पिता का स्वाभिमान- शिप्पी नारंग : Moral Stories in Hindi

“अनूप और प्रिया आए हैं”। ममता जी कमरे में घुसते हुए पति सूरज जी से कहा । सूरज जी ने अखबार चेहरे से हटाकर पत्नी की तरफ देखा थोड़ा गुस्से से पूछा “कौन आया है ?” “आपके बेटा बहू …’और अभी आगे पति से कुछ कहती कि सूरज जी थोड़ी तल्खी से बोले “आता हूं … Read more

जेनरेशन गैप – शिप्पी नारंग : Moral stories in hindi

हरदीप सिंह जी पार्क में बेंच पर बैठे हुए विचारों के सागर में गोते लगा रहे थे उन्हें देखकर ही लग रहा था कि कितना मंथन चल रहा होगा दिल-ओ-दिमाग में।  अचानक कंधे पर एक हाथ पड़ा किसी का उन्होंने एकदम चौंक कर देख सामने बचपन के दोस्त सुरेंद्र जी खड़े थे । “आओ आओ … Read more

टूटने से जुड़ने तक – शिप्पी नारंग : Moral stories in hindi

“सुनो मीतू आज पैकिंग कर लेना कल सुबह निकल लेंगे। अभी मैं भैया के साथ जा रहा हूं।” ससुराल में आए आकाश ने अपनी पत्नी  स्मिता से कहा। अपने साले मुदित के साथ आकाश बाहर निकल ही रहा था कि सासू मां वीना जी की आवाज़ आई “आकाश बेटा ऐसा है तुम पहले जाकर अपने … Read more

विलुप्त होते रिश्ते – शिप्पी नारंग : Moral stories in hindi

“लो वे आ गए सुरेश जी” चंद्र प्रकाश जी ने सामने देखते हुए कहा । सभी पांचो दोस्तों की नजर सामने पड़ी देखा एक हाथ में छड़ी और दूसरे हाथ से एक 10-12 वर्षीय बच्चे का हाथ पकड़े हुए सुरेश जी चले आ रहे थे । ये छह लोगों का एक ग्रुप था जो रोज … Read more

प्रेम… तेरे कई रूप – शिप्पी नारंग : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : गाड़ी के चलते ही सविताजी की आंखे धुंधला सी गईं उन्होंने घबरा कर आंखों को पोंछा लेकिन आंखे थी कि फिर फिर भर जाती थीं और फिर उन्हें समझ आया कि उनकी आंखे आंसुओं से भरी जा रही थी अब ये आंसू सुख के थे या पश्चाताप के उन्हें ही … Read more

प्रतिक्रिया (भाग 2) – शिप्पी नारंग : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अर्चना जी थोड़ी प्रकृतिस्थ हुई । उन्हें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि जो उन्होंने सुना वह सही था या कोई सपना। पति को कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि उन्होंने पत्नी को चुप रहने का इशारा किया और चुपचाप अपनी आराम कुर्सी पर आकर … Read more

प्रतिक्रिया (भाग 1) – शिप्पी नारंग : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अर्चना जी पलंग पर बैठी बड़े मनोयोग से टीवी पर रामायण देख रहीं थी पति भारत जी अपनी आराम कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे ।अर्चना जी पूरी तरह से रामायण में डूबी थी कि अचानक खट की आवाज आई और टीवी बंद हो गया अर्चना जी एकदम चौंक … Read more

एक प्लेट हलवा (भाग 2) – शिप्पी नारंग

सब अपनी अपनी गृहस्थी में मस्त हो गए थे, एक अकेले जगदीश प्रसादजी ही रह गए थे जो सब कुछ समझ रहे थे पर उम्र के इस दौर में अपने आप को असहाय सा महसूस करने लगे थे | दो दिन पहले ही वो जब अचानक घर में घुसे तो उन्हें बेटों व बहुओं की आवाज़ सुनाई दी … Read more

एक प्लेट हलवा (भाग 1) – शिप्पी नारंग

जगदीश प्रसादजी चुपचाप बैठे हुए बड़ी बहू गीता की बातों को सुनते जा रहे थे लग रहा था कि किसी भी समय वो अपना धीरज खो बैठेंगे, पर किसी तरह उन्होंने अपने-आप को काबू में रखा हुआ था | गीता थी कि अनवरत बोलती जा रही थी | बात बस इतनी सी थी कि पिछले ३-४ दिन से जगदीश प्रसादजी … Read more

बेटों की मां (भाग 2) – शिप्पी नारंग : Short Hindi Inspirational Story

मुझे सुनकर बहुत अच्छा लगा फिर मैं इधर उधर नजर दौड़ाने लगी तभी एक कुर्सी पर बैठी एक महिला पर नजर पड़ी जो आंखों में चश्मा चढ़ाए अखबार में डूबी हुई थी उन्हें देखकर मेरे जहन में किसी की तस्वीर आ गई और फिर मैंने अपने आप ही “ना” में सिर हिला दिया वो भला … Read more

error: Content is Copyright protected !!