कुमुदिनी भाभी – प्रियंका सक्सेना   Moral stories in hindi

बड़ी हवेली के जमींदार महाशय  के इकलौते बेटे जयराम की पत्नी कुमुदिनी एक बराबर के समृद्ध परिवार की बेटी हैं। दस साल पहले विवाह उपरांत सुंदरनगर आईं थीं। राजनगर के जमींदार की बेटी कुमुदिनी बड़े लाड़-प्यार और नाजों से पली हैं।

मैं, केसर , बचपन से अम्मा के साथ हवेली में रही हूॅ॑।  हवेली का कोना कोना मेरा देखा भाला है। मेरी अम्मा बड़ी  मालकिन के साथ शादी में आई थी और उनकी सेवा करती थी। मेरे बाबा खेत पर सभी मजदूरों के ऊपर निगरानी रखने का काम करते थे और मालिक का सारा हिसाब किताब देखते थे। हम हवेली में पिछवाड़े अहाते में बने हुए क्वार्टर्स में रहते हैं।अम्मा के ईश्वर के पास जाने के बाद बड़ी मालकिन ने मुझे कुमुदिनी भाभी की सेवा करने के लिए रख लिया।

भैयाजी की शादी में कुमुदिनी भाभी के पिता जी का वैभव देखा था। भैया जी की बारात में मैं भी गई थी और वहां पर शादी में बहुत मजा किया। मैं शायद आठ साल की रही होंगी तब। बारात का उन्होंने बहुत ही भव्य स्वागत किया था और बहुत ही शानो-शौकत से कुमुदिनी भाभी जयराम भैया जी के साथ अपनी नई नवेली गृहस्थी में रम गईं।

मैंने देखा कि कुमुदिनी भाभी नाजों से पली बढ़ी हुई बहुत ही खूबसूरत और संस्कारी बेटी होने के साथ-साथ अच्छी बहू भी बनीं।

दोनों को एक साथ देख कर ऐसा लगता है मानो राम और सीता चले आ रहे हैं। एक अनुपम अतुलनीय जोड़ी, जो मन को छू जाए। उतने ही सीधे दोनों जन और सच्चे मन के कि किसी भी गरीब का भला करने में कभी ना चूकें।

शादी को चार साल बीतने के बाद भी जब वह अपनी भाभी माॅ॑ नहीं बन पाईं तब मालकिन ने शहर जाकर डॉक्टर से उनकी जांच करवाई । उसमें यह आया कि कुमुदिनी भाभी कभी माॅ॑ नहीं बन पाएगी। 

भैयाजी और  कुमुदिनी भाभी बहुत ज्यादा दुखी हुई। भाभी ने भैयाजी से कहा कि वह दूसरी शादी कर लें। परंतु उन्होंने मना कर दिया। भैया जी ने कहा कि वह भाभी का साथ नहीं छोड़ेंगे। 

बरसों बरस इसी उम्मीद में बड़ी मालकिन रहीं कि वह भैया जी की दूसरी शादी करा दें।  कुल का वंश चलाने के लिए कुलदीपक की खातिर ही भैयाजी शादी कर लें, लेकिन भैया जी नहीं मानें। भैया जी ने बड़ी मालकिन को बहुत समझाया कि वह अनाथालय से बच्चा गोद ले लेंगे लेकिन बड़ी मालकिन नहीं मानी और इस तरह से कुमुदिनी भाभी की गोद दस सालों तक सूनी रही।

छह महीने पहले बड़ी मालकिन स्वर्गवासी हो गईं। बड़े मालिक बुजुर्ग हो गए हैं। भैया जी ही व्यापार, जमीन जायदाद आदि सब कुछ सम्हालते हैं। 

बड़े मालिक से भैयाजी ने अब बच्चा गोद लेने की अनुमति ले ली है। अब कुछ ही समय में घर में बच्चा आ जाएगा। भाभी बहुत खुश हैं। बार बार भैयाजी का आभार व्यक्त करते नहीं थकती। उनके लिए भैयाजी ने दूसरी शादी नहीं की और अब बच्चा गोद ले रहें हैं, यह बहुत बड़ी बात है। जमींदारों के यहां तो बात-बात में औरत को अपमान झेलना पड़ जाता है , बांझ होने पर  शादी तोड़ कर दूसरी करना कोई अचंभे की बात नहीं है।

“सच में कुमुदिनी भाभी बड़े भागों वाली हैं!”

घर में वो दिन भी आया जब अनाथालय से एक सुंदर सा बेटा भाभी की गोद में आ गया। उस नवजात को कोई अनाथालय की सीढ़ियों पर छोड़ गया था। दो-चार दिन के बच्चे को सीने से लगा लिया भाभी ने।  न दिन देखा न रात, हर पल राज बाबा को पालने में भाभी अपनी ममता लुटाती रहीं। और तो और उनके दूध भी उतर आया।

इस बीच में मेरी भी शादी हो गई। मेरे बाबा बुजुर्ग हो गए हैं। मेरे पति केशव अकाउंट देखते हैं।

कल राज बाबा का पांचवां जन्मदिन है। एक दिन पहले कुमुदिनी भाभी, भैयाजी और मैं राज बाबा के कपड़े और खिलौने खरीदने के लिए शहर गए। अधिकतर भैया जी भी साथ जाते हैं। हमें दुकान पर छोड़कर भैयाजी व्यापार के काम से किसी वकील से मिलने चले गए।

