क्योंकि बात थी विश्वास की – नेकराम Moral Stories in Hindi

वैसे तो सभी जानते हैं मैं नाइट का एक सुरक्षा कर्मी हूं दिन में सोना और रात को जागना कुछ महीने पहले अखबार में एक विज्ञापन पढ़ा था उसमें लिखा था नए लेखक चाहिए दिल्ली का एड्रेस था और मैं भी दिल्ली में ही रहता हूं तो पता ढूंढने में मुझे अधिक समय नहीं लगेगा दोपहर के 12:00 बजे नए जूते और नए कपड़े पहन कर चलने को हुआ
तो मेरी बेटी प्रियंका अचानक बोली पापा जी कल सोमवार है मेरा हिंदी का पेपर है मोहल्ले की कितनी लड़कियां ट्यूशन पढ़ती है लेकिन मेरा ट्यूशन नहीं है मैं भी जानती हूं हम किराए के मकान में रहते हैं आपकी तनख्वाह भी कम है —
इसलिए आपने मेरा ट्यूशन नहीं लगवाया मुझे थोड़ा बहुत समझा देते तो अच्छा रहता अभी मैं कक्षा सातवीं में मलका गंज के स्कूल में पढ़ती हूं मैं चाहती हूं अच्छे नंबरों से पास होकर मैं कक्षा आठवीं में पहुंच जाऊं मैं 50 रूपए अलमारी से निकालते हुए बोला अभी मैं जरूरी काम से बाहर जा रहा हूं शाम को घर आऊंगा तब तुझे पढ़ा दूंगा
इतना कहकर मैं घर से बाहर निकल आया बस स्टॉप पर पहुंच कर एक बस में बैठ गया दिल्ली में रहने के कारण मुझे ,, यह पता है ,, कौन सी बस कहां जाती है 1 घंटे बाद मैं एक पुराने से घर के सामने खड़ा था मकान थोड़ा जर्जर था आंगन में कागज के बहुत से बड़े-बड़े बंडल रखे थे पता तो यही है फिर अंदर जाने में कैसा डर अपने आप से बातें करते हुए मैं मकान के भीतर प्रवेश कर गया —
सामने टेबल के उस पार कुर्सी पर एक सज्जन बैठे थे मैंने उन्हें नमस्ते किया तो उन्होंने मुझे बैठने की अनुमति दी 2 घंटे हमारी खूब बातें हुई इन दो घंटे में उन सज्जन ने बताया बहुत पहले मैं भी कभी-कभी एक दो कहानी लिख लेता था लेकिन अब मैं सरकारी स्कूल के पेपर तैयार करता हूं घर में ही प्रेस लगा रखी है
यहीं पेपर छप जाते हैं पहली क्लास से लेकर दसवीं क्लास तक के पेपर हम छापते हैं उसने कुछ हिंदी गणित इंग्लिश के पेपर दिखाते हुए कहा
इतने में एक स्त्री पानी का गिलास ले आई और टेबल पर रखकर चली गई उन भाई साहब ने बताया यह मेरी पत्नी है पढ़ी-लिखी है पेपर तैयार करने में मेरी पूरी मदद करती है कल मलका गंज के स्कूल में कक्षा सातवीं की छात्रों के लिए हिंदी का पेपर तैयार करने में हम पति-पत्नी जी जान से जुटे हैं —
हमारी प्रेस में काम करने वाला एक आदमी है जो यह पेपर स्कूलों में ले जाता है जिस दिन बच्चों का पेपर होता है एक दिन पहले हमारे पास कॉल आ जाती है कितने पेपर छापने हैं कौन से विषय के वह तय करते हैं प्रश्न और उत्तर हमें ही बनाने होते हैं तुम पढ़े लिखे होते तो इंग्लिश के पेपर तुमसे तैयार करवा लेते हिंदी गणित विज्ञान के पेपर तो हम पति-पत्नी बना लेते हैं
मैं समझ गया मुझे यहां नौकरी नहीं मिलेगी क्योंकि इन्हें इंग्लिश लिखने वाला लेखक चाहिए जो इंग्लिश के पेपर तैयार कर सके मैं चलने को हुआ तो उन्होंने एक बड़ा सा कागज का बंडल करीब 4 किलो के आसपास का होगा मेरे हाथ में थामते हुए कहा —
तुमने जो आधार कार्ड अभी मुझे दिखाया था तुम्हारे उस एड्रेस से मलका गंज आधा किलोमीटर की दूरी पर है तुम इस बंडल को ले जाकर घर पर रख लेना जब कल सोमवार के दिन सुबह 6:00 बज जाए मलका गंज की छात्राओं की प्रार्थना हो जाए और वह क्लास में बैठ जाए तब यह हिंदी के पेपर लेकर स्कूल में प्रवेश करना
प्रिंसिपल को दे देना तुम मेरा यह काम कर दोगे मुझे तुम पर पूरा विश्वास है मैं बंडल लिए घर आ पहुंचा शाम के चार बज चुके थे मेरी बेटी प्रियंका मुझे देखते ही बोली —
पापा इतनी देर लगा दी आने में अब तो मुझे पढ़ा दो आपके हाथ में यह कागज का बंडल रस्सी से बंधा है ,, इसमें क्या चीज है ,, तब मैंने कहा इसे मत छूना यह किसी का सामान है तब बेटी बोली पापा पड़ोस में एक अंकल है वह सब लड़कियों से 200 रूपए मांग रहा है कल हिंदी के पेपर में क्या-क्या आने वाला है उन अंकल को सब पता है जहां पेपर छपते हैं
वहां उनकी खूब जान पहचान है मोहल्ले की कई लड़कियों ने 200 रूपए उन अंकल के पास जमा करवा दिए हैं अब वह लड़कियां अच्छे नंबरों से पास हो जाएगी —
मैंने बेटी की बात अनसुनी करते हुए एक बड़ा सा थैला ढूंढा और उस बंडल को उसमें छिपा दिया उस रात में ड्यूटी पर नहीं आया रात भर थैले की निगरानी में जागता रहा सुबह 6:00 बजे मेरी बेटी स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल चली गई तब एक व्यक्ति हमारे घर आया उसने कहा आपका नाम नेकराम है मैंने कहा जी हां उसने मोबाइल में मेरी
उन सज्जन से बात करवाई सज्जन ने कहा जो भाई साहब आपके घर आए हैं हमारी प्रेस में काम करते हैं कल उनका फोन लग नहीं रहा था आप उसे पेपर का बंडल दे दो मैंने थैले से निकाल कर वह बंडल उन्हें थमा दिया —
उन भाई साहब के जाने के बाद बीवी बोली क्या था उस बंडल में मैंने धीरे से बीवी के कान में कहा कक्षा सातवीं का हिंदी का पेपर जो अब कुछ देर बाद लड़कियों को बांटा जाएगा बीवी मुस्कुराते हुए बोली तुम पूरे पागल हो हाथ में आई हुई मुर्गी मुफ्त में जाने दी मैं हंसते हुए बोला
मुर्गी तो चली गई ,,,😃
बीवी ने चाय का प्याला मेरे हाथ में थमा दिया मैं चाय की चुस्कियां लेते हुए विचार करने लगा क्या मैंने यह सही किया
तब मन के भीतर से एक आवाज आई हां नेकराम तुमने सही किया क्योंकि बात थी विश्वास की बच्चों के उज्जवल भविष्य की नकल करके बच्चे डिग्रियां तो हासिल कर सकते हैं लेकिन काबिलियत नहीं ✍️✍️✍️
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से स्वरचित रचना
26 फरवरी 2024

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