अलिफ लैला -नेकराम Moral Stories in Hindi

मां रात हो गई अलिफ लैला शुरू हो गया मैं शब्बो आंटी के घर जा रहा हूं आकर खाना खाऊंगा मां को बताकर मैं मोहल्ले की बड़ी सी टेलीविजन की दुकान की तरफ चल पड़ा पिछली सप्ताह शब्बो आंटी के घर गया था
तो उनके बच्चों ने मुझे देखते ही टेलीविजन बंद कर दिया था मैं बहुत देर तक गली के बाहर टहलता रहा पहले तो वह बोले अभी हम खाना खा रहे हैं बाद में आना
फिर बोले अभी झाड़ू पोंछा लगेगा फिर बोले अभी हमें बिस्तर लगाना है ऐसे कह कहकर उन्होंने मेरा एक घंटा खराब कर डाला हर सप्ताह की यही कहानी थी और मां समझती थी कि मैं अलिफ लैला देखकर आता हूं —
एक टेलीविजन हमारे घर होता तो हमें पड़ोसियों के घर जाना तो नहीं पड़ता
यही सब सोचते सोचते मैं टेलीविजन की दुकान पर पहुंचा वहा कुर्सी पर एक मोटा आदमी बैठा दिखाई दिया —
मैं दुकान के भीतर पहुंचकर टेलीविजन की कीमत पूछने लगा तो उसने मुझे नीचे से ऊपर तक देखा पतला दुबला शरीर बदन पर एक पतली कमीज पैरों में पुरानी सी चप्पल उसने मुझे देखते ही कहा ,, हां बोल छोकरे क्या
बात है पहले तो मैं खामोश रहा फिर हिम्मत करके बोला साहब हमारे घर टेलीविजन नहीं है मैं भी एक नया टेलीविजन खरीदना चाहता हूं
तब दुकानदार कहने लगा एक टेलीविजन की कीमत साढ़े तीन हजार रुपए है तुम्हारी जेब में कितने रुपए हैं तब मैंने कहा रुपए तो मेरी जेब में नहीं है मगर मैं इंतजाम कर लूंगा क्या तुम मुझे नौकरी पर रख सकते हो तब
दुकानदार बोला तुम तो अभी छोटे हो हम बच्चों को काम पर नहीं रखते रात बहुत हो चुकी है जाओ यहां से मैं दुकान के बाहर खड़ा रहा दुकानदार ने बाहर का फैला सामान दुकान के भीतर रख शटर गिराकर ताला लगा
दिया और अपने घर की तरफ चल दिया मैं दुकानदार के पीछे-पीछे चल पड़ा दुकानदार एक बड़े से मकान के पास रुका और दरवाजे की बेल बजा दी अंदर से कोई सुंदर सी औरत निकलते ही बोली तुम फिर आ गए
खाली हाथ अपना नौकर जमना प्रसाद
एक महीने की छुट्टी लेकर गया है तुमसे कहा था कोई नया नौकर ढूंढ लो घर का काम मुझसे ना होगा मैं दूर खड़ा उनकी बातें सुन रहा था तभी मैं दौड़कर उनके पास आकर बोला नमस्ते आंटी जी ,, काम मैं कर दूंगा
मुझें देखते ही दुकानदार गरजा तू यहां तक भी आ गया तुझे कितनी बार कहूं हम बच्चों को काम पर नहीं रखते तब आंटी ने
मुझसे पूछा क्या नाम है तेरा जी मेरा नाम नेकराम है कक्षा दसवीं में पढ़ता हूं उम्र 16 साल है
उन आंटी ने कहा जब तक हमारा नौकर गांव से नहीं आ जाता तब तक हमारे घर काम करोगे मैंने तपाक से उत्तर दिया जी सब काम कर लूंगा बस मुझे एक नया टेलीविजन खरीदना है
तब आंटी मुस्कुराते हुए बोली सुबह-शाम का काम है दोपहर में तुम्हारी पढ़ाई भी होती रहेगी कल से यहां पर आ जाना मैंने खुश होते हुए कहा सुबह पक्का आ जाऊंगा ,,
मुझे काम करते हुए एक महीना हो चुका था
