सास का रवैया – अमिता कुचया : Moral stories in hindi

आज नीलम घर लौट रही थी।उसे लग रहा था। समय चक्र भी इतिहास दोहराता है उसे सब एक- एक करके बातें याद आ रही थी जो उसने कल और आज देखा न जाने आने वाला कल क्या दिखाए••••

नीलम वो यादों में खो गई।जब उसकी शादी हुई तो उसे सिर ढकने कहा जाता था।

एक बार की बात है जब उसे उठने में देर हो गई।तो सासुमा ने दरवाजा में बाहर से कुंडी लगा दी।

तब नीलम ने अपने पति दीपक से कहा -“अजी देखिए ये दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा है।”फिर उसने जोर लगाया।तब पर भी न खुला। उसके बाद बालकनी से बाजू वाली चाची को कहा-” चाची जी मम्मी को कह दीजिए कि कमरे का दरवाजा खोल दे।कल से नीलम जल्दी उठा करेगी।”

फिर बाजू से रमा चाची आई, उन्होंने मम्मी से कहा -अरे रज्जो तूने बहू  के कमरे की बाहर से कुंडी क्यों लगा दी।तब रज्जो बोली -बहू को यहां के नियम कायदे तो पता चले।कि सास से पहले उठना चाहिए। उन्होंने फिर कमरे की कुंडी खोल दी।

जैसे ही कमरे से नीलम बाहर निकली तो बड़ी ही सहजता से पूछ लिया- मम्मी अपने बाहर से कमरे की कुंडी क्यों लगाई!

अरे ,ये जीज्जी देखो तो •••हमारी बहुरिया समझी न है।आप  ही इसे समझा दो।तब  दीपक बोला- “क्या मम्मी घर की इतनी छोटी सी बात को बढ़ा रही हो। नीलम की जल्दी उठने की आदत नहीं है ,इसलिए नींद नहीं खुली।तो क्या हो गया?”

तब रमा चाची बोली अभी नयी नयी है ना……

बेटा बहू  की शादी हुई। यहां के माहौल को समझने में समय तो लगेगा ही इसे छोड़ दें।

रज्जो ने कहा- बहू मैं कह दे रही हूं। ऐसा यहां न चलेगा। यहां बड़ों की मर्यादा और नियम कायदे का भी  ध्यान रखना पड़ता है।हम अपनी सास से पहले उठते थे। अब  तुम भी आगे से ध्यान रखना।

नीलम कुछ न बोली उसने हां- हां में सिर हिलाकर रसोईघर की तरफ चली गई।

अब वह सास के अनुसार सब काम करती। उसका एक देवर भी था।उसका भी वह सारा काम करती।सास के नियम कायदे मानते हुए दो साल बीत गए ••••

अब वह गर्भवती हो गई।अब उसे काफी तकलीफ होती। फिर रज्जो जी ताने देने न चूकती। उन्हें अभी  भी सब काम समय पर चाहिए था।

फिर भी वह चू से चा•••  नहीं करती।अब दीपक को उसकी तकलीफ़ देखी नहीं जा रही थी।तो उसने मम्मी से कहा-मम्मी क्यों न कुछ दिन  नीलम को उसकी मां के यहां भेज दें।

तब  उसकी मम्मी ने कहा -“नहीं बेटा जितना काम करेगी बच्चा उतना ही स्वस्थ होगा।”

अब डिलेवरी का समय निकट आ रहा था। तो नीलम को चलने- फिरने, उठने-बैठने में परेशानी होने लगी। कुछ दिन बाद उसे मायके भेज दिया गया।सास ने उसकी कोई सेवा नहीं की।

उसकी सास ने कहा-” हमने भी बच्चे जने है, दीपक बहुत हो गया। मुझे  यहां कितनी परेशानी होती है  ,आखिर मैं कब तक चौंका चूल्हा संभालूं?”

अब उसके छोटे भाई ने भी कहा- “हां हां भैया देखो न मम्मी को कितना काम करना पड़ रहा है।आप को तो भाभी की ही पड़ी है कि उसे आराम मिले।”

तब दीपक ने कहा-” अरे रौनक कैसी बात कर रहा है ,तेरी भाभी को डाक्टर ने आराम करने बोला है••”

अरे भैया यहां मम्मी परेशान हो रही  हैं,वो आपको नहीं दिख रहा है? आपको भाभी की चिंता है,पर मम्मी की नहीं •••मेरी शादी हो गई होती मैं तो मां को बहुत आराम देता ••••

फिर दीपक बोला- ” देखता हूं !आने वाला कल बताएगा तू कितना काम अपनी बीबी से कराता है।”

फिर कुछ दिनों बाद नीलम आ जाती है , उसे चकरी जैसे काम करना पड़ता है। उससे वही उम्मीद की जाती है।जो मुन्ने होने के पहले थी।जैसे उठती थी ,वह वैसे ही उठे।पर अब संभव नहीं हो पा रहा था।वह मुन्ने के कारण रात में सो नहीं पाती थी।अब सासुमा उसे ताने देने लगी।

तब नीलम और दीपक ने अलग होने का फैसला कर लिया। यहां मम्मी भी कुछ न कर पाई।

अब नीलम का मुन्ना तीन साल का हो गया।तब सासुमा ने खुशखबरी दी कि रौनक की शादी तय हो रही है। तुझे दौड़ -दौड़कर काम करना है।सब संभालना है।उस समय वह कुछ नहीं बोली पर दीपक बोला-” मम्मी हम मदद तो करेंगे।पर हम पर निर्भर नहीं होना।अब नीलम उतना ही काम करेगी। जितना उससे बन पड़ेगा।”

