साकार हुआ सपना – प्रियंका सक्सेना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “पायल, दीपक की रैक के पास खड़ी होकर क्या कर रही है? जल्दी झाड़ू खत्म कर लें। पोंछा रहने देना, इसके बाद चाय नाश्ता कर लेना।” सुधा ने दीपक के किताबों के रैक के पास खड़ी पायल से कहा जो किताबों को निहार रही थी।

“जी, भाभी आई।” पायल ने हड़बड़ा कर जल्दी जल्दी झाड़ू लगानी शुरू कर दी।

सुधा इस शहर में नई आई है, दो महीने पहले ही पति का ट्रांसफर यहां हुआ है। घर संभालने में, फिर से नई जगह सब सेट करने में समय लगता ही है, बस अच्छी बात यह रही कि मेड आते ही मिल गई, पायल की मां कांता ने सुधा के यहां झाड़ू पोंछा और बर्तन का काम पकड़ लिया, पायल भी कांता के साथ आती है, जमाना खराब है तो कांता बेटी को घर में अकेला छोड़कर नहीं आती है। पायल कांता का ऊपरी झाड़-पोंछ में हाथ बटा देती है, अभी बारह साल की ही तो है पायल।

सुधा का बेटा दीपक आठवीं कक्षा में पढ़ता है। उसका एडमिशन अच्छे स्कूल में करवा दिया, सुमित की ज्यादातर टूरिंग रहती है, महीने में दस दिन तो वह बाहर रहते हैं। दीपक के स्कूल जाने के बाद सुधा अपने पेंटिंग के शौक को पूरा करती है।

दो‌ दिन से कांता की तबीयत खराब होने के कारण पायल अकेली काम करने आ रही है। सुधा कुछ ही काम करवाती है पायल से बाकी स्वयं कर लेती है।

“भाभी, काम हो गया, मैं चलती हूं।” पायल ने दरवाज़े के पास से आवाज़ लगाई

“इधर आ पायल। चाय नाश्ता किया?

“जी भाभी।”

” एक बात बता, तू पढ़ना जानती है।”

“भाभी, दो क्लास तक पढ़ी थी फिर बापू हमें छोड़कर चला गया तो मां के पास इतने पैसे रहे नहीं कि मुझे पढ़ा पाती तो दो साल पहले मेरी पढ़ाई छूट गई।” पायल ने बताया

सुधा ने देखा कि यह सब बताते हुए बच्ची दुखी हो गई हालांकि एक पल को आवाज़ में उसकी चहक आई थी कि वो पढ़ना जानती है।

सुधा ने पूछा,” पायल‌, तू आगे पढ़ना चाहती है?”

“भाभी, मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता था पर अभी तो घर खर्च ही मुश्किल से निकलता है।”

“तुझे पढ़ना अच्छा लगता था?”

“भाभी, मैं तो पढ़-लिखकर टीचर बनना चाहती थी ताकि मेरी मां को घर-घर जाकर कामवाली का काम न करना पड़े। मेरा सपना था कि मैं भी कड़क साड़ी पहनकर बच्चों को स्कूल में पढ़ाऊं पर …” कहते-कहते पायल की आंखें नम हो गईं और गला रुंध गया।

“पायल, मैं कब से देख रही हूॅं कि किताबों ‌को तू निहारती रहती है, तेरी मां से बात करुंगी। हो सकता है, तेरा सपना सच हो जाए!”

