‘मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूंँ’-मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : उस शहर के भुपेन्द्र बाबू प्रतिष्ठित व्यवसायी थे। उनका कारोबार कई क्षेत्रों में फैला हुआ था। कई घरेलू और उपयोगी सामानों के थोक विक्रेता तो थे ही इसके अलावा उनकी एक फैक्ट्री भी थी जिसमें दर्जनों लोग काम करके अपना जीवन-यापन करते थे।

  उनकी इकलौती पुत्री शिल्पा सूरत और सीरत में अव्वल दर्जे की थी। अपने क्लास में वह हमेशा प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण होती थी। उसके पिताजी उसकी उपलब्धियों से बहुत खुश रहते थे। उसकी मांँ राजेश्वरी भी अपनी पुत्री पर स्नेह और प्यार की बारिश करने में अपने पति से जरा भी पीछे नहीं रहती थी।

   दोनों पति-पत्नी की शुरु से ही इच्छा थी कि उसका ब्याह अच्छे खांदान, संस्कारी व सुखी-सम्पन्न परिवार में करेंगे।

   जब शिल्पा अच्छे रैंक में स्नातक उत्तीर्ण हो गई तो उसके माता-पिता उसके हाथ पीले कर देने की बातें सोचने लगे। उनकी मंशा जग-जाहिर होते ही अगुओं का आना प्रारम्भ हो गया।

   एक रिश्ते पर दोनों पति-पत्नी की सहमति बनी। वह लड़का था गजेंद्र जो बड़े शहर के बड़े ब्यापारी का पुत्र था। वह खूबसूरत नौजवान  तेज तर्रार और वाक-पटु भी था।

   निर्धारित तिथि पर शुभ मुहूर्त में दोनों की शादी धूमधाम से संपन्न हो गई। 

   प्रारम्भ में गजेंद्र और शिल्पा एक दूसरे को जी-जान से चाहते थे।

   प्रथम मिलन के समय मध्य रात्रि में जब खूबसूरत व सुगंधित फूलों की लड़ियों द्वारा सजाए गए कक्ष में गजेंद्र पहुंँचा था तब शिल्पा की चूड़ियों की खनखनाहट और पायलों की ठनठनाहट सुनकर उसका मन-मयूर नाच उठा था। उसके गौर वर्ण, खूबसूरत चेहरे, तीखे नाक-नक्श, सूर्ख रसीले होठ, करारी आंखें, रेशम सदृश केश-राशि, मोहक मुस्कान और कटाक्ष भरी नजरों से उसका दिल ऐसा घायल हो गया कि शिल्पा को अपने आलिंगनपाश में जकड़ने के बाद ही उसकी बेचैनी दूर हुई थी।

   कुछ-कुछ ऐसी ही मिलती-जुलती स्थिति शिल्पा की भी थी।

   पर दोनों के बीच पनप रही अंतरंगता की गर्माहट कुछ महीनों के बाद ही तेजी से घटने लगी। जब कारोबार से रात्रि में फुर्सत पाकर यदा-कदा वह शराब पीकर घर लौटने लगा। प्रारम्भ में उसने इस बाबत उससे कुछ पूछताछ नहीं की। किन्तु जब वह लगभग प्रतिदिन रात में पीकर आने लगा तो शिल्पा के बर्दाश्त करने की क्षमता जाती रही। उसने उसको डांँटते हुए कहा कि यह कहाँ का नियम है कि इस घर का जिम्मेवार बड़ा लड़का जो इतने बड़े व विस्तृत क्षेत्रों में फैले हुए व्यवसाय का कर्णधार हो, वह इस तरह का आचरण करे, शराब पीकर घर आये, यह हर दृष्टिकोण से गलत है। तब उसने कहा कि उसको साथियों ने जबरन उसे पिला दिया, वैसे वह शराब पीता नहीं है। वह पियक्कड़ नहीं है। 

   तब उसने विफरते हुए कहा, “झूठ मत बोलिए आप बराबर पीकर आते हैं लेकिन मैंने आपकी मान-मर्यादा का ख्याल रखते हुए इसके पहले कुछ नहीं कहा..” 

   “ज्यादा व्याख्यान मत दो, मुझे पाठशाला का बच्चा मत समझो।.. मुझे भी बोलना आता है।.. शांत रहो, रात में कचकच मत करो, पापा-मम्मी की नींद टूट गई तो क्या कहेंगे? … मैं अब नहीं पीऊंँगा और कुछ” कहते हुए वह शिल्पा की खुशामद करने लगा, फिर उसको साथ लेकर अपने कमरे में चला गया। 

   शिल्पा का अंतर्मन अपने पति के चाल-चलन से दुखी रहने लगा। वह सोच रही थी कि उसके पापा ने कितनी उम्मीद से यहां उसकी शादी की थी कि उसकी जिन्दगी खुशहाल होगी, उसका दामाद संस्कारी होगा। लेकिन उनकी आकांक्षा  तो मृगतृष्णा ही साबित हो रही है। 