कुमुदिनी भाभी ने बच्चे के लिए वहां से  बहुत सारे कपड़े व खिलौने लिए। सुनार की दुकान से सोने की चेन और कड़ा खरीदे। इसके बाद कुमुदिनी भाभी और मैं साड़ी वगैरह खरीदने एक शोरूम में गए। भाभी ने साड़ियां लीं और मुझे भी पसंद की दिलवाई।

भाभी बिल का भुगतान कर दुकान से निकलने वाली थीं कि पीछे से किसी ने आवाज दी,” आप कुमुदिनी जी हैं, मिस्टर जयराम की पत्नी?”

भाभी ने पीछे मुड़कर देखा,” जी हां। आप कौन?”

अपरिचित प्रौढ़ महिला ने हाथ जोड़कर कहा,” नमस्कार, मैं डाॅक्टर नंदिनी।”

फिर राज बाबा को देखकर बोली,” आपका बेटा है। बहुत प्यारा है। आपने दूसरी शादी कर ली।”

कुमुदिनी भाभी ने बताया “राज मेरी गोद ली हुई संतान हैं। कमी तो मुझमें थी तो मेरे शादी करने से क्या होता? मेरे पति ने इस कमी के बावजूद मेरा साथ नही छोड़ा। पांच साल पहले हम दोनों ने बच्चा गोद लिया है।”

असल में डॉ नंदिनी वही डाॅक्टर हैं जिनके यहां बच्चा न होने पर जांच करवाई थी। क़िस्मत का खेल ही कहूंगी क्योंकि आगे जो घटित होने वाला था वो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था।

डॉ नंदिनी ने बड़े आश्चर्य से कहा ,”अच्छा! पर जहां तक मुझे याद है कमी आपमें नहीं आपके पति में है। आप पूर्णतः स्वस्थ हैं। यह बात मैंने स्वयं बताई थी।”

थोड़ा ठहरकर बोली,” मेरे ख्याल से आपके पति को ही बताया था क्योंकि वह अकेले आए थे रिपोर्ट लेने। आपकी सास को नहीं बताया था। आप भी नहीं आईं थीं।”

कुमुदिनी भाभी यह जानकर अवाक रह गईं।

सामने से भैयाजी भी आ गए थे और उन्होंने सब सुन ‌लिया जो कुछ भी डाॅ नंदिनी ने कहा था।

कुमुदिनी भाभी पूरे रास्ते कुछ नहीं बोलीं। कार गांव में हवेली पहुंची, भाभी उतरकर सीधे हवेली में चली गईं।

अगले दिन राज बाबा के जन्मदिन की पार्टी ज़ोर शोर से हुई। जन्मदिन के अगले ही दिन भाभी अपने मायके चली गईं। भाभी को लिवाने कुछ दिन बाद भैयाजी गए वहां भैयाजी को भाभी के भैया ने तलाक का नोटिस थमा दिया। भाभी ने भैयाजी से मिलने से इंकार कर दिया।

करीब दो ढाई साल में भाभी को भैयाजी से तलाक मिल गया।कोर्ट ने राज बाबा को भाभी के पास रखने का आदेश दिया।

वाकई झूठ का भंडाफोड़ होकर रहता है! इस बात पर मुझे पूरा विश्वास हो गया। क़िस्मत ने ऐसा खेल खेला कि  भैयाजी ने बरसों से जो अपनी त्याग वाले पति की इमेज बनाकर रखी थी वो धूलधुसरित हो गई, सारी प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गई। उनके पिताजी बड़े मालिक ने भी सारा सच जानकर भाभी का पक्ष लिया। बड़े मालिक इस सब के बाद ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे।

बड़े मालिक के परलोक गमन के बाद भैयाजी गांव की हवेली और सभी जायदाद बेचकर विदेश में बस गए। 

भाभी ने अपने मायके में रहते हुए राज बाबा को अच्छी शिक्षा दीक्षा दिलवाई। 

भाभी कभी भैयाजी से अलग होने की सोच भी नहीं सकती थीं परन्तु भैयाजी के झूठ ने उनके हृदय को गहरी चोट पहुंचाई। यदि भैयाजी सीधे-सीधे अपनी कमी के बारे में बता देते तो भाभी ऐसा कदम नहीं उठाती। भैयाजी ने हमेशा भाभी को आरोपी बना कर उन्हें बांझ घोषित कर खुद महान बने, इस बात से भाभी अंदर से टूट गई। 

भैयाजी को उनकी करनी का फल मिला, भैयाजी ताउम्र अकेले रहे।

राज बाबा ने सरकार में ऊंची पोस्ट पर मुंबई में ज्वाइन कर लिया। कल कुमुदिनी भाभी ने राज बाबा की शादी का निमंत्रण भेजा है। मैं बाज़ार जा रही हूॅ॑ शादी में जाने के लिए खरीदारी करने के लिए।

इति।।

लेखिका की कलम से 

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धन्यवाद।

प्रियंका सक्सेना

( मौलिक व स्वरचित)

#क़िस्मत_का_खेल

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