कैसे हैं ये बंधन – मुकुन्द लाल   : Moral stories in hindi

   “छोड़ दे बाबूजी!… हे मांँजी छोड़ाओ हमको!… बचाओ दीदी!… अरे कोई तो समझाओ!… मेरा बापू मजबूर है, कहाँ से देगा रुपया!… तरस खाओ भैया जी!…”    नलिनी विलाप कर रही थी। रो-रोकर अपनी जान की भीख मांग रही थी। अपने ही परिवार के अपने सास-ससुर, जेठ-जेठानी और अपने पति को संबोधित  करके गुहार लगाती रही लेकिन … Read more

दृष्टि की कुदृष्टि – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

   उस दिन सुबह में सोमेश के घर कोहराम मचा हुआ था। उसकी पत्नी घर से गायब थी।     सुबह में जब सोमेश की आंँखें खुली तो करवट बदलने पर उसने देखा कि उसकी नवोढ़ा पत्नी बिस्तर पर नही है। पहले तो उसने समझा कि हो सकता है बाथरूम वगैरह गई होगी।  किन्तु कुछ देर के बाद … Read more

वादा-खिलाफी – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

   नम्रता को जैसे ही अपने रिश्तेदारों से मालूम हुआ कि दक्षेश की शादी पक्की हो गई है। लड़की का पिता उस शहर का धनी व्यक्ति है। शादी में उसे इतना दान-दहेज़ मिलेगा कि उसका घर धन-दौलत और बेशकीमती सामानों से भर जाएगा। घर के पुरुषों ने लड़की पसंद कर ली है। सिर्फ महिलाओं को देखना … Read more

छाया – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

   जाड़े की रात थी। चारों ओर अंधेरे का साम्राज्य था। चतुर्दिक नीरवता व्याप्त थी। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। बर्फ की तरह ठंडी हवा बह रही थी।    रात के दो बजे के आस-पास मेरी नींद टूट गई। कुछ देर तक मैं आंँखें बन्द करके लेटा रहा किन्तु नींद नहीं आई। तरह-तरह की बातें दिमाग … Read more

प्रेम-पुजारी – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

   पुजारी शंभुनाथ की उम्र जब ढलने लगी तब बुढ़ापा के कारण उनकी शक्ति क्षीण हो गई, घुटनों के दर्द के कारण चलना-फिरना  भी मुश्किल हो गया तो ऐसी परिस्थिति में दैनिक पूजा-पाठ की जिम्मेदारी अपने युवा पुत्र भुवनेश को सौंप दी।    झूलन, जन्माष्टमी और शिवरात्रि जैसे व्रतों और अन्य त्योहारों में ही वे आते थे … Read more

किस्मत का करिश्मा – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

देवांश अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद रोज़ी-रोटी के लिए प्रयत्न करने लगा। लम्बा-चौड़ा सुगठित बदन और मजबूत कद-काठी होने के कारण उसने सिपाही और दरोगा की नौकरी के लिए प्रयास शुरू कर दिया, किन्तु कभी वह फिजीकल में छट जाता तो कभी लिखित परीक्षा में। इस तरह उसकी आकांक्षा पूरी नहीं हो सकी । … Read more

यादें मिट क्यों नहीं जाती? ( भाग-5 ) : Moral stories in hindi

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अनुराग और रश्मि एक दूसरे को चाहते थे लेकिन दोनों में से कोई खुलकर अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं कर पा रहे थे। एक दिन हिम्मत करके अनुराग ने अपनी चाहत को उसके सामने रखा। उसके जवाब में रश्मि ने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उसके प्रति समर्पण की भावना … Read more

यादें मिट क्यों नहीं जाती? ( भाग-4 ) : Moral stories in hindi

 आपने पढ़ा कि राम नरेश बाबू कोर्ट-कचहरी के चक्कर में हमेशा बाहर ही रहते थे। हवेली की सारी जिम्मेवारी सुमित्रा देवी पर थी। फिर भी व्यस्तता के बावजूद वह यदा-कदा रश्मि की पढ़ाई के संबंध में जानकारी लिया करती थी। अनुराग और रश्मि के बीच नजदीकियांँ बढ़ने लगी थी। दोनों अपने भावी जीवन की रूपरेखा … Read more

यादें मिट क्यों नहीं जाती? ( भाग-3 ) : Moral stories in hindi

आपने पढ़ा कि आपसी विचार-विमर्श और अनुराग की सहमति के बाद वह रश्मि को नियमित पढ़ाने लगा। इस दरम्यान वह रश्मि के सौंदर्य और प्रगतिशील विचारधारा से प्रभावित होकर उसकी ओर आकर्षित होने लगा, फिर भी वह अनहोनी की आशंका के वशीभूत वह अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखता था। अक्सर अनुराग, रश्मि की बड़ी … Read more

यादें मिट क्यों नहीं जाती? ( भाग-2 ) : Moral stories in hindi

आपने पढ़ा कि भूतपूर्व जमींदार के पुत्र राम नरेश बाबू को जब अपनी मित्र-मंडली और चाटुकारों से पता चला कि उनके कस्बे में अनुराग नामक युवक ने बी. एस. सी. किया है, तब उन्होंने अपनी पुत्री  रश्मि को उससे ट्यूशन पढ़वाने का मन बना लिया था क्योंकि शादी की उम्र हो जाने के बाद भी … Read more

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