चौबाइन चाची – कनक केडिया

कुछ काम से,रास्ते मे आज बाजार जाना हुआ। रास्ते में ममतालु से चेहरे वाली गोल गोल एक अधेड़ औरत को देख जाने क्यूँ मायके की चौबाइन चाची की याद आ गयी। याद जब आ ही गयी है तो उस याद को आप सब से बाँटने का मन हो रहा है। सही बात तो ये है … Read more

रिश्तों की स्पष्टता – लतिका श्रीवास्तव

मोबाइल उठा कर हेलो कहते ही दूसरी तरफ से राजन की झुंझलाती आवाज आई अरे यार जल्दी बोलो कुछ जरूरी बात है क्या …टाइम नहीं है मेरे पास सांस लेने का भी….बस इतना सुन कर ही शिखा ने मोबाइल ऑफ कर दिया ….पूरा मूड खराब हो गया था उसका… राजन की व्यस्तता!!! कम तो कभी … Read more

सुहाग चिन्ह – डाॅ उर्मिला सिन्हा

   गंगा कावेरी दोनो बचपन की सहेलियां थी।दांतकाटी मित्रता थी दोनो में।साथ-साथ बडे़ हुये ,खेला पढाई की।गुड्डे गुड्डियों की व्याह रचायी ।गर्मी के दोपहरी में  कच्ची अंबिया पिछवाडे़ से तोड़ नमक-मिर्च लगाकर चटखारे एक साथ लिये।   “चल सावन के झूले लगे!”  “हां हां कजरी गायेंगे।”संग संग सावन में पींगे भरी। सर्दियों में लाल पीली हरी नीली … Read more

गोद लेने की सजा  –  के कामेश्वरी

मोहन और अपर्णा की शादी हुए दस साल हो गए थे लेकिन उनके बच्चे नहीं हुए थे। उन दोनों ने मिलकर कई डॉक्टरों के चक्कर काटे परंतु कोई फ़ायदा नहीं हुआ तब दोनों ने मिलकर यह फ़ैसला किया था कि वे एक बच्ची को गोद लेंगे । मोहन को लड़कियाँ पसंद थी इसलिए उनके घर … Read more

अनमोल रिश्ता – आरती झा आद्या

नौ बज गए मम्मी.. ओह आज तो मैं देर हो गई मम्मी… सब इंतजार कर रहे होंगे… निदा दूध और बिस्किट के पैकेट उठाती बोल रही थी। कोई इंतजार नहीं कर रहा होगा। क्या सनक सवार है इस लड़की पर। ऐसे कोई काम कहो तो कान में तेल डालकर बैठी रहती है…बड़बड़ाती निदा की मां … Read more

समझाइश  – पुष्पा जोशी

पार्थ ने फोन का रिसीवर रखा और एक लम्बी सांस ली।उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई, वह सोच रहा था कि जब स्मिता  मौसी घर आएगी, वह सबके साथ साम्य कैसे स्थापित करेगा।पत्नी रूपा अपनी जिद पर अड़ी है।माँ बीना इस पूर्वाग्रह से बाहर ही नहीं आ पा रही है, कि वे जो … Read more

आखिर मुखौटा उतर ही गया – शुभ्रा बैनर्जी

नंदिनी काफी दिनों से विवेक को तलाश रही थी।बहुत मुश्किल से जब पता मिला तो नंदिनी मिलने के लिए पहुंची आफिस।आलीशान बिल्डिंग थी ।नंदिनी आफिस से उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की खुशहाली देख सकती थी।दूर से देखकर नंदिनी ने विवेक को पहचान लिया था।बस अब उससे मिलने की जरूरत नहीं। विवेक को देखते ही नंदिनी अपने … Read more

वृद्धाश्रम – सीमा पण्ड्या

चलो आज माँ को वृद्धाश्रम दिखा ही लाता हूँ। बड़े बेटे ने अपनी पत्नी से कहा तो ७५ वर्षीय सावित्रीदेवी भौंचक हो कर बेटे का चेहरा देखने लगीं। बेटे के चेहरे पर गंभीरता थी बोला “ माँ एक नयावृद्धाश्रम बना है, जल्दी से तैयार हो जाओ, आज आपको वहाँ की सब सुख- सुविधाएँ दिखा लाता … Read more

सुगनी काकी  – पुष्पा जोशी

यशोधरा ने रोते हुए घर में प्रवेश किया, रोते-रोते उसका बुरा हाल था, मॉं ने कहा- ‘क्या बात है क्या आज फिर सुगनी काकी ने तुझसे कुछ कहा?’ वह कुछ नहीं बोली सीधे अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई उसका रोना रूक ही नहीं रहा था.’अब तो हद ही हो गई, पीछे ही … Read more

माँ जी सहारे की ज़रूरत आपको होगी ,,मुझे नहीं – मीनाक्षी सिंह

ख़ुशी – माँ जी कितनी बार कहाँ हैँ आपसे मेरे पीछे मत पड़िये ! मैं कोई दो साल की बच्ची तो नहीं जो आपकी मर्जी से चले ! मुझे पता है मुझे प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए क्या  नहीं ! डॉक्टर ने मुझे डाईट चार्ट दिया हैँ ! मैं उसे फौलो कर रही हूँ ! … Read more

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