समयच्रक – रोनिता कुंडु : Moral stories in hindi

मम्मी जी.. मैं अपने मायके जा रही हूं… मम्मी की तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई है… भैया उन्हें अस्पताल भी लेकर गए थे और अभी-अभी उन्हें घर लेकर वापस आए, मुझे तो पहले कुछ बताया ही नहीं… अभी भैया की भी खबर लूंगी इतना कुछ हो गया और मुझे बताना जरूरी नहीं समझा भैया ने… काजल ने अपनी सास कुसुम जी से कहा…

 कुसुम जी:   हां तो तुम्हारे भैया समझदार है पर तुम्हें इतनी समझ कहां..? यूं बात पर मायके नहीं जाते तुम्हें तो बस अपने मायके जाने का बहाना चाहिए… तुम्हारे भैया भाभी है ना वहां तुम्हारी मम्मी के पास फिर तुम्हारे वहां जाने से क्या तुम्हारी मम्मी के साथ चमत्कार हो जाएगा..? इस उम्र में छोटी-मोटी परेशानियां तो लगी ही रहती है और शायद छोटा-मोटा ही कुछ हुआ होगा, तुम्हारी मम्मी को, तभी तुम्हारे भैया ने तुम्हें बताना जरूरी नहीं समझा… अब ज्यादा दादी बनने की जरूरत नहीं… बात हो गई ना तुम्हारी… तुम्हारी मम्मी अब घर भी आ गई है फिर तुम्हें वहां अब जाने की क्या जरूरत है..? 

काजल:   मम्मी जी… मेरी मम्मी अभी-अभी हॉस्पिटल से लौटी है और आप कह रही है मेरे वहां जाने की क्या जरूरत..?

 कुसुम जी:   तुम्हारे भैया ने तुम्हें बुलाया है क्या..? नहीं ना..? इसका मतलब यह हुआ कि इतने आनन फानन में जाने की कोई जरूरत नहीं… फोन पर ही पूछ लो ना कि क्या हुआ..? कैसी है..? देखना पक्का तुम्हारे भैया कहेंगे कुछ नहीं बस जरा सा शुगर या प्रेशर बढ़ या घट गया होगा… अभी ठीक है… तू चिंता मत कर… 

काजल:   मम्मी जी आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती है..? बस इसलिए कि मेरे भैया ने मुझे आने के लिए नहीं कहा तो मैं यह मान लूं कि मम्मी बीमार नहीं है… मम्मी जी भैया ऐसे ही मम्मी के लिए परेशान होंगे तो वह मुझे भी परेशान नहीं करना चाहते होंगे इसलिए आने को नहीं कहा और कौन अपनी तबीयत के बारे में बोलकर कहता है कि जल्दी आजा..? यह तो हमें समझना होता है कि हमारे वहां कितनी जरूरत है..? 

कुसुम जी:   देखो काजल अभी तो तुम नहीं जा सकती, क्योंकि तुम तो चली जाओगी पीछे से मेरे बेटे को भी परेशान करोगी और मैं खूब समझती हूं ऐसे में जो चली गई तो, मम्मी की तबीयत का बहाना बनाकर वहीं बैठी रहोगी… पहले तुम अपने भैया को फोन लगा कर मेरे सामने पूछो कि क्या हुआ समधन जी को..? फिर यहां से जाने मिलेगा 

कुसुम जी के इस बात पर काजल अपने भैया को कॉल कर स्पीकर पर फोन रखकर कहती है… हेलो भैया आ गए घर..? अब कैसी है मम्मी..?

रमन (काजल के भैया):   ठीक है अभी पहले से बेहतर है…

 काजल:  हां मैं अभी निकल रही हूं घर से, शाम तक पहुंच जाऊंगी 

रमन:   तुझे ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं… अभी मम्मी बिल्कुल ठीक है… हम है ना… अगर कुछ हुआ तो तुझे बुला लेंगे… रमन यह सब कह ही रहा होता है कि कुसुम जी काजल से फोन लेकर कहती है… देखो बेटा अभी मैं भी तुम्हारी बहन को यही समझा रही थी… कि ठीक हो ठीक ही होगी समधन जी… तभी तुमने उसे नहीं बुलाया… पर फिर भी यह जाने के लिए मुझसे बहस कर रही है… जबकि घर पर अभी अरमान भी नहीं है 

