किस्मत के खेल से कौन बच सका है भला..? – रोनिता कुंडू:Moral stories in hindi

मैंने इनको कुछ टेस्ट किए हैं… कल आकर रिपोर्ट ले जाइएगा.. डॉक्टर ने अविनाश से कहा  

अविनाश: पर डॉक्टर हुआ क्या है इसे..? यह तीसरी बार है जब यूं यह चलते-चलते बेहोश हो गई… डॉक्टर इसलिए तो कुछ टेस्ट करवाए हैं… आप कल आकर रिपोर्ट दिखा जाना.. अगले दिन अविनाश डॉक्टर के पास रिपोर्ट के साथ बैठा था… 

डॉक्टर: रिपोर्ट अच्छी नहीं है… आपकी पत्नी को कैंसर है… पर जिस स्टेज पर है इलाज संभव है… ऐसी हालत में पेशेंट को अपना ज्यादा ध्यान रखना होता है… उसे टाइम से खाना पीना खुद को साफ रखना यह सारे रूटिंग को शक्ति से मनाना होता है.. उसके बाद ही दवाई भी अपना असर दिखाती है…

अविनाश: यह क्या कह रहे हैं आप डॉक्टर..? कैंसर..? सिर्फ चक्कर खाकर ही तो गिरी थी, इतनी बड़ी बीमारी..? मेरे दो छोटे बच्चे हैं उनका क्या होगा..?

 डॉक्टर: देखिए… मैंने कहा ना इलाज संभव है उनके कुछ और टेस्ट करवाएंगे… और हमे ट्रीटमेंट जल्दी शुरू करनी होगी… अविनाश उदास होकर घर आता है… उसे ही यू उदास देखकर उसकी पत्नी सोनम पूछती है… क्या हुआ..? क्या कहा डॉक्टर ने..? 

फिर अविनाश उसे सारी बात बता देता है.. जिसे सुनकर सोनम भी घबरा जाती है… फिर वह अविनाश से कहती है.. आप घबराइए मत, डॉक्टर ने कहा ना की इलाज संभव है और फिर मैं अपना ध्यान रखूंगी.. सब ठीक हो जाएगा… वह यह कह तो रही थी पर उसकी बातें उसकी भावनाओं को छुपा नहीं सकी और उसकी भावनाएं उसके आंसू के रूप में बहने लगी… 

अविनाश: तुम तो अपना बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखती… कितना कहता था, तुम काम के चक्कर में अपने स्वास्थ्य को अनदेखा मत करो… पर तुमने मेरी कभी नहीं सुनी… आज भी तुम अपना ध्यान रखोगी यह मुमकिन नहीं लगता..

 सोनम: यह सच है कि मैं अपना ध्यान नहीं रखती.. पर वह भी मेरे बच्चों के लिए था और आज जो अपना ध्यान रखूंगी… वह भी अपने बच्चों के लिए ही होगा… एक औरत मरने से कभी नहीं डरती… पर वह अपने बच्चों से दूर जाने और उन्हें अकेला छोड़ने से डरती है… आप फिक्र मत करो किस्मत के खेल से कौन बच सका है भला… अगर मेरी किस्मत में ऐसे ही खेलना और लड़ना लिखा है तो मैं लडूंगी… पर बिना लड़े तो हार नहीं मानूंगी… हार जीत तो खेल में होता ही रहता है… अपना काम है खेलने… जो जीत गई तो अपने बच्चों को बढ़ता हुआ देखूंगी और जो ना जीती तो बच्चे को यह सीखा जाऊंगी के बिना लड़े हार नहीं मानते… 

अविनाश: हमें जीतना ही होगा सोनम और इसके लिए तुम्हारा खेलना सबसे ज्यादा जरूरी है…

 उसके बाद से अविनाश सोनम में बड़ा बदलाव देखा है… जहां सोनम कभी सुबह का नाश्ता नहीं करती थी, बस चाय से ही काम चला लेती थी… वही वह सुबह उठकर प्राणायाम करके फल खाने बैठ जाती… वह यूट्यूब पर हेल्दी खाने की रेसिपी देखती, उन्हें बनाती और सभी को खिलाती… वह अब कभी अपने खाने पीने और कसरत में लापरवाही नहीं बरतती… फिर एक दिन वह लोग डॉक्टर के पास जाने वाले थे और कुछ टेस्ट होने वाले थे… पर कल रात ही अस्पताल से फोन आ गया और उन्हें आज ही बुला लिया गया… वैसे इन्हें एक हफ्ते बाद बुलाया गया था पहले… पर यूं अचानक बुलाने पर अविनाश और सोनम ज्यादा घबरा गए थे… वह अस्पताल में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे… 

