कर्ज….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

ऑपरेशन थियेटर से आती जाती नर्सों को रोक कर सुमन बार बार यही सवाल कर रही थी,बहन बाबूजी ठीक हैं न,कुछ होगा तो नहीं उन्हें,सभी नर्स उसे बस यही जवाब दे कर आगे बढ़ जाती ऑपरेशन चल रहा है अभी कुछ कहा नहीं जा सकता बहुत खून बह चुका है और चोट भी काफी गहरी है .!!

और खून चाहिए तो ले लो पर बाबूजी को बचा लो..कतरा कतरा उनका कर्ज है मुझपर..!

नहीं नहीं आपने पहले ही अपनी क्षमता से ज्यादा अपने शरीर का खून दे चुकी हैं,अब ज्यादा लिया तो आपकी जान भी खतरे में आ सकती है,बस आप भगवान से प्रार्थना करें….!

यह कह कर नर्स ऑपरेशन थियेटर में चली गयी.!

और सुमन…भगवान..??

कैसे कहती वह उससे कि उसका भगवान तो अंदर ऑपरेशन थियेटर में ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है,कैसे कहती वह कि अगर आज वह जिंदा है तो इसी भगवान के कारण जिसने कभी बहती गंगा में कुद कर उसकी जान बचाई थी वरना उन जालिमों ने तो उस कहर वाली रात कोई कसर न छोड़ी थी.!

कितनी भयावह रात थी वह जब उन दरिंदो ने उसके साथ…!

सोच कर ही रूह कांप गयी सुमन की.!

उस रात जब उसे होश आया था तो स्वयं को आनंद के घर बिस्तर पर पड़ा पाया था ख़ुद को सुमन ने.!



आनंद ने बताया कि कैसे वह रात गंगा में किसी लाश की तरह बहती जा रही थी और कैसे उसने उसे कूद कर बाहर निकाला था.।

क्यूँ निकाला बाबूजी मर जाने देते…!

नहीं ऐसा नहीं कहते ज़िंदगी बहुत मुश्किल से मिलती है उसे हर हाल में जीना सीखो…!

कहीं का तो नहीं छोड़ा था उन जालिमों ने,किसी को मुह दिखाने लायक नहीं रखा मुझे,अब जी कर भी क्या करूँगी,फिर उसने सारी बात आनंद को बतायी..!

किस तरह गांव के मुखिया के बेटे रघुवीर जिसे वह दिलों जान से प्यार करती थी अपने दो साथियों के साथ शहर घुमाने के बहाने उसे गांव से शहर ले आया,फिर अगले ही दिन नशे में धूत तीनों ने मिलकर उसके साथ बेरहमी से बलात्कार किया और अचेत अवस्था में ही मर गयी समझ बहती गंगा में फेंक दिया.!

ओहहह… तुम गांव की लड़कियां भी न..

पास खड़ी आनंद की पत्नी आरती बोल उठी..

सुमन ने भरी नज़रों से आरती को देखा..

सुमन को होश आया देख आनंद ने कहा..

चलो मैं तुम्हें तुम्हारे गांव छोड़ आता हूँ..तुम्हारे माँ बाबा नाहक परेशान हो रहे होंगे..!

सुमन ने व्याकुल हो दर्द भरे स्वर में कहा.!

नहीं नहीं….!! मैं नहीं जाऊँगी..

 

माँ बाबा तक की तो न सोची मैंने..मेरे घर भागने से उनकी ईज्जत गई सो अलग..!

वो नहीं स्वीकार करेंगें मुझे..!

यहीं पड़ी रहने दो मुझे मर-मर कर जी लूँगी किसी तरह…!

झाडू पोछा कर लूंगी..बीवी जी के कामों में हाँथ बटाऊँगी..

आनंद पत्नी की ओर देखने लगा…

आरती भी थोड़ी सोच में थी…

पर वो लोग तुम्हें ढूँढ रहें होंगे….

तुम्हारे माँ बाबा को चिंता हो रही होगी तुम्हारी..

कमसे कम पता तो दो मैं खबर कर दूँ तुम्हारी….

नहीं उन्हें मुझे मरा समझने दो…

मुझे मत भेजो भैया….

पर….??

आरती परेशान थी….

बीवी जी विश्वास दिलाती हूँ आपको परेशानी नहीं होगी….

नहीं हुआ तो कहीं और रह लूँगी पर गाँव बापस नहीं जाऊँगी….

वैसे भी वो मुझे जिंदा नहीं रहने देंगे न ही मैं उनका सामना कर सकूँगी…

जैसी तुम्हारी इच्छा..कह कर आनंद दूसरे कमरे में चला गया…पीछे पीछे पत्नी आरती भी आ गयी…क्या बात हुई….

दोनों ने सुमन को साथ रख लिया….

आज वही आनंद बाबू ऑफिस से आते वक्त कार से दुर्घटना ग्रस्त हो गये और बुरी तरह जख़्मी हो गयें थे,काफी खून बह गया था उनका,वो तो ईश्वर का शुक्र था कि सुमन भी उस वक्त बाजार में ही थी और भीड़ में आगे बढ़ कर आनंद बाबू को देख लिया समय कम था कि आरती को खबर कर सके अतः जल्दी से पास के ही अस्पताल में ले आयी थी.!

अपने शरीर का एक एक बूंद लहू दे डाला था उसने आनंद बाबू की ज़िंदगी बचाने के लिए जो एक कर्ज था आनंद बाबू का उसकी चलती साँसो पर.!

तब तक अस्पताल से उसके खबर करने पर आरती भी दौड़ती भागती अस्पताल पहुँच गई थी..



उसने अपना परिचय दे नर्स से आनंद का हाल जाना…

उनका अंदर ऑपरेशन चल.रहा है

सुमन के बारे में पूछा…

नर्स ने बगल वाले कमरे की ओर ईशारा किया…जहाँ सुमन बिस्तर पर लेटी थी..

नर्स ने आरती से कहा कैसे उसने समय पर आनंद को खून देकर उसकी जान बचायी थी..

आरती सुमन के कमरे में गई…और दौड़कर उसके गले से लिपट ..खूब रोयी.. सारा हाल बताया…

ईश्वर का शुक्र था थोड़ी देर बाद ही एक नर्स ऑपरेशन थियेटर से बाहर आई और आरती से कहा अब चिंता की कोई बात नहीं ऑपरेशन सफल रहा और आपके पती अब ठीक हैं.!

क्षण भर को ही सही सुमन ने चैन की सांस ली पर उसकी आंखों में खुशी की चमक साफ झलक रही थी…

और आरती के मन में….अपनी मुहबोली ननद के प्रति कृतज्ञता के भाव…जो उसके आँसूओं में साफ झलक रहें थे….शायद उसकी अपनी ननद भी होती तो ….क्या…?

सोच रही थी आखिर कैसे उतारेगी वो…ननद का कर्ज..

मन को काबू कर…

दौड़कर दुबारा सुमन को गले लगा लिया…

विनोद सिन्हा “सुदामा”

 

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