“सच्ची भाभी।”

“हां पायल, सपना तेरा है पर अब मेरा बन गया है।” सुधा ने मुस्करा कर कहा

कुछ दिनों में कांता को समझा-बुझाकर सुधा ने पायल का एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करवा दिया, टेस्ट में पायल ने अच्छा किया, आर्थिक स्तर को मद्देनज़र रखते हुए स्कूल ने कुछ फीस माफ कर दी। बाकी सुधा ने भर दी, इस तरह पायल स्कूल जाने लगी।

जहां पायल को पढ़ाई में कुछ समझने में मुश्किल आती तो सुधा उसकी मदद करती। दीपक भी पायल की पढ़ाई में पूरी सहायता करता ।सुमित भी सुधा की तरह सहृदय हैं, उन्होंने  पायल के लिए पैसों के लिए कभी हाथ नहीं रोका। इस तरह पायल ने धीरे धीरे कुछ सालों में दसवीं की परीक्षा पास की, उसके अंकों के आधार पर सरकार की तरफ़ से उसे स्कॉलरशिप मिल गई। पायल की मां कांता की खुशी का तो ठिकाना नहीं रहा

सुधा ने इसी शहर में अपना घर बनवा लिया था, पति सुमित की टूरिंग अभी भी रहती है, सुधा की पेंटिंग्स की एक्जीबिशन बड़ी-बड़ी गैलरियों में लगा करती है,  सुधा का बेटा दीपक इंजीनियरिंग पढ़ने बाहर चला गया है।

पायल का बारहवीं का परिणाम भी बढ़िया रहा, कांता अब पायल की शादी कर देना चाहती है।

सुधा ने कांता को समझाया,” बेटी को पैरों पर खड़ा होने तक रुक जाओ, अभी तो पायल ने अपने सपनों का एक हिस्सा हकीकत में बदला है, उसके सपनों की उड़ान को रोको मत, कांता। पायल पर एक दिन तुम्हें बहुत गर्व होगा।”

कांता ने फिर नहीं रोका बेटी को पायल ने इकोनोमिक्स में एम. ए. किया, फिर बी.एड.।

सुधा की मदद, पायल की कड़ी मेहनत और कांता के विश्वास से आज पायल इंटर कॉलेज में इकोनोमिक्स की प्रवक्ता के लिए नियुक्त की गई है।

विद्यालय जाने से पहले सुबह-सुबह पायल, कांता के साथ सुधा का आशीर्वाद लेने पहुंची।

पायल,” भाभी, आपने मेरे सपनों को साकार करने के लिए जो किया वो कोई नहीं करता, यदि आप उस वक्त मेरा हाथ नहीं थामती तो मैं अपना सपना पूरा न कर पाती।” कहते-कहते पायल रो पड़ी

सुधा ने प्यार से उसे सीने से लगाकर कहा,” पायल मैं तो एक माध्यम मात्र थी,  मेहनत-लगन तो तुमने की, कांता का भरोसे का मान रखा और अपनी मां का और हम सबका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा, आज से अपनी मां को काम से आराम दो। “

कांता बीच ही में बोली,”आपके घर तो मैं ही काम करुंगी, बाकी मैंने छोड़ दिए हैं।”

कांता से मुखातिब होते हुए सुधा ने कहा,” कांता, देखो वो गर्वीला पल आ पहुंचा है!”

“आपने सच कहा था आपने पायल का सपना साकार कर दिया । मुझे पायल पर गर्व है और आपकी मैं हमेशा आभारी रहूंगी।”

पायल बोली,” भाभी, मैं तो आपको अपना ईश्वर मानती हूं, मां और मैं आपसे दूर नहीं रह पाएंगे।”

“बस-बस तुम लोगों ने मुझे भावुक कर दिया!” सुधा भाव-विह्वल हो गई 

“वाह! बहुत बढ़िया पायल, अब जल्दी से मिठाई तो खिलाओ।” तभी वहां दीपक की आवाज़ सुनकर सबने पलटकर देखा दरवाजे पर दीपक और सुमित खड़े हैं। सुमित दीपक को एअरपोर्ट से लेकर आएं हैं, जो दूसरे शहर में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है।

“जरूर दीपक भैया।” पायल‌ खुश होकर सबको मिठाई खिलाने लगी

इति।।

-प्रियंका सक्सेना

(मौलिक व स्वरचित)

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