मेरी प्रेम कहानी ( भाग 1 ) – दुर्गा खीर

12वीं पास किया अच्छे खासे परसेंट भी बन गए थे। First   डिवीजन पास हो गई थी। फिर सोचा कंप्यूटर कोर्स कर लु हालांकि स्कूल में कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं था। एक अच्छी मेरी दोस्त थी जिसके साथ में हर बातें शेयर करती थी।एग्जाम के बाद हम भी बिछड़ गए हैं कंप्यूटर कोर्स किया। हमारे … Read more

पहलू- कंचन श्रीवास्तव 

तमाम लोगों के घरों की कहानियां सुनकर रमेश को बड़ा आश्चर्य होता था। कि कैसे लोग रहते हैं आखिर सब कुछ पहले जैसा ही तो रहता है ,फिर ऐसा क्या होता है कि सब तितर बितर हो जाता है। और दूसरे ही पल दादी और मां के रिश्ते को लेके उसका मन खट्टा हो जाता। … Read more

दो सखी – मीना दत्ता

लिली शहर की किशोरी अभी इंटर में पढ़ती थी।उसकी माँ और पिता के बाल नुचने से बच तो गए लेकिन हार माननी पड़ी उन्हें। गांव के परिवार जन कहते ” बेटी सत्रह की हुई ..दिखती नहीं ?हाथ पीले करो ।मेरी बेटियों का नंबर आये ये लिली जाय तो।” लिली रानी गांव से परिचित थी ।परिचय … Read more

कर्ज….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

ऑपरेशन थियेटर से आती जाती नर्सों को रोक कर सुमन बार बार यही सवाल कर रही थी,बहन बाबूजी ठीक हैं न,कुछ होगा तो नहीं उन्हें,सभी नर्स उसे बस यही जवाब दे कर आगे बढ़ जाती ऑपरेशन चल रहा है अभी कुछ कहा नहीं जा सकता बहुत खून बह चुका है और चोट भी काफी गहरी … Read more

जन्नत की चाबी – नीरजा कृष्णा

शहर में बहुत बड़े कथावाचक और समाजसुधारक संत बनवारीलाल जी पधारे हुए हैं। उनके विषय में प्रचलित है ….वो कथाओं के माध्यम से  जीवनोपयोगी सारगर्भित बातें बहुत साधारण तरीके से समझा देते हैं। सेठ  घनश्यामदास जी के घर में भी चर्चा हुई। इधर उनके घर में कुछ ना कुछ परेशानी पसरी ही रहती थी। सब … Read more

ज़रूरत – डॉ रत्ना मानिक

पूरे आंगन में लोगों की भीड़ लगी हुई थी। तिल धरने की भी जगह न थी।अंदर के कमरे में माँ दहाड़े मार-मार कर ,छाती पीट-पीट कर रोये जा रही थीं। पापा आंगन में ही एक किनारे तख़त पर विक्षिप्त की सी अवस्था में बैठे हाथों की अंगुलियों पर  बुदबुदाते हुए जाने क्या गिन रहे थे।न … Read more

जीवन की डोर – तृप्ति उप्रेती

अशोक एक फैक्ट्री में क्लर्क के पद पर कार्यरत था। घर में उसकी मां विमला जी और पत्नी गीता थे। अशोक के विवाह को एक साल हो गया था। अब विमला जी पोता या पोती के संग खेलने की प्रतीक्षा कर रहीं थी। अशोक की आमदनी कम थी इसलिए वह अभी बच्चे के लिए तैयार … Read more

बच्चो को ना…ना बाबा ना – पूजा मनोज अग्रवाल

      संयुक्त परिवार की बड़ी बहू हूं मैं , सास – ससुर  , मैं , मेरे पति ,मेरे देवर – देवरानी और हमारे परिवार के  भोले – भाले 3 बेटे और सीधी -साधी 1 बेटी …. हमारे परिवार में बहुत प्यार है,  तो ये चारो बच्चे हमारे साझे के हैं । न तेरे  ना मेरे ……हमारे  … Read more

ननद नहीं बहन है मेरी – अनुज सारस्वत

#ननदरानी  “अरे छुटकी देख बुआ हूं मैं तेरी बोल बुआ” अनामिका ने अपने छोटे भाई की नवजात बिटिया को हाथ में लेते हुए प्यार से दुलारते हुए कहा, आज अनामिका बहुत खुश थी उसके चहेते  भाई के बिटिया जो हुई थी, खुशी के मारे पागल हुए जा रही थी सबको बोल रही थी, वहीं पड़ोस … Read more

ननद का हक –   मुकुन्द लाल

 शोभा की शादी के बाद तुरंत ही विदाई होने के पहले पारम्परिक रीति-रिवाज के अनुसार उसके बक्से को नये-नये कपड़ों, उपहारों व अन्य जरूरी सामानों से रिश्तेदारों द्वारा सजाया जा रहा था। उसी क्रम में उसकी मांँ कागजों में लिपटा एक चौकोर छोटा सा बंडल बक्से में रखने लगी तो वहीं पर खड़ी मुआयना करती … Read more

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