एक कोना अपना सा – उमा वर्मा

रिनी का ब्याह बहुत बड़े घर में हुआ था ।माँ, बाबूजी  बहुत खुश हुए ।अब तो रिनी राज करेगी ।परिवारभी  छोटा सा था ।सास ससुर और दो ननद, पति दो भाई ।दोनों ननद और जेठ जी की शादी हो चुकी थी ।सब कुछ ठीक चलने लगा ।छोटी ननद जरा तेज स्वभाव की थी ।किसी से  … Read more

वो जब याद आये तो बहुत याद आये – नूतन गर्ग

किरन के पापा जो उसके सबसे करीब रहे। उनके साथ बिताए आखिरी लम्हे, जो वह कभी भुला नही पाएगी। आज़ भी जब वो मंजर उसकी आंखों के सामने से गुजरता है, तब उसकी आंखों से पानी की बूंदें गालों पर ऐसे पड़ जाती हैं जैसे मोती की बूंदें। वे तो अब इस दुनिया में नहीं … Read more

*संघर्ष अभी शेष है* -सरला मेहता 

” माँ माँ ! अब पापा तो वापस नहीं आएँगे, आप कितने भी आँसू बहाओ। चलिए कुछ खाकर दवाई  ले लीजिए। ” गर्विता, माँ वसुधा को दिलासा देते हुए कहती है।  अभी अभी दोनों लौटी हैं गणतंत्र दिवस  समारोह से। आज गर्विता क पिता शहीद मेजर पुनीत मेहरा जी को मरणोपरांत परमवीर चक्र सम्मान से … Read more

बस्ता – गुरविन्दर टूटेजा

रवि अपने बस्तें में किताबे डाल रहा था पर किताबे कही ना कही से वापस बाहर आ रही थी….ये देख क्लास मे सभी उसकी हँसी उड़ाