रिश्तों की डोर टूटे ना – वीणा सिंह Moral Stories in Hindi

  जूही इंफोसिस में इंजीनियर है, देखने में सुंदर पांच फीट छः इंच लंबी छरहरी, बेहद व्यवहारिक खुशमिजाज और मधुर स्वभाव की है… पर इतना काफी नही है, उसके ससुराल वालों को संतुष्ट करने के लिए… जूही और रोहन पांच साल से एक दूसरे को जानते हैं…. एक हीं कॉलेज से इंजीनियरिंग की.…जूही बेंगलुरु में नौकरी करने लगी

और रोहन पुणे में पेटीएम …. रोहन ने विश्वाश दिलाया की उसके घर वाले खुले विचारों के हैं… उन्हे इस शादी से कोई आपत्ति नहीं होगी… जूही ने रोहन से कई बार आशंका जताई की मेरे परिवार का इतिहास जानकर कहीं तुम्हारे घरवाले… रोहन उसके मुंह पर हाथ रख देता…. ऐसा कभी नहीं होगा. #रिश्तों की डोर कभी नहीं टूटेगी #

रोहन एक सप्ताह पहले हीं सूचना दे दी थी मम्मी पापा छोटी बहन रिया, भाई रमन मामा मामी और मेरी मौसी मौसाजी चाचा चाची सब बंगलुरू जायेंगे.. तुम्हारी मम्मी और तुमसे मिलने.…और फिर हमारी इंगेजमेंट कर वापस आयेंगे… मैं भी समय पर आ जाऊंगा….

जूही को रोहन ने फोन किया जूही मैं दो दिन बाद आ पाऊंगा.…विदेश से डेलीगेट्स आ रहे हैं और बॉस ने कहा है आपका रहना जरूरी है….

जूही अपनी मम्मी और दोनो छोटी बहनों के साथ रोहन के घर वालों से मिलने गई… जूही को देखते हीं पहली नजर में सबने पसंद कर लिया…. अब बात शुरू हुई जूही के पापा और पूरे खानदान के विषय में जानने की…. जूही की मां ने कहा इसके पापा नही हैं और बाकी किसी से मेरा कोई रिश्ता नहीं है… रोहन के घर वाले जूही और उसके परिवार को संदिग्ध नजरों से देखने लगे…. कोई तो होगा आपके ससुराल में.

जूही ने रोहन को मैसेज किया…. रोहन ने फोन किया जूही तुम अपनी मम्मी को फोन दो…मम्मी आप सब कुछ सच सच बता दो…. जरा भी डरो मत…

जूही की मम्मी ने अपनी आपबीती बताई…

                                मैं दार्जिलिंग के चाय बागान में काम करने वाले साधारण से कर्मचारी की बेटी थी… उम्र अठारह साल… अल्हड़ मस्त भोला भाला निर्दोष पहाड़ी सौंदर्य.. चाय बागान के मालिक का बेटा अमेरिका से पढ़ाई कर बहुत दिनों बाद आया था.. अचानक  बागान घूमते हुए उसकी नजर मुझपर पड़ी… वो मेरा दीवाना हो गया..

मैं भी भोली भाली लड़की उसके प्रेमजाल में फंस गई… और फिर उसने एक दिन मंदिर में पुजारी के उपस्थिति में मुझसे शादी कर ली…. मालिक बहुत नाराज हुए…. बहुत हंगामा हुआ…   मैं मां बनने वाली थी…. फिर जूही का जनम हुआ… और फिर उसके बाद नेहा और निधि हुई…तीसरी संतान भी लड़की हुई ये सुनकर जूही के पापा हॉस्पिटल के बाहर से हीं वापस चले गए..

. जूही के दादा चाय बागान बेचकर कहीं और जाने का मन बना लिया था…. तीन बच्चों की जिम्मेदारी.. उम्र भी कम थी…पता चला जूही के पापा वापस अमेरिका चले गए….

जाते जाते जूही के दादा ने मेरे नाम पांच लाख रुपए मुआवजा कहिए या बेटे से छुटकारा के रूप में मुझे दिया…और दार्जिलिंग से मुझे इलाहाबाद पहुंचा दिया…एक किराए का मकान भी ठीक कर दिया…. जाते जाते कहा अपनी पिछली जिंदगी भूल जाओ और नए सिरे से शुरुआत करो… अब मेरा बेटा वापस तुम्हारे पास नहीं आयेगा…कोई उम्मीद मत रखना.. #रिश्तों की डोर जो तुम्हारे और उसके बीच थी टूट चुकी है

हमेशा के लिए.. उसे भूल जाने में हीं तुमलोगों भलाई है.. और वो चले गए.. मैने बहुत संघर्ष मेहनत और कष्ट से अपनी तीनों बेटियों को पढ़ा लिखा कर एक मुकाम हासिल करने में सक्षम बनाया.…जूही इंजीनियर है.. नेहा नेट क्वालीफाई कर पीएचडी कर रही है और निधि बैंक में पीओ है…. मेरा अपना एनजीओ है… ना जूही के पापा ने

आज तक हमारी खबर ली ना मैने कभी उनको तलाशा.. संघर्ष ने मुझे पत्थर सा मजबूत बना दिया है…. यही मेरी कहानी है.. मैं एक पल के लिए बेटी के प्रति चिंतित हो अपने अतीत को छुपाने की कोशिश की… इस भय से की #रिश्तों की डोर कहीं टूटे ना #पर मजबूत डोर भला कहां टूटती है… रोहन का विश्वास मुझे हिम्मत दिया सच बोलने की…

रोहन ने घरवालों से बात कर ली है… कल बंगलुरू आ रहा है…. इंगेजमेंट के लिए…. घरवाले भी राजी हैं… दोनो परिवार कल सगाई की मोहर लगा आशीर्वाद देंगे#रिश्तों की डोर कभी टूटे ना #

#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

Veena singh

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