रमन बात को संभालते हुए काजल से कहता है… काजल तुम आंटी जी की बात को क्यों नहीं मान रही..? कह तो रहा हूं मम्मी ठीक है बड़ों से ऐसी बहस नहीं करते… उसके बाद रमन फोन रख देता है… काजल भी चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है… पर वह अंदर ही अंदर गुस्से में जलने लगी… उसे बड़ा बुरा लगा कि आज उसकी बीमार मां को भी देखने के लिए मम्मी जी ने इतना हंगामा किया… जबकि वह अपनी ससुराल की जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाती है… खैर उसने खून के घूंट पीकर इस बात को जाने दिया… फिर कुछ दिनों बाद कुसुम जी को अचानक चक्कर आ गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी… उन्हें काजल ने किसी तरह एंबुलेंस बुलाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया… फिर अरमान को कॉल कर बुलाया… अरमान भी हॉस्पिटल आ गया… थोड़ी देर में कुसुम जी को होश आया तो वह अपनी बेटी तारा को बुलाने को कहने लगी… अरमान ने तारा को जब फोन किया… तब तारा उस वक्त ना आकर अगले दिन आई, उसे देखकर कुसुम जी कहने लगी… अब आ रही है..? कल ही तेरी मम्मी मर गई होती तो, आज किससे मिलती..? 

तारा:   क्या करूं मम्मी..? मैं तो कल ही आ रही थी पर आप तो जानती ही हो मेरी सास को..? कहने लगी तेरे भैया भाभी तो है वहां, फिर तेरा वहां क्या काम..? इस उम्र में तो यह सब आम बात है फिर बात बात पर मायके जाना सही नहीं… ज्यादा कुछ होता तो तेरे भैया कहते ही ना..?

 कुसुम जी:   क्या..? ऐसा कहा समधन जी ने… फिर तुम यहां कैसे..?

 तारा:   वह तो मैं लड़कर आई… मेरी सास ने सोचा होगा कि वह मुझे दबा देगी पर वह मुझे नहीं जानती, जो अपने पर आ गई तो जीना मुश्किल कर दूंगी उनका… मुझे नहीं पड़ी किसी की मम्मी… बस फिर क्या आ गई… अब आप यह सब छोड़ो बताओ आप कैसी हो..? 

तारा की बातें सुनकर कुसुम जी अब ऊपर से भले ही ठीक हो, पर अंदर से पूरी तरह बिगड़ चुकी थी.. अब इसे समय चक्र कह ले या समय की मार, के आज वह काजल की मम्मी की जगह थी और तारा काजल की जगह… पर फर्क यह था कि तारा ने अपने सास के साथ जो किया वह काजल ने नहीं किया… अगर उस दिन काजल ने भी तारा के जैसे ही किया होता तो आज उनकी इज्जत कहां रहती..? यह सब सोच कर कुसुम जी रोने लगी और फिर वह काजल को बुलाकर उसे गले लगा कर माफी मांगने लगी… काजल भी बात को संभालते हुए उन्हें आराम करने को कहती है… 

कुसुम जी:   बेटा माफ कर दे मुझे.. बड़ी ज्यादती की है तेरे साथ… पर आज जब मेरे साथ यह सब कुछ हुआ तब पता चला कि ना तो मैं अच्छी मां बनकर अपनी बेटी को अच्छे संस्कार दे पाई… और ना ही एक अच्छी सास की किरदार निभा पाई… पर अब से सिर्फ जो सही वही करूंगी और अभी तारा से कहना चाहती हूं यह तू किस तरह से बात कर रही थी अपने सास के बारे में..? अगर उन्होंने तुझे रोका तो तू कोई और रास्ता निकलती… पर अपने से बड़ों का कोई ऐसे अपमान करता है क्या..? मैंने तुझे कभी यह तो नहीं सिखाया…

 तारा जोर से हंसने लगी और कहा… मम्मी अच्छी सास का तो पता नहीं पर अच्छी मम्मी आप हमेशा से ही थी… यह सब तो नाटक था आपके अंदर से अच्छे मम्मी को निकाल कर उसे अच्छी मम्मी जी से मिलवाने की…

 कुसुम जी:   यह सब क्या कह रही हो तारा..?

तारा:   मम्मी उस दिन जब आपने भाभी को उनके मायके जाने नहीं दिया, उस वक्त भाभी को मैंने कॉल किया था और उनका मूड ऑफ सुनकर उनसे उनका कारण पूछा, तब से अब तक आपको किस तरह समझाया जाए यही सोच रही थी और देखो उसका मौका भी मिल गया.. मैं तो कल ही यहां आ गई थी जब आप बेहोश थी… पर आपके सामने आने का नाटक आज किया और यह सारी कहानी बताई ताकि आपको अपनी गलती का एहसास हो सके….

 कुसुम जी:   चलो यह अच्छा हुआ वरना मुझे यूं कह कर समझाना तो शायद ही मुश्किल होता… वह क्या है ना जरा जिद्दी किस्म की इंसान में आती हूं मैं… फिर वहां मौजूद सभी हंसने लगते हैं…

धन्यवाद 

#समयचक्र 

रोनिता कुंडु

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