यादें मिट क्यों नहीं जाती? ( भाग-1 ) : Moral stories in hindi

   उसके लिए घर-गृहस्थी की गाड़ी खीचना विवशता थी। मांँ-बाप ने जिसके साथ विवाह कर दिया था, उससे पिंड छुड़ाना उसके वश की बात नहीं थी। चाहकर भी वह ऐसा नहीं कर सका था।   पति-पत्नी में बर्फ का ठंडापन और हारे हुए खिलाड़ी की उत्साहहीनता व्याप्त थी।   कभी-कभी उसकी इच्छा होती थी कि घर का त्याग … Read more

आत्मग्लानि की आंँच – मुकुन्द लाल  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – एक बाजारनुमा कस्बे में दो भाई अमरेश और मंजीत रहते थे। दोनों भाइयों का संयुक्त परिवार था। बड़ा भाई अमरेश को कपड़े की दुकान थी जबकि छोटा भाई आटा-तेल के मिल में नौकरी करता था। दोनों भाइयों का परिवार पुश्तैनी मकान में ही रहता था।    उनके माता-पिता का निधन … Read more

जाने कब जिन्दगी में कौन सा मोड़ आ जाए ये कोई नहीं जानता – मुकुन्द लाल  : Moral Stories in Hindi

   श्रीमन अपनी पढ़ी-लिखी पुत्री मेधा की शादी अपने पड़ोसी शहर के बड़े व्यवसायी के लड़के ओमेश के साथ करके निश्चिंत हो गए कि एक जिम्मेदारी तो समाप्त हुई।    शादी के बाद ससुराल में सारी पारम्परिक औपचारिकताओं का विधिवत नार्वाह किया गया। इस तरह दोनों पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन का शुभारंभ हो गया।    मेधा को सास-ससुर … Read more

जब मैंने कोई गलती नहीं की है तो क्यों बर्दाश्त करूंँ – मुकुन्द लाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : ‘अश्वजीत और तिलक एक ही विभाग के दफ्तर में काम करते थे। दोनों के परिवारों के सदस्यों का एक-दूसरे के घरों में आना-जाना लगा ही रहता था।     तिलक की पत्नी शुभाश्री अश्वजीत की पत्नी स्तुति से अधिक खूबसूरत थी। दोनों की शादी हुए भी अधिक समय नहीं हुए थे। अश्वजीत … Read more

‘मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूंँ’-मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : उस शहर के भुपेन्द्र बाबू प्रतिष्ठित व्यवसायी थे। उनका कारोबार कई क्षेत्रों में फैला हुआ था। कई घरेलू और उपयोगी सामानों के थोक विक्रेता तो थे ही इसके अलावा उनकी एक फैक्ट्री भी थी जिसमें दर्जनों लोग काम करके अपना जीवन-यापन करते थे।   उनकी इकलौती पुत्री शिल्पा सूरत और सीरत … Read more

आप टेंशन मत लीजिए वैसे भी मुझे आदत हो गई है इस सबकी। : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :   मानसी के पति की मृत्यु बहुत पहले ही एक दुर्घटना में हो गई थी, जब उसके तीनों बच्चे एकांशी, पायल और देवांश छोटे थे। एकांशी तीनों में सबसे बड़ी थी।  उसके पति एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे।   ऐसे दुखद मौकों पर कंपनी से अनुकम्पा के रूप में मिलने … Read more

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