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ननद नहीं बहन है मेरी – अनुज सारस्वत

#ननदरानी 

“अरे छुटकी देख बुआ हूं मैं तेरी बोल बुआ” अनामिका ने अपने छोटे भाई की नवजात बिटिया को हाथ में लेते हुए प्यार से दुलारते हुए कहा, आज अनामिका बहुत खुश थी उसके चहेते  भाई के बिटिया जो हुई थी, खुशी के मारे पागल हुए जा रही थी सबको बोल रही थी, वहीं पड़ोस की एक आंटी ने ताना मारा “तू कब अपना घर बसायेगी जीवन भर यही रहना है क्या 38 की हो चली, कब अपने बच्चे पालेगी” अनामिका थोड़ी देर विचलित हुई और खुद को संभालते हुए बोली “आंटी आप चिंता मत करो भगवान की रजा में राजी हूं मुझे शादी का कोई शौक नहीं है यह मेरी अपनी इच्छा है और कोई भी समाज का ठेकेदार मुझे विचलित नही कर सकता” बस इतना कह कर मुस्कुरा कर चली गई अपनी भतीजी को गोद में उठाते हुए बाहर ,फिर उस आंटी का बड़बड़ाना कम नहीं हुआ उसने हॉस्पिटल में बेड पर लेटी उसकी भाभी मंजू से कहा “बहू तू क्यों नहीं समझाती है इसे, तू भी तो घर छोड़ कर आई है यह समाज ऐसे नहीं चलता ,बताओ कुछ टाइम बाद तो कोई शादी की भी ना करेगा और करेगा भी तो विधुर होगा बच्चों वाला होगा”मंजू ने उस आंटी से कहा” एक बात बताइए आपको सबसे ज्यादा कौन सी सब्जी नापसंद है “



“अरे इस बात का सब्जी से क्या लेना देना “वह आंटी तपाक से बोली फिर बहू ने कहा “आप बताओ तो” “मुझे करेला नहीं पसंद है” वो आंटी बोली नाक सिकोड़ते हुए बोली,” यही मैं आपको समझाना चाह रही हूं कि वह चीज किसी को नहीं पसंद उस काम को नहीं करता,अनामिका दीदी के साथ भी यही है” फिर उस  आंटी ने समाज का भय दिखाते हुए कहा “अरे बिना बाप की बेटी है ,भाई तो अपनी बहू लेकर अलग रहते हैं कौन पूछेगा मां बेटी को घर में अकेली रहती ,तू तो बोल रही है अभी लेकिन अभी 10 दिन  तेरे यहां चली जाएगी, तो तुझे ही आफत लगेगी, कहां से आ गई ,सारा प्यार खत्म हो जाएगा ,आई बड़ी” अब मंजू पर रहा नहीं गया और डिलीवरी के दर्द को दरकिनार करते हुए बोली

” ऐसा है  पहले तो आप यह बताइए आप बधाई देने आई है या परिवार में लड़ाई कराने ,आप होती कौन हो ऐसा बोलने वाली ” मंजू की सासू मां  उसे चुप करा रही थी कि “बेटी तू क्यों अपना दिमाग खराब कर रही है ऐसे समय में चुप हो जा “फिर मंजू बोली “नहीं मम्मी जी बहुत चुप हूं समाज ने दिया ही क्या है सिवाय दुख के ,यह लोग जानते ही क्या है दीदी के बारे में ऐसे लोग ही अफवाह फैलाते हैं ,वह घर बर्बाद करते हैं ,तो आंटी आप अब सुनो ,दीदी वह देवी है जिनके चरण किसी के घर में पड़े वह घर धन्य हो जाता है, त्याग और बलिदान की मूर्ति है,  हर विषय में फर्स्ट क्लास मास्टर डिग्री B.ed और खुददार लड़की है, वह अपना कमाती हैं खर्च करती हैं, मुझे 10 साल हो गए इस घर में आये हुए, आज तक उन्होंने दोनों भाइयों से कुछ भी नहीं मांगा ,उल्टा जब भी छोटे भाई जाते हैं अपने छोटे से पर्स  से पैसे निकाल कर रख देती हैं भाई के हाथ, अगर कमा भी नहीं रही होती तो भैया भाभी जिंदा है वो नंद ही नहीं बहन है हमारी,यह तो बहुत छोटी बातें हैं देखिए अब बताती हूँ,  इन्होंने ना जाने कितनी लड़कियों के जीवन को बचाया है , प्यार के नशे में धोखा खाकर गलत कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाती थी ,सबको प्यार दिया समझाती है ,और सुनना है तो सुनो आप, अपने दोनों भाइयों को नौकरी के लिए कहा बाहर जाओ मैं हूं मम्मी की देखभाल के लिए,  अब मम्मी की तबीयत खराब रहने लगी है पापा जी की यादें जुड़ी हैं इस घर से इसीलिए घर छोड़ना नहीं चाहती हैं, दोनों भाई बहुत कह चुके साथ चलने के लिए, शादी करके बच्चों का ही सुख होता है ना ,उन्हें भाइयों के बच्चों से मिलता है ,इतना प्यार तो हम भी नहीं करते जितना प्यार वो  लुटाती हैं, हर किसी को खुश कर देने वाली बात ही करती है, ना किसी का दिल दुखाती है, किसी ने अपना जीवन ऐसे चुना है तो हमें उसका सम्मान करना चाहिए ना कि उलाहना देके,और रही बात आपकी सोच की  तो वह आपकी मानसिकता को दर्शाता है ,कि कितनी खराब सोच है आपकी “

“भाभी क्या हुआ , इतना गुस्सा क्यों कर रही हो”

अनामिका अंदर आते हुए बोली।

“अरे कुछ नहीं दीदी कुछ लोगों को सच बता रही थी ,आंखों से आंसू पोछते हुए मंजू बोली, उधर वह  आंटी बड़बड़ाते हुए निकल गई कि “दोनों ननद भाभी पागल है” इधर मंजू ने  अनामिका को गले से लगा लिया ।

-अनुज सारस्वत की कलम से

(स्वरचित एवं मौलिक रचना)

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