आखिर डर से जीत हुई ….. – अमिता कुचया : Moral stories in hindi

संजना के आज घर लौटने पर सास को बहुत चिंता होती है ,रात के साढ़े नौ बज चुके थे। और लता जी की नजरें बार -बार घड़ी की ओर जा रही थीं। फिर जब वो अपने बेटे जीतू से पूछती हैं -“क्यों बेटा आज संजना क्यों लेट हो गई?जरा फोन तो लगा , संजना क्यों लेट हो रही है।” तब जीतू कहता – ” मां मैं भी परेशान हूं, मैं  उसे  दो बार  फोन लगाकर देख चुका हूं, उसका फोन बंद ही बता रहा है। फिर भी लता जी को चैन न पड़ती है, तो  वो फिर जीतू से कहती – ” बेटा  उसके आफिस में फोन लगा कर देखो तो सही…कहीं ओवर‌टाईम  वर्क तो नहीं कर रही है,या कितनी देर पहले वो निकली है। कम से कम पता तो चले आखिर क्यों लेट है, क्या कारण है! कुछ पता चले तो चैन मिले…

फिर बाद में फोन करने पर जीतू को पता चलता कि वह आफिस से निकल चुकी है।”

फिर जीतू अपनी मां को बताता है – ” मां चिंता मत करो ,वो निकल चुकी है।बस संजना आती ही होगी।”

थोड़ी  ही देर में बेल बजती है ,तब संजना आ जाती है , वह एकदम चुपचाप सी उदास होकर कमरे में चली जाती है।तब सास उसका चेहरा देखकर समझ जाती हैं कि संजना कितनी परेशान है।वह तो  कभी नहीं  इतनी  परेशान नहीं होती है उनके मन में आता है, आखिर आज इसे क्या हो गया है, क्यों चेहरा इतना उतरा हुआ है!

अब संजना अपने आप को मन शांत कर मुंह हाथ धुलती है,और गहरी सांस लेती है। फिर चेहरा पोंछ कर  डाइनिंग टेबल पर खाने  बैठ  जाती है ,तब लता जी पूछती हैं -” बेटा संजना इतनी बुझी- बुझी सी क्यों लग रही है? ऐसा आखिर क्या हो गया?  जो तू इतनी बुझी बुझी सी है,  तुझे क्या परेशानी है?

तू अपनी परेशानी हमें नहीं बताएगी तो किसे बताएगी ? और लता जी उसके पास खिसक कर बैठ कर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछती हैं- तब‌ सासूमां के एकदम से सीने से चिपक कर सिसक कर कहती है  कि “मां ये हम औरतों के साथ ही क्यों होता है?”

फिर चिंतित स्वर में  लता जी पूछती हैं –

“बेटा ऐसा क्या हो गया? खुलकर बता मन का बोझ हल्का हो जाएगा।”तब वह बोलती -” मां आज  एक  गुंडे ने मेरा पीछा करने की कोशिश की। मैंने जैसे ही  मुड़ कर देखा तो वह रुक गया,उस समय मैं  बहुत डर गई।पर मन  में  ये लग रहा था कि वह बहुत देर से पीछा कर रहा हो।और तब मैंने  तेज कदमों से चलकर आटो  की । और मैं  डर के कारण अब जाकर घर पहुंच पाई हूं।तब से लेकर अब तक मैं सहमी हुई हूं,उसका चेहरा नहीं भूल पा रही हूं।

इतने में उसके पति जीतू ने कहा -” संजना तुम चिंता मत करो। तुम्हें यदि चेहरा याद है  तो हम स्कैच बनवा कर पुलिस में रिपोर्ट कर देंगे।” फिर लता जी ने भी कहा -“हां बेटा ,तू चिंता मत कर हम ऐसे गुंडे-बदमाश को सजा दिलाकर रहेंगे।

फिर अगले दिन सास ने वैसा ही संजना  का उदास भरा चिंतित चेहरा देखा तो कहा -” अरे संजना तू आफिस के लिए तैयार नहीं हुई।”

तब उसने कहा -” मां मुझे अंदर से डर लग रहा है। कहीं वह आज भी पीछा न करें। ” तब लता जी ने कहा- “बेटा हम तेरे साथ है।तू चिंता मत कर।कैसा भी वक्त हो,वह बीत ही जाता है।हम तेरे अपने है न,  तू आज आफिस जीतू के साथ निश्चिंत होकर जा।तेरे पीछे जो पड़ा है, उसे रंगे हाथों पकड़वाने की कोशिश करेंगे।यदि वह पीछा  करता है तो जीतू  को इशारे से बता देना,तब जीतू वीडियो रिकॉर्डिंग कर लेगा।अगर उसने पीछा नहीं किया तो उसका स्कैच बनवा कर पुलिस को दे आना। संजना तू कमजोर बनेगी तो कैसे चलेगा।उस गुंडे बदमाश के डर से कब तक तू घर में रहेगी।

