कैसे हैं ये बंधन – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi
“छोड़ दे बाबूजी!… हे मांँजी छोड़ाओ हमको!… बचाओ दीदी!… अरे कोई तो समझाओ!… मेरा बापू मजबूर है, कहाँ से देगा रुपया!… तरस खाओ भैया जी!…” नलिनी विलाप कर रही थी। रो-रोकर अपनी जान की भीख मांग रही थी। अपने ही परिवार के अपने सास-ससुर, जेठ-जेठानी और अपने पति को संबोधित करके गुहार लगाती रही लेकिन … Read more