भला उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे – सारिका चौरसिया

कामिनी जी बड़ी बेबाक महिला थी उन्हें न तो किसी से डर लगता और न ही वे किसी का अदब करना ही जानती थीं। उन्हें हर हमेशा अपनी ही बात सही लगती। और अक्सर बिना किसी भी बात की तह तक पहुँचे वे प्रथम दृष्टया धारणा बना लिया करती थीं। यहां तक कि ज्यादातर उन्हें … Read more

मुझे तो मक्खन जैसी बहू चाहिए – सुषमा यादव

सपना के पति और उनके एक बहुत घनिष्ठ मित्र दीपक एक ही यूनीवर्सिटी में पढ़ रहे थे। दोनों की शादी हो चुकी थी,पर बच्चे अभी नहीं थे। पूरी यूनिवर्सिटी में उन दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। एक दिन दीपक ने सपना के पति राजेश से कहा,यार,चलो हम अपनी इस दोस्ती को एक … Read more

अभिमान – अविनाश स आठल्ये

ये देखो नितिन, हर्षल गुप्ता भी तो तेरे साथ पढता था न, उसे भी बैंक में जॉब लग गया है, उसके माँ बाप का भी सीना गर्व से  किंतना चौड़ा हुआ होगा सोचो.. नितिन की माँ सुंगधा ने कहा। तुझे पता है, विभा भी सिविल सर्विसेज के लिए सिलेक्ट हो गई है, तू कुछ बनेगा … Read more

 अभिमान का कीड़ा –    विभा गुप्ता

 ” क्या छोटी भाभी,आप छोटी-सी बात को तिल का ताड़ क्यों बना रहीं हैं।बच्चा है, खेलते हुए एक खिलौना टूट ही गया तो क्या हुआ?” नैना ने दिव्या को समझाने का प्रयास किया तो वह बिफ़र पड़ी, ” खिलौना..! तुमलोगों ने कभी मंहगे खिलौने देखे भी हैं क्या।ये तो मेरा भाई जापान से लाया जिसे … Read more

धोखा – गणेश पुरोहित

     मैं गांव में रह कर राजनीति करता रहा और सुधीर शहर जा कर एक बड़े राजनेता का शार्गिद बन गया। राजनीति में आगे बढ़ने के गुर उसे आगये। मैं गांव की राजनीति करते- करते सिर्फ सरपंच बन कर रह गया और वह एमएलए, सांसद और मंत्री बन गया। उसके पास तिकड़मी धूर्तता और बेईमानी से … Read more

 मैं  ही क्यों ? – पूनम अरोड़ा

वैदिक मैसेज कर रहा था रिमि को ” मुझे पीहू के साथ अचानक रेस्ट्रां में  देखकर अपने मन में  मेरे  उसके साथ किसी रिश्ते की काल्पनिक  अवधारणा  बना कर तुम बिना कुछ  पूछे , बिना कहे एक मिनट में सब  कुछ खत्म करके मायके चली गई । मैंने कितनी बार तुमसे  बात करने की कोशिश  … Read more

अभिमान या स्वाभिमान – नीलिमा सिंघल

बनारस रेलवे स्टेशन के बाहर गौरी अपनी रिक्शा पर बैठी कोई सवारी मिलने का इंतजार कर रही थी। गाड़ी आ चुकी थी। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। सभी को अपनी मंज़िल पर पहुंचने की जल्दी थी। बाहर बहुत से रिक्शा वाले थे। उन सब में एक गौरी ही अकेली लड़की थी जो रिक्शा चलाती थी। … Read more

अभिमान कैसा? –  विभा गुप्ता

  ” नहीं दीनदयाल, तुमने विवाह में कार देने की बात कहकर अब मुकर रहे हो, यह ठीक नहीं है।आखिर मैं बेटे का बाप हूँ, समाज में मेरी इज़्जत रह जायेगी।” रामकृष्ण अपने समधी से तीखे स्वर में बोले तो दीनदयाल बोले कि हाँ रामकृष्ण, मैंने तुमने कार देने की बात कही थी लेकिन तब छोटी … Read more

अभिमान ही मेरा गहना है – के कामेश्वरी

सरस्वती भगवान के पास हाथ जोड़कर विनती कर रही है कि हे भगवान मुझे अपने पास बुलाना भूल गए हो क्या ? और कितने दिन मुझे यह सब सहना पड़ेगा । मैंने ऐसी कौनसी ग़लतियाँ की हैं जिसकी सज़ा मुझे मिल रही है । सरस्वती है कौन उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है जिससे … Read more

तोहफा – डा. मधु आंधीवाल

 रमेश जी बहुत दिनों से देख रहे थे रोनित की भाग दौड़ को । मंजुला ने बहुत जल्दी रमेश जी का साथ छोड़ दिया । रोनित की जिम्मेदारी सौंप कर । रमेश जी बहुत धनाढ्य परिवार के थे । पिता का बहुत बड़ा व्यापार । रमेश जी चार भाई थे तीन भाई छोटे थे । … Read more

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