बहु को टिफिन देने में जरूर मुझसे ही कोई गलती हो गई है…. – सीमा रस्तोगी
- Betiyan Team
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- on Dec 26, 2022
“सचमुच! खाना खाने का मजा तो यहां ऑफिस में ही आता है, वरना मम्मी जी का वश चले, तो वो मुझको ऑफिस में भी घास-फूस ही खिला दें! नलिनी बर्गर और पिज्जा खाने के बाद लंबी डकार लेकर बोली….
“सही बात नलिनी! ऑफिस में सबके साथ खाना खाने का मजा ही कुछ और होता है, लेकिन तुमको ये सब स्ट्रीट फूड में और मुझको तुम्हारे टिफिन में, तुमको अपनी सासु मां के हाथों का खाना नहीं पसंद आता, पर तुम्हारी सासु मां के हाथों का बना खाना मुझको तो बहुत अच्छा लगता है! माधुरी नलिनी के टिफिन का ताजा और पौष्टिक खाना खाकर चटखारे लेकर बोली.
“यार माधुरी! पापा-मम्मी की वजह से घर पर पौष्टिक खाना ही बनता है और मम्मी जी वैसा ही पौष्टिक खाना मुझको टिफिन में भी पैक कर देतीं हैं, अब मुझसे दोनों समय खाना नहीं खाया जाता!” नलिनी मुंह बनाते हुए बोली.
“लेकिन यार नलिनी! तुम बहुत लकी हो, जो सासु मां इतने प्यार से टिफिन बनाकर देतीं हैं, मुझको तो शादी के बाद सासु मां का प्यार ही नहीं मिला, सुबह घर से जल्दी-जल्दी खाना बनाकर निकलो और फिर वापस घर जाकर रसोई में जाकर जुटो!” माधुरी मायूस होकर बोली.
“सही कह रही हो माधुरी!” और नलिनी जाकर अपनी ऑफिस की सीट पर बैठकर काम करने लगीं… अभी नलिनी ने काम शुरू ही किया था कि बहुत तेज पेट में दर्द उठा और उसके मुंह से कराहट निकल पड़ी!
“क्या हुआ नलिनी! सब ठीक तो है ना?” माधुरी ने वहीं बैठे-बैठे ही पूछा
“यार माधुरी! एकदम से बहुत तेज पेट में दर्द उठ रहा है! और ये कहते ही कहते नलिनी फिर से चिहुंक उठी…”उई मां….
“नलिनी! कोई गंभीर समस्या हो तो चलो डॉक्टर को दिखा आतें हैं!” माधुरी पास आकर बोली
“माधुरी यार! दर्द तो सचमुच बहुत तेज हो रहा है!” और नलिनी वहीं पर कुर्सी पर सिर टिकाकर बैठ गई…. माधुरी ने बॉस से नलिनी की कंडीशन बताकर छुट्टी ले ली और उसको तुरंत डॉक्टर के पास लेकर चली गई…
“देखिए! इनको फूड प्वाइजनिंग हो गई है, इन्होंने लंच में क्या खाया था?”
“जी लंच में बर्गर और पिज्जा!”
“इनको तुरंत एडमिट करना पड़ेगा!” अब तो नलिनी के हाथ-पांव फूल गए… क्या बताएगी घर पर, क्योंकि मम्मी जी तो रोज टिफिन में पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना बांधकर देती थीं और वो सब खाना वो दोस्तों को खिलाकर खुद ऑफिस के चपरासी से स्ट्रीट-फूड मंगाकर खाती थी… खैर डरते-डरते विवेक को फोन किया और उसको सारी बातें बता दीं…
“यार नलिनी! तुम कमाल करती हो, मैंने और मम्मी ने कितनी बार तुमको समझाया कि इस तरह स्ट्रीट फूड पर मत गिरा करो, लेकिन तुमको तो घर के बने ताजे खाने से ज्यादा ये धूल-धक्कड़ भरे स्ट्रीट फूड ज्यादा पसंद आते हैं!”
“प्लीज विवेक! लेक्चर मत पिलाओ, मैं दर्द के मारे मरी जा रहीं हूं, लेकिन प्लीज मम्मी जी को कुछ भी ना बताना!”
डॉक्टर ने नलिनी को एडमिट करके तुरंत ट्रीटमेंट चालू कर दिया और विवेक ने शारदा को फोन करके वहीं क्लीनिक पर ही बुला लिया, शारदा तो नलिनी की तबियत खराब सुनकर ही घबरा गईं…
“विवेक! आखिर क्या हो गया मेरी बच्ची को?”
“मम्मी! डॉक्टर कह रहें हैं कि फूड प्वाइजनिंग हो गई है!”
“लेकिन बेटा! मैंने जो टिफिन पैक किया था, वो तो सब ताजा और पौष्टिक ही था, हो सकता है कि बहु को टिफिन देने में मुझसे ही कोई गलती हो गई हो!” शारदा एकदम से घबराकर बोली
“मम्मी! कोई जरूरी थोड़े ही ना कि वो खाना भी नुकसान किया हो, कुछ और भी तो नुकसान कर सकता है!” अब विवेक क्या कहता और बात संभालते हुए बोला….
“लेकिन बेटा! कुछ तो ऐसा खा लिया है, जो इतना परेशान हो गई मेरी बच्ची! शारदा नलिनी की हालत देखकर बहुत दुखी लग रही थी, अब तो नलिनी को तो सचमुच अपनी सास का प्यार देखकर बहुत ज्यादा पछतावा होने लगा “मैं भले ही धोखा मम्मी जी को दे रही थी, लेकिन परेशानी तो मुझको ही झेलनी पड़ रही है, कितना भयंकर दर्द उठा था, जैसे की जान ही निकली जा रही हो, अब मैं कान पकड़ती हूं, कि फिर भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेगी! और उसने उसी पल कसम खाई “कि अब वो हमेशा-हमेशा के लिए स्ट्रीट फूड से तौबा कर लेगी और सासु मां के द्वारा पैक टिफिन ही खाएगी!
ये कहानी पूर्णतया स्वरचित है
मौलिक है
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आपकी सखी
सीमा रस्तोगी