मुझे तो मक्खन जैसी बहू चाहिए – सुषमा यादव

सपना के पति और उनके एक बहुत घनिष्ठ मित्र दीपक एक ही यूनीवर्सिटी में पढ़ रहे थे। दोनों की शादी हो चुकी थी,पर बच्चे अभी नहीं थे। पूरी यूनिवर्सिटी में उन दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी।

एक दिन दीपक ने सपना के पति राजेश से कहा,यार,चलो हम अपनी इस दोस्ती को एक अटूट रिश्ते में बांध देते हैं। राजेश ने कहा, वो कैसे। 

दीपक ने कहा, यदि हम दोनों में से एक के लड़का और दूसरे के लड़की हुई तो हम दोनों उनकी शादी कर देंगे। बोलो है मंजूर। राजेश ने दीपक को गले लगाते हुए कहा, तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी। 

तो चलो,आज वादा करते हैं, और ये वादा हम पूरी शिद्दत से निभायेंगे।कह कर दीपक ने राजेश को आलिंगनबद्ध कर लिया। 

समय के साथ साथ दीपक को बेटा हुआ और संयोग वश एक साल के बाद राजेश को प्यारी सी बेटी हुई। दोनों के साथ साथ उनके परिवार वाले भी बहुत खुश थे। कालांतर में दोनों अपने अपने क्षेत्र में बड़े अधिकारी बन गये।

पत्र-व्यवहार और बाद में फोन पर परस्पर संपर्क बना रहा।

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चूंकि शादी की बात तय हो चुकी थी तो राजेश और सपना दोनों बेटी से निश्चिंत थे, उन्हें कोई टेंशन नहीं था, राजेश के बड़ी बेटी के बाद एक और बेटी हुई।

दोनों ही उच्च शिक्षित होकर एक कंपनी में और दूसरी मेडिकल लाइन में चली गई। 

इस खुशनुमा परिवार में वक्त का पासा पलटा और राजेश का अचानक देहावसान हो गया।

एकाध साल के बाद दीपक का फोन सपना को आया,, भाभी जी, बहुत दुःख हुआ अपने जिगरी दोस्त के बारे में सुन कर।

उनका फोन नहीं लग रहा था तो मैंने किसी तरह उनका नंबर पता किया। आप बिल्कुल भी चिंता नहीं करें,हम सब आपके साथ हैं।




सपना ने रोते हुए कहा, हां भैया,उनका फोन चोरी हो गया था,अब तो आपका ही सहारा है।

जी भाभी जी, आप निश्चिंत रहें।

इस तरह कभी कभी राजेश से तो कभी उनकी पत्नी से सपना की बातें होती रहती। उनकी बातचीत में हमेशा अप्रत्यक्ष रूप से शादी की बातें शामिल होती तो सपना भी बेटी की शादी से तनाव मुक्त थी।

वो बिहार के थे और सजातीय भी थे। एक दिन सपना ने कहा,अब शादी की तारीख पक्की कर ली जाए। हां, हां क्यों नहीं। 

उन्होंने घुमा फिरा कर सपना की संपत्ति का ब्यौरा लिया, राजेश को तो नाममात्र की ही पेंशन मिलती थी , अर्द्ध शासकीय विभाग था। ऊपर से बेटी की मेडिकल पढ़ाई का खर्च। सपना शिक्षिका थी। 

उनकी पत्नी की भाषा एक दम से बदल गई, बहुत ही अभिमान से सपना से बोलीं,, सपना जी, बुरा मत मानिएगा, एक तो आपकी लड़की का कद कम है ऊपर से सुना है रंग भी सांवला है।

सपना ने बात काटते हुए कहा, जी, दीदी कद उतना भी नहीं कम है और रंग तो गेहुंआ है। 

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नहीं जी, हमारे बेटे को तो मक्खन,मलाई जैसी खुबसूरत और लंबे कद वाली लड़की चाहिए  । हमारे बेटे ने मना कर दिया है। ऐसा करिये, आप मेरी जेठानी जी के बेटे से शादी कर दीजिए, वो भी ठीक ठाक है और एक किराने की दुकान चलाता है।

मेरा बेटा तो इंजीनियर है। 

सपना को लगा जैसे  ऊंचे पहाड़ से किसी ने उसको धक्का दे दिया हो। उसने रोते हुए दीपक को फोन लगाया, भैया, आपने तो उनसे वादा किया था। मैं इसी भरोसे पर आज तक बैठी रहीं हूं।




अब मैं कहां जाऊं ?  क्या करूं ?

दीपक ने दो टूक में ज़बाब दिया, भाभी, मैं कुछ नहीं कर सकता। वो जैसा कह रहीं हैं,उस लड़के से शादी कर दीजिए।बस थोड़ा सांवला रंग है और कद भी कम है।

सपना इस धोखे से उबर नहीं पा रही थी।बस भगवान से प्रार्थना करती रहती।

एक साल बाद दीपक की पत्नी का फ़ोन आया, आपकी बेटी से मेरा बेटा मिलना चाहता है, दिल्ली के किसी स्थान में उन्हें मिलवा दीजिए। हम शादी के लिए तैयार हैं। जल्द ही तारीख पक्की करते हैं।

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सपना ने व्यंग्य भरी मुस्कराहट से कहा, अरे,आपके बेटे को तो मक्खन मलाई जैसी लड़की चाहिए। लंबे कद वाली। तो सुनिए, मेरी बेटी की शादी हो गई है, एक बड़ी कंपनी के जनरल मैनेजर के साथ  , और वो मक्खन, मलाई जैसा खूब गोरा, चिट्टा और लंबे कद वाला है । मुझे बहुत खूबसूरत और नेकदिल वाला दामाद मिला है। जिसने एक भी पैसा लिये बगैर शादी की है। उसने मेरी बेटी के सूरत से नहीं उसकी सीरत से,उसकी काबिलियत से शादी की है। और हां हमें पता चला है कि आपका बेटा इंजीनियरिंग में फेल होकर बेरोजगार बैठा है। दीदी, अभिमान तो रावण का भी नहीं चला तो आपका कैसे चलता ? अभिमान, घमंड तो प्रभु का आहार है। 

बाद में बोलीं, मैं शर्मिंदा हूं, अगर नहीं हुई तो प्लीज़ हां कर दीजिए, नहीं तो छोटी वाली ही मेरे आंचल में डाल दीजिए।

सपना ने व्हाट्सएप पर शादी की फोटो डाली और हमेशा के लिए उनका नंबर ब्लाक कर दिया।

सुषमा यादव  प्रतापगढ़, उ, प्र

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

#अभिमान।

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