   शिल्पा अपने पति के आचरण और उसकी  गतिविधियों पर निगरानी रखने लगी किन्तु अपनी ससुराल में अपने सास-ससुर से इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा इस प्रत्याशा में कि आज न कल उनमें सुधार आ जाएगा। फिर भी उसने अपने छोटे देवर क्षितिज को सांकेतिक भाषा में कुछ जानकारी देकर अपने पति पर निगरानी रखने की सलाह दी थी। 

   किन्तु ज्यों-ज्यों दवा दी गई मर्ज बढ़ता गया कहावत के अनुसार क्षितिज के द्वारा ऐसी जानकारी मिली उसे जिससे गजेंद्र का चरित्र शिल्पा को पूर्ण रूप से दागदार महसूस होने लगा। उसे पता चला कि उसका संबंध पेशेवर लड़कियों से है। इस जानकारी के बाद उसने अपनी किस्मत ठोक ली। उसे विश्वास हो गया कि उसकी जिन्दगी सचमुच बर्बाद हो गई। 

   शिल्पा का संबंध अपने पति से खराब तो हो ही गया लेकिन जब उसके सास-ससुर को उसके गलत सोहबत की जानकारी मिली तो उनके दुख का पारावार नहीं रहा। गजेंद्र उनको झांसा देकर वह अपने दुर्गुणों को छुपाए हुए था। वैसे भी उसके माता-पिता बुजुर्ग हो चुके थे। 

   उन्होंने शिल्पा से चिरौरी करते हुए कहा भी कि वह(बहू) किसी प्रकार उसको सुधारने की कोशिश करे। उनकी बातें सुनकर वह मौन रह गई थी, कोई जवाब नहीं दिया था। 

   उस दिन देर रात वह घर लौटा तो शिल्पा ने देखा कि उसके चेहरे और वस्त्र पर कई जगह लिपस्टिक के दाग तो थे ही, उसके अंगों-उपांगों पर भी कुछ ऐसे निशान मौजूद थे जो चीख-चीखकर उसको चरित्रहीन साबित कर रहे थे। 

   कमरे में प्रवेश करते ही जब वह शिल्पा की ओर आगे बढ़ा तो उसने शेरनी की तरह दहाड़ते हुए कहा, 

” खबरदार!… आगे मत बढ़ो!… डोंट टच मी … तुम ऐय्यास हो, करप्ट हो।” 

   “तुम्हारा इल्ज़ाम सरासर गलत है, न तो मैं किसी दूसरी लड़की से प्यार करता हूँ और न भविष्य में ऐसा इरादा रखता हूँ।… झूठ-मूठ की तोहमत लगाते तुम्हें शोभा नहीं देता है शिल्पा।” 

  ” गलत सोहबत में तुम अंधे हो गए हो… न तो तुम्हें अपने भविष्य की चिन्ता है और न मेरे भविष्य की।… छीः! छीः!… घिन आती है तुम्हारी इन गंदी हरकतों पर… अपना चेहरा देखो आइने में… “

  ” तुम्हारी तेज आवाजों से अगल-बगल के पड़ोसी क्या सोचेंगे, बन्द करो अपनी बकवास… अब चुप भी रहो शिल्पा… “

  ” मर गई शिल्पा तुम्हारे लिए… मैं तो जिन्दा लाश हूँ जो छाया की तरह तुम्हारे इर्द-गिर्द भटक रही हूँ।… मैं अब मायके जाऊंगी। सारी स्थितियों की जानकारी अपने माता-पिता को दूंँगी, उनसे इस पर राय परामर्श लूंँगी कि मुझे अब क्या करना चाहिए, कौन सा कदम उठाना चाहिए। “

  ” खबरदार!… तुम कहीं नहीं जाओगी!… मैं तुम्हारा पति और तुम मेरी पत्नी हो”उसने कड़कती आवाज में कहा। 

  ” मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं, किसी की बेटी भी हूंँ।… बहुत उम्मीद लेकर मेरे पापा-मम्मी ने तुम्हारे साथ शादी की थी लेकिन उनकी और मेरी उम्मीद पर तुमने पानी फेर दिया। “

   उसने तल्ख आवाज में कहा,” मेरी बातें नहीं मानोगी तो मैं तुमको तलाक दे दूंगा!” 

   “आप क्या तलाक देंगे?… मैं तो आपको तलाक देने का निर्णय मैं ले चुकी हूँ। “

   गजेंद्र को अपनी पत्नी से ऐसे जवाब की आशा नहीं थी। वह एक टक अपनी पत्नी का आक्रोशित चेहरा देखता रह गया। 

   स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित 

                 मुकुन्द लाल 

               हजारीबाग(झारखंड) 

                14-11-2023

         वाक्य कहानी प्रतियोगिता 

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