अस्तित्व की तलाश ( भाग 1 ) – लतिका श्रीवास्तव
..मां देखो मेरी ट्रॉफी और ये ढेर सारे पुरस्कार सब में मैं ही फर्स्ट आया हूं मिस ने मेरी बहुत तारीफ की खूब तालियां बजीं बजती ही रही …ये देखो सर ने मुझे ये चॉकलेट का डब्बा भी दिया है …. मानस अभी अभी स्कूल से घर आया था और आज स्कूल में मिले ढेरों […]
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परिवार – डाॅ संजु झा
कचहरी परिसर में वकील ने सीमा से कहा-” मैडम!तलाक के कागज पर हस्ताक्षर कर दीजिए और इस रिश्ते से स्वतंत्र हो जाइए। “ तलाक के कागज पर हस्ताक्षर करते हुए सीमा का मन बेचैन था ओर उसके हाथ काँप रहे थे।सच ही कहा गया है कि जब व्यक्ति के पास प्यारा परिवार रहता है,तब उसे […]
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क्या यही प्यार है ? भाग – 5 – संगीता अग्रवाल
इधर मीनाक्षी की आँखों मे नींद नही थी आज के घटनाक्रम से वो सहमी सी हुई थी । अपनी तरफ से इतने दिनों मे मीनाक्षी ने पूरी कोशिश की के केशव और उसके बीच मे उसके पिता का पैसा ना आये पर आज लगता है उस पैसे ने उनके रिश्ते के बीच दस्तक देनी शुरु […]
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बाबुल – गुरविंदर टूटेजा
धवल शाह खुद खड़े होकर पूरी तैयारियाँ देख रहे थे अरे भाई सही से लगाओ यहाँ फूल बेटी की शादी है..किसी चीज कि कमी नहीं होनी चाहिए…!!!! इतने में उनकी पत्नी रत्ना जूस का ग्लास उन्हें देते हुए बोली कि माना सब अच्छे से हो वो जरूरी है पर अपनी सेहत का ध्यान रखना भी […]
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जीवन के कई रंग…. एक रंग भेदभाव के…!! – सीमा कृष्णा सिंह
मुझे बस पोता चाहिए और कुछ नही, एक बार कह दिया तो कह दिया”। अनुराधा की सासु मां गायत्री अपना फ़रमान जारी करते हुए कहती है। “पर ये क्या बात हुई…ये किसी के बस में तो है नहीं की लड़का होगा की लड़की…… और अभी अभी तो उसके आने की आहट हुई है और आप […]
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नया सवेरा – संस्कृति सिंह
इस सम्मान की हकदार मैं नहीं बल्कि मेरे माता पिता हैं। जब पूरे समाज ने मेरा बहिष्कार किया तब उस हालात में भी उन्होंने पूरी दृढ़ता के साथ मुझे सम्भाला और आज मैं जो कुछ भी हूं उनके साथ कई बदौलत ही हूं। नव्या मेहता…… जिन्हें १०० बच्चों को गोद लेने और एक परिवार की […]
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अपेक्षा नहीं तो कैसी उपेक्षा – शुभ्रा बैनर्जी
जीवन के बारे में बड़े-बूढ़ों का तजुर्बा कभी ग़लत नहीं होता। उम्र के आखिरी पड़ाव में चेहरे पर झुर्रियां,भूत वर्तमान और भविष्य की लहरों की तरह समय के परिवर्तन शील होने का प्रमाण देतीं हैं।आंखों की रोशनी कम तो हो जाती है,पर अनुभव का उजाला टिमटिमाते रहता है,बूढ़ी आंखों में।”बचपन”परीकथा की तरह सुखद होता है। […]
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श्रंगार – प्रीति सक्सेना
आज सुबह से घर में चहल पहल शुरु हो गई, संयुक्त परिवार में लोग भी बहुत हैं….. जोर जोर से आवाजों की वजह से सिया भी अपने कमरे से बाहर आ गई….. देखा खूब फूल मालाएं आई हैं ताई जी, चाची सब प्रसाद बनाने में लगे हैं, मन्दिर को ताऊजी पापा चाचा सजा रहे हैं […]
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कन्यापूजन से ज्यादा जरूरत है कन्या सुरक्षा की – संगीता अग्रवाल
परी एक प्यारी सी छह साल की बच्ची अपने माता पिता के साथ साथ पूरे मोहल्ले की जान । हो भी क्यो ना आखिर जब थी ही इतनी प्यारी अपनी मीठी मीठी बातों से सभी को अपनी तरफ खींच लेती थी। आज रामनवमी पर अपनी सहेलियों के साथ घर घर कन्यापूजन को जा रही थी। […]
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जंग भले करो पर परिवार मत तोड़ो – संगीता अग्रवाल
बालकनी मे बैठी निशा फूलो पर मंडराते भवरों को देख रही थी । कैसे दो पल को ऊपर उड़ जाते फिर वापिस अपने पसंदीदा फूल पर आ बैठते। ये प्यार है या जरूरत। नही नही प्यार नही क्योकि भवरे कहाँ एक फूल पर बैठते है। अचानक उसका मन कसैला सा हो गया। ” पुरुष भी […]
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