अविनाश: डॉक्टर ने पता नहीं इतनी जल्दबाजी में क्यों बुलाया.. मुझे बहुत डर लग रहा है… तुम वादा करो चाहे जो हो जाए तुम हिम्मत नहीं हारोगी…

 सोनम: देखिए मैं तो अपनी पूरी कोशिश करूंगी… पर जो जीत नहीं पाई, आप एक वादा करो मुझसे… मैं चाहे साथ रहूं ना रहूं आप कभी खुद को अकेला मत समझना और मैं जानती हूं आप बच्चों के लिए माता-पिता दोनों बन जाएंगे, इसलिए अपना ध्यान भी नहीं रख पाएंगे… पर जो गलती मैंने की है आप मत करना… उनकी मां की गलती की सजा तो वह अब भुगतने वाले हैं.. पर दोनों से जुदाई वह सह नहीं पाएंगे..

 अविनाश: उस दिन तो तुम बड़ी बातें कर रही थी… बच्चों के लिए लडूंगी फिर आज हारने की बात क्यों कर रही हो..? 

सोनम: मैं तो डॉक्टर की बातों से उम्मीद बांध चुकी थी… पर अब सच कहूं तो..? यह कहते हुए सनम टूट पड़ी और रोते-रोते अविनाश के गले लग कर कहने लगी.. किस्मत के आगे हम कुछ नहीं कर सकते और मुझे आप लोगों से दूर जाते हुए बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा… पर मजबूर हूं… दोनों भावुक हो जाते हैं तभी उनकी बारी आती है और वे डॉक्टर के केबिन में प्रवेश करते हैं… 

डॉक्टर: आप दोनों को बहुत ही जरूरी बात बतानी है.. इसलिए इतनी जल्दबाजी में बुलाया..

अविनाश: आखिर बात क्या है सर..? क्या सोनम की हालत..?

 डॉक्टर: अरे नहीं नहीं.. दरअसल आप लोगों से माफी मांगना चाहता हूं… आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है.. वह क्या है ना..? इनके खून के सैंपल किसी के साथ बदल गए थे और जिसके साथ बदले थे उसे कैंसर निकाला… यह बिल्कुल ठीक है… बस इन्हें कमजोरी है जो ठीक से ना खाने पीने की वजह से हो जाता है… लगता है यह अपना ध्यान बिल्कुल भी नहीं रखती… 

यह सुनकर मानो दोनों हवा में उड़ने लगे और जितने ही दुख और घबराहट लिए यह अस्पताल आए थे… उसस दुगनी खुशी के साथ घर पहुंचे… घर आकर सोनम सबसे पहले अपने बच्चों को गले लगाती है फिर वह अविनाश से कहती है… कितनी अजीब बात है ना..? कुछ दिनों पहले मैं अपने जीवन को कोसती थी कि थोड़ा सा भी चैन नहीं और इसी चक्कर में अपने स्वास्थ्य को भी नजरअंदाज करती थी… पर आज जब यह घटना घटी मुझे अपना जीवन बहुत प्यारा लगने लगा और मुझे इसकी अहमियत समझ आ गई… इसलिए अब मैं अपने जीवन के हर पल का शुक्रिया कर, खुद का ध्यान भी रखूंगी, क्योंकि कल का क्या भरोसा..? 

दोस्तों आज की कहानी हर एक औरत की है… एक औरत घर के कामों में और अपने परिवार की देखभाल करने में, खुद को बिल्कुल ही भूल जाती है… ऐसा भी नहीं है कि वह खुद के लिए जीना नहीं चाहती… पर वह समय खुद को दे ही नहीं पाती.. इस कहानी के माध्यम से उन सभी औरतों को यह कहना चाहूंगी… तुम्हारे पास भी सीमित समय है, इसलिए तुम भी उस समय का इस्तेमाल कर अपने जीवन को खुलकर जियो… क्योंकि किस्मत के खेल बड़े निराले होते हैं… कहीं ऐसा ना हो तुम जीतने के लिए जद्दोजहत करते रहो और समय ही समाप्त हो जाए.. फिर तो सब व्यर्थ ही होगा ना..? 

धन्यवाद 

#किस्मत का खेल 

रोनिता कुंडू

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