नेकराम मैं देख रही हूं तू रोज सवेरे घर से चला जाता है और शाम को भी घर से बाहर निकल जाता है कहीं आवारा लड़कों के साथ तो नहीं घूमने लगा अम्मा ने डांटते हुए कहा
मेरी खामोशी देख बहन बोल पड़ी पहले तो नेकराम घर में ही रहता था अब एक महीने से बाहर ही घूमता रहता है बड़े भाई ने भी मौका ना छोड़ा नेकराम को कमरे में कैद करके रखना पड़ेगा तभी नेकराम सुधरेगा अगले
दिन सुबह आंख खुली तो घड़ी में 6 बज चुके थे कमरे में मैं अकेला था दरवाजा बाहर से बंद था मैंने दरवाजा हिलाया मगर ना खुला दीवार पर एक छोटी खिड़की थी जो पड़ोसी की छत की तरफ खुलती थी मैंने एक स्टूल
की मदद से खिड़की को खोला और पड़ोसी की छत पर कूद गया
लेकिन अब पड़ोसी की छत से नीचे कैसे उतरू क्योंकि पड़ोसी की सीढ़ियां तो कमरे के भीतर है भगवान का नाम लेकर मैं सीढ़िओ से नीचे उतर आया कमला आंटी रसोई घर में कुछ पका रही थी उनका सात महीने का
बेटा हर्ष पलने में झूल रहा था मैं दबे पांव आहिस्ता आहिस्ता आंटी के कमरे से बाहर गली में आ गया मौका अच्छा था किसी ने देखा नहीं मैं दौड़कर दुकानदार के घर पहुंचा दोपहर 10:00 बजे वापस घर लौट आया
कमला आंटी दरवाजे पर ही बैठी थी गली में अम्मा दूसरी पड़ोसन से बातें कर रही थी मुझे देखते ही मेरा कान पकड़ते हुए बोली सुबह मैंने जब ताला खोला तो तू वहां कमरे में नहीं था अब आ रहा है मौज मस्ती करके आज
तेरी चमड़ी उधेड़ दूंगी गली में पीटते हुए मुझे कमरे में ले गई भाई दौड़कर रस्सी ले आया बहन ने मेरे दोनों हाथ पैर बांध दिए अब तू कहीं नहीं भाग सकेगा तभी एक मिस्त्री दो-चार ईंटें सीमेंट हथौड़ी वसूली लेकर आया
और जिस खिड़की से मैं भागा था वह खिड़की उसने बंद कर दी लगता है घर के लोगों को पता चल गया होगा कि मैं खिड़की से भागा हूं क्योंकि स्टूल तो खिड़की के नीचे ही रह गया था और खिड़की भी खुली रह गई थी
उस दिन मां ने मुझे खाना खिलाया मगर मेरे हाथ पैर न खोले और कहा नेकराम तू सच-सच बता कहीं गलत काम तो नहीं करने लगा शाम को पिताजी घर आए तो मां ने मेरी शिकायत लगा दी पिताजी ने एक मोटे डंडे से
तबियत से मुझें कूटा जिस्म पूरा लाल हो गया पड़ोसियों ने आकर मुझें बचाया तब पिताजी बोले आप लोग नहीं जानते नेकराम घर से बाहर घूमने लगा है आज इसकी दोनों टांगे तोड़ दूंगा ताकि यह भाग ना सके तभी गली से
एक व्यक्ति दरवाजा खटखटाता हुआ बोला नेकराम का यही घर है पिताजी ने छज्जे से झांका तो एक रिक्शे वाला अपने रिक्शे पर एक रंगीन टेलीविजन रखें जोर-जोर से नेकराम नेकराम पुकार रहा था
तब पिताजी ने अम्मा से कहा लगता है किसी पड़ोसी ने नया टेलीविजन मंगवाया है मगर यह नेकराम को क्यों बुला रहा है
मां ने कहा जाओ गली में पता करके आओ आखिर बात क्या है और टेलीविजन का पता लगाओ कि पड़ोसन ने मंगवाया है भाई ने जवाब दिया कालेराम की किराने की दुकान है खूब चलती है उसी ने मंगवाया होगा
रिक्शेवाले ने अब तक टेलीविजन हमारे घर की देहरी पर रख दिया था