इस तरह उसकी हिम्मत तो और बढ़ जाएगी।तू ऐसे समय में कमजोर नहीं पड़ सकती है, मैं चाहती हूं कि दूसरों के लिए उदाहरण बने।न कि घर में सहम कर रह जाए।तू तो  पढ़ी लिखी सर्विस वाली बहू है  बेटा ,तू अपने आप को कमजोर करके  घर पर मत रोक,ये दृढ़ संकल्प बनाकर निडर होकर आगे बढ़ , और अपनों का साथ हो तो डर कैसा? हम हैं तो चिंता कैसी….

अब लता जी की बात सुनकर संजना के  अंदर आत्मविश्वास आ गया था।तब संजना ने कहा-” मां जी आपने सही कहा मैं कब तक डरकर रहूंगी। मैं हर परिस्थिति का सामना करुंगी।आप लोगों का साथ हो तो मैं भी कमजोर नहीं पड़ सकती।

इस तरह जीतू ने भी उसका साथ देकर कहा -मैं तुम्हारे साथ हूं,अगर रास्ते में  वह पीछा करें तो तुम मुझे इशारा करके बता देना और हम दोनों सावधान रहेंगे,और वह नहीं आया तो  आज हम पहले स्कैच बनवाकर पुलिस को देंगे, साथ ही रिपोर्ट भी लिखवा देंगे।फिर  उसके बाद तुम्हें आफिस छोड़ दूंगा, साथ ही जब निकलने लगो तो तुम मुझे फोन करना, मैं तुम्हारे आफिस पहुंच जाऊंगा, और मैं अपनी गाड़ी पर रहूंगा,तुम जैसे घर जाती हो तो वैसे ही जाना,तुम  मुझे मैसेज करते रहना, ताकि ऐसी परिस्थिति में तुम्हें डर न लगे उसकी हिम्मत बढ़ न पाए,तुम उस से निश्चिंत रह सको। और तुम मुझसे फोन पर टच पर रहना।और दोनों प्लान बनाकर निकलते हैं।

फिर संजना मां का आशीर्वाद लेते हुए कहती -” मां  जी मुझे आपका और इनका साथ चाहिए ताकि मैं उस गुंडे बदमाश को सजा दिला पाऊं।यदि हम शांत हो गये तो उसकी हिम्मत  और बढ़ जाएगी।”

और फिर वह पति के साथ घर से निकलती है तो दुबारा पीछा करता हुआ कोई समझ न आया।

और वो दोनों  उसका स्कैच बनवाकर पुलिस में दे देते है और रिपोर्ट लिखवा देते है ।अगले तीन  दिन बाद पुलिस अधीक्षक का फोन आता है, वो कहते है वो तो बड़ा शातिर चोर था। पर्स चुराने के चक्कर में था।इसकी तो बहुत दिनों से तलाश थी।आज वो तलाश आप लोगों के  कारण पूरी हो गयी।

इस तरह उसके मन को सुकून मिलता है।

और तीन  दिन तक वह स्वयं की सुरक्षा के साथ वह सावधानी से  सचेत होकर निडरता से  मुश्किल वक्त का सामना करती है, और शातिर चोर 

 पकड़ा जाता है,और वह  निश्चित होकर सास और पति के कारण ही राहत की सांस लेती है, और अपनी  मंजिल की ओर   निडरता से बढ़ने लगती है। ताकि और औरतों के लिए उदाहरण बन सके।

दोस्तों- महिला सशक्तिकरण की बात करना आसान है ,पर मुश्किल हालात का सामना करके आगे बढ़ना हम सबके लिए बहुत बड़ी बात होती है।यह महिला सशक्तिकरण का हथियार  अगर सही समय पर सही परिस्थिति पर लागू करें।तो कोई मुश्किलें आ ही नहीं सकती है।और घर के लोगों का साथ हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है।

हम सोचते हैं सर्विस करने महिला स्वतंत्र होती है  सुपर वुमन होती है,पर ऐसा नहीं होता है। उनके भी दायरे होते हैं। वह घर परिवार को लेकर जिम्मेदारी से आगे बढ़ती है।

दोस्तों -ये कहानी कैसी लगी, कृपया अपने सुझाव और प्रतिक्रिया अवश्य दे। धन्यवाद 🙏🙏

स्वरचित मौलिक रचना

अमिता कुचया ✍️

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