिर में जाकर दर्शन करने के बाद मंदिर के पीछे वाले चबूतरे … Read more

आज मां देर तक सो रही है -पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

सीन 1– दादी आज गांव से आई हैं। ओफ्फो  दादी मां कितनी चीजें लेकर आई हैं आप क्या करुं बेटा.. तुम्हारे दादा जी के चले जाने के बाद सारी खेती मजदूरों के सहारे चल रही हैं, कितना कुछ होता है खेत में, आते समय लगता है कितना ले चलूं बच्चों के लिए, यहां तुम्हारे पापा … Read more

वो चार लोग -पूर्णिमा सोनी Moral stories in hindi

वीना अपने छोटे से बेटे नकुल को हाथ पकड़कर घसीटते हुए घर वापस आ रही थी। दिन भर गली के लड़कों के बीच खेलता रहता है.. बस  उधम मचाना… पढ़ने लिखने में तो मन ही नहीं लगता… बड़ा भाई इतना पढ़ने में होशियार है… तुम्हें तो सिर्फ खेलना..रहता है .. हर समय और ये क्या … Read more

प्यास लगने पर कुआं नहीं खोदा जाता – पूर्णिमा सोनी : Moral stories in hindi

कितना अच्छा लड़का मिल रहा है!.. मौसी ने बताया है .. कितनी अच्छी मां हैं लड़के की, कितने प्यार से बात कर रही थीं.. अच्छे से रखेंगी हमारी वर्तिका को….  भई हमें तो पसंद है यह रिश्ता पसंद है.. मैं तो कहती हूं जी, हमें फटाफट शादी की तैयारी करनी चाहिए.. लेकिन मां,मेरा मास्टर्स करने … Read more

मां कहती थी- पूर्णिमा सोनी : Moral stories in hindi

प्रीति ने सभी काम भलीभांति समेट दिए थे। सुबह का खाना निपटाने के बाद चौका साफ कर दिया था। जब तक वो सबको खाना खिला कर, स्वयं खाना खाती, तब तक ( सासू मां) मम्मी जी के चाय पीने का समय हो जाता। उसने चाय का भगोना चढ़ा कर सबको चाय भी पिला दिया… सब … Read more

खुशियों की तलाश! – पूर्णिमा सोनी : Moral stories in hindi

विन्नी  सीढियां चढ़ते हुए ऊपर पहुंची और धीरे से दरवाजे को धक्का दिया, दरवाजा खुला हुआ था अरे आओ.. कब आई पता ही नहीं चला, सरिता जी ने कहा हां, नीचे वाला दरवाजा खुला देखकर मैं समझ गई थी कि आप घर पर ही हैं… विन्नी ने सोफे पर बैठते हुए कहा आज मोलू और … Read more

मां की साड़ी!! – पूर्णिमा सोनी: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – मां बहुत ही ग्रेसफुल तरीके से साड़ी पहना करती  थी। उनके गरिमामई व्यक्तित्व की चर्चा सभी ओर थी मुझे याद नहीं कभी जल्दबाजी में भी वो अच्छे से तैयार ना हुई हों।   बालों का जूड़ा बना कर, साड़ी को सलीके  से पिनअप करके , हाथ में घड़ी लगा कर, … Read more

अब जाकर आंखें खुली हैं!!-  पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आंगन में पड़ी तख्त पर ढेर सारे सामान,सजे पड़े थे। अर्पिता के भैया अंकित अभी – अभी राखी बंधवा कर गए हैं!  यूं तो भैया अपने काम में बहुत व्यस्त रहते हैं… और इस बार तो बोला भी था, मुझे बिजनेस के काम से कहीं निकलना था, तो शायद रक्षा … Read more

मोगरे के फूल – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

विश्वनाथ जी स्वयं ,खुरपी लेकर गुड़ाई करने के बाद, पानी का पाइप पकड़ कर सभी पौधों में पानी डाल रहे हैँ। भैय्या  आज तो शाम को रिसेप्शन है…. आज तो रहने देते.. किसी और को.. किसी नौकर चाकर को कह देते। बहन दमयंती ने कह तो दिया, मगर ये अच्छी तरह जानती है कि भाभी,दया … Read more

बदलते कल की ओर – पुर्णिमा सोनी: hindi stories with moral

hindi stories with moral :मां  रोटी सेंक रही है.. कैसी सोंधी महक उठ रही है,बैंगन का भर्ता और दाल चावल भी।  सभी भाई बहनों को मां ने गर्मागर्म दाल चावल ,भर्ता , उसमें बहुत सारा घी डालकर परोस दिया। बस कौर उठाया ही था कि बाबूजी के आने की आवाज आई… बाबू जी के खाना … Read more

error: Content is Copyright protected !!