सही दिशा…रश्मि झा मिश्रा: Moral stories in hindi

दरवाजे पर आह.. की आवाज के साथ गिरने की हड़बड़ाहट सुनकर दृष्टि ने दरवाजा खोला… तो सामने एक प्यारी सी लड़की साड़ी में लिपटी पैर पकड़े बैठी कराह रही थी…” क्या हुआ…!” दृष्टि बोल पड़ी… उसने पैर सीधा करने की कोशिश करते हुए कहा…” सीढ़ियां उतरने में अचानक पैर मुड़ गया… बहुत दर्द हो रहा … Read more

साथ की जरूरत…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

बच्चे दरवाजे पर आज तीन दिनों से… सुबह शाम नजर गड़ाए हुए थे…कब आएंगे अंकल… गोलू बोला… “लगता है आज भी नहीं आएंगे अंकल…!” ” नहीं ऐसा मत बोलो… अंकल जरूर आएंगे…! गुड़िया बोल पड़ी…  अचानक से एक बच्चा चीखा…” वह देखो अंकल की कार…!”  सारे बच्चे उधर ही दौड़े… हां यह तो अंकल की … Read more

जिसके थे उसके काम आ गए…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

एक तुम्हीं पर तो मुझे भरोसा था… तुमने भी मेरा भरोसा तोड़ दिया… ऐसा कैसे किया तुमने… धिक्कार है तुम्हें जीवा… धिक्कार है… धिक्कार है……!   जीवन उठ बैठा… स्वप्न में मां को इस तरह रोते हुए खुद को धिक्कारता देख उसकी आंखें भर आई… सच ही तो कह रही है अम्मा… मैंने काम ही ऐसा … Read more

प्यार बोझ नहीं बनेगा…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

पूर्णिमा की चांदनी… पूरे आकाश पर फैली हुई थी… हल्की-हल्की ठंडी हवा के झोंके… साथ में मस्त चांदनी… राधिका खिड़की खोले बस निहारे जा रही थी… वह जैसे खो सी गई थी… हजार द्वंदों से उलझे हुए मन पर… जैसे यह चांदनी रात की ठंडी हवा अमृत वर्षा कर रही हो… कहीं दूर से हरि … Read more

औकात नहीं भूला…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

वह शायद भिखारी ही था… एक पैर से लंगड़ा… अपनी बैसाखी टेकता… स्टेशन पर खड़ी गाड़ियों के पास हाथ फैला रहा था… कभी एक-दो खिड़कियों पर कुछ मिल भी जाता… कभी सिक्का.… कभी रोटी… कभी सड़े गले फल… सबको झोलियों में डालता हुआ फिर दूसरी खिड़की के पास पहुंच जाता था… कुछ सभ्य लोग मुंह … Read more

यह नाटक नहीं है – रश्मि झा मिश्रा  : Moral stories in hindi

अभी कुछ ही महीने हुए थे आद्या को ससुराल आए… बढ़िया पढ़ा लिखा परिवार था… आद्या ने भी बढ़िया डिग्री ली हुई थी… सब कुछ में होशियार लड़की… पर पता नहीं क्यों… जब से ससुराल में आई थी… उसे लगता हर वक्त सासू मां उससे चिढ़ी रहती हैं… वह चाहे उन्हें खुश करने के कितने … Read more

आती हूं… – रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

“सोहा… सोहा… 6:30 हो गए… उठो… उठो ना…” अमित ने धीरे से सोहा की बांह हिला कर सोए सोए ही कहा….! ” क्या 6:30 हो गए… अलार्म नहीं बजी क्या…!” ” पता नहीं… मेरी भी अभी ही आंख खुली.… फोन देखा तो 6:30 हो गए थे…!” ” अरे अमित अच्छा किया आपने उठा दिया… आज … Read more

समयचक्र यही है…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

आज से कोई चालीस पचास साल पहले तक… शादियां घर के बड़े ही पूरी तरह तय करते थे… लड़के लड़कियों को बस तैयार होकर मंडप में बैठना होता था… खासकर बड़े घरानों में तो शादी से पहले एक दूसरे को देखना… नाक कटाने वाली बात होती थी…और यदि किसी तरह देख भी लिया… तो उसे … Read more

तीन बेटों की अम्मा…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

कितनी ठसक में रहती थी अम्मा…. आखिर तीन बेटों की मां जो थी… अपनी जवानी के दिनों में जब पान चबाती… सर ढके… शान से मटकती निकलती.. तो रमा काकी अक्सर टोक ही देती थी.…” क्या दीदी सुबह-सुबह कहां होली… हम तो अभी तक चौके बर्तन से ही ना उबरे… नहाना धोना ना हुआ… और … Read more

तू बेचारी नहीं है….. रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

अभी उम्र ही क्या हुई थी उसकी… बीस की ही तो थी.. चुलबुली.. अल्हड़.. संजीवनी.. लेकिन अपने कामों के प्रति बिल्कुल सजग थी वह.… जो काम उसे मिल जाता.. वह कभी अधूरा नहीं रहता था…!  भैया की शादी थी.. पूरा घर संभालना था.. और ऐसे में हर जुबान पर एक ही नाम रहता था.. संजीवनी..! … Read more

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