फिर कुछ समय पश्चात उसके देवर की शादी हो जाती है।वह भी अपने घर लौट आती है।

कुछ दिन बाद  नीलम को बुलाया जाता है कि पहला त्योहार है,वह आ जाए।वह वहां पहुंचती है तो देखती है ,मम्मी जी सुबह से उठी हुई है। उन्होंने ही चाय नाश्ता बनाया हुआ है, देवरानी अभी तक कमरे से न आई।तब भी वह कुछ न बोली। और

उसने दोपहर का किचन में कोई काम भी  नहीं किया।वह तो तैयार हुई और आफिस चली गई। आखिर देवरानी नौकरी करने वाली और देवर की पसंद की थी। इसलिए उसकी सासुमा की कुछ नहीं चलती थी।

अब त्योहार का नाश्ता बनना था।तो नीलम ने मदद की।अब शाम को देवरानी आफिस से  लौटकर अपने कमरे में आराम करने चली गई।उसे जैसे घर के काम की कोई चिंता ही न हो। जब रात में वह उसके कमरे से अपने कमरे की ओर जा रही थी।तब देवर कह रहे थे।अरे जानू तुम्हें काम की कोई चिंता नहीं होना चाहिए••• जब तक घर में भाभी है, वो संभाल लेंगी।

अब रौनक की बात सुनकर नीलम चौक गयी। फिर उसने सोच लिया वो भी अगले दिन आराम से उठेगी, जब देवर जी की ऐसी सोच है तो उन्हें आईना दिखाना ही होगा।

वह अगले दिन आठ बजे उठी। अब सासुमा ने  घर सर पर उठा लिया ।तब वह बोली- ” जब छोटी  बहू देर से उठ रही है ,तब तो मम्मी जी आप कुछ नहीं बोल रही हो।मेरे लिए नियम कायदे थे।अब क्या हुआ?

अब तो कमरे में खाना खाया जा रहा है और आप चाय नाश्ता बना कर छोटी बहू को खिला रही हो”

!तब सास की बोलती बंद हो गई!इतने में तमतमाते हुए रौनक आ कर कहता है -“अरे भाभी ये क्या लगा रखा है ? रैनी को काम करने की आदत नहीं है ,मैंने मेड लगा रखी है ।अगर मम्मी घर के दो चार काम कर लेंगी तो क्या हो जाएगा?”

तब दीपक आया, वह  भी बोला -अरे यही बात भाभी के लिए तूने क्यों नहीं सोची बोल••••

अब दीपक ने नीलम से कहा- “चलो अब यहां नहीं रहना ,हम अपने घर चलते हैं, जैसा मम्मी को सही लगे करें।जो एक बहू के साथ कुछ और दूसरी बहू के साथ कुछ व्यवहार करें।तो क्यों हम उनके लिए सोचें?

तब उसकी मम्मी ने कहा -बेटा रैनी सर्विस करती है ,इसलिए वह थक जाती होगी ••••

उसके बाद दीपक ने कहा -” जो आपकी बड़ी बहू चौबीसों घंटे सेवा में लगी रहती थी। तब तो आपने न सोचा! आखिर ऐसा क्यों?”

फिर उसकी मम्मी ने कहा-” अरे बेटा छोटी बहू है••• अभी नयी-नयी है न•••

मम्मी अपनी भूल गयी, जब नीलम भी नयी आई थी, तो कैसे  आपने ही दरवाजे पर कुंडी लगाई थी। मुझे आज भी सब याद है।

फिर उसकी मम्मी और रौनक से कुछ बोलते न बना।

तब दीपक ने तालियां बजाकर कहा-” वाह मम्मी वाह क्या सोच है आपकी•••

अब देखते हैं आने वाला कल आपका कैसा होगा ••••फिर फोन करके न बुलाना। काश‌ मम्मी आप ऐसा न करती•••••

इस तरह दोनों चले गए।नीलम घर पहुंचने वाली हो ।अरे अतीत में खो गई क्या••••और फिर वह अपने अतीत से लौट आई। अपने घर के दरवाजे खोल लिए। और मन का गुब्बार भी खुद के घर में शांत हो गया।

दोस्तों -लोगों की ऐसी सोच क्यों होती है ,जो जितना झुके ,उतना उसे झुकाओ। यही नीलम की सास करती रही। और जब दूसरी बहू आई तो चू से चा•• भी नहीं निकलती !ऐसा क्यों होता है?जब बड़े बेटे पर जोर चला सकती है ,तब छोटे बेटे पर क्यों नहीं??? इसलिए अपने घर में ऐसा अपना रौब न दिखाओ  कि बहू बेटे की नजरों में आप ग़लत हो जाए।

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ये बहुत से घर में होता आया है ,बड़ी बहू के प्रति सास का अलग रवैया और नियम कायदे होते हैं जबकि छोटी के आते ही सब बदलने लगता है।

हमें अपनी सोच ऐसी रखना चाहिए कि बड़ी और छोटी बहू के साथ समान व्यवहार और नियम हो।

आपकी अपनी दोस्त

अमिता कुचया

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