तब मां बड़बड़ाती हुई बोली अरे ओ ,, रिक्शा वाले भैया किसी और का टेलीविजन हमारी देहरी पर क्यों रखते हो उठाओ इसे जिसका है वहां पहुंचाओ तब रिक्शे वाले ने कहा मेरे पास एक रसीद है इसमें इसी घर का पता
लिखा है
और गोपाल नाम लिखा है तब पिताजी बोले गोपाल तो मेरा ही नाम है और पता भी हमारा लिखा है मगर हमने तो कोई टेलीविजन नहीं खरीदा शायद तुमसे कोई भूल हो गई होगी मैं छज्जे पर खड़ा देख रहा था अम्मा बोली
हमारे घर तो खाने को एक दाना नहीं
हम टेलीविजन कहां से खरीद सकते हैं और नेकराम के बापू तो दुकान पर टेलीविजन खरीदने गए भी नहीं इतने में स्कूटर पर दुकान का मालिक आता नजर आया हमारे घर के बाहर स्कूटर रोक दिया और कहा नेकराम ने
पेमेंट कर दी है यह टेलीविजन अब आप लोगों का है नेकराम एक महीने से हमारे घर नौकरी कर रहा था
सुबह शाम कार पर कपड़ा लगाना गमलों में पानी देना और हमारे खूंखार डॉगी को पार्क में टहलाना कोई आसान काम नहीं है पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब करना और घर में किसी को ना बताना बहुत बड़ी बात है
नेकराम ने ही मुझसे कहा था कि घर में मेरी नौकरी की बात किसी को ना बताना वरना मेरी मां को दुख होगा और मां मुझे नौकरी नहीं करने देगी नेकराम ने यह भी कहा था जब टेलीविजन के रुपए इकट्ठे हो जाएं तब यह
टेलीविजन मेरे
पिताजी के नाम पर रसीद काटना घर में पिता के होते हुए मैं रसीद में अपना नाम कैसे लिखवां सकता हूं इसमें मेरे पिता का कहीं सर झुक न जाए मैं भी मोहल्ले वालों को बताना चाहता हूं कि हमारे पिताजी ने भी हमारे लिए
एक नया टेलीविजन खरीदा है गली में भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी शब्बो आंटी और उनके बच्चे भी वहीं मौजूद थे टेलीविजन देखकर उनकी आंखें फटी की फटी रह गई मगर उनके मुंह से आवाज ना निकली उस रात मां ने भी
हमारे साथ घर में बैठकर अलिफ लैला देखा तब मुझें बहुत खुशी मिली 😀
आपने पढ़ी थी फ्रिज का पानी कहानी
एक बार फिर देश के बच्चों के लिए
उस कहानी को टेलीविजन का नाम देकर लिखा गया है
पड़ोसियों से फ्रिज का पानी मांगना कभी मोटरसाइकिल या साइकिल मांगना
यह उनके घर जाकर टेलीविजन देखना
इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए
आओ मेहनत करें अपने परिवार का साथ दे
और सर उठा कर जिये 🙏👍
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना

3 thoughts on “अलिफ लैला -नेकराम Moral Stories in Hindi”

  1. नेकराम जी हूबहू यही कहानी मैंने पढ़ी थी कुछ रोज़ पहले पर तब tv की जगह कूलर था
    वो भी आपकी ही कहानी थी क्या?

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    • Ne kram ji dobara padhne par pata chala aapne hee jaan boojh kar cooler ki jagah is baar TV kar diya hai
      Kshama chahti hoon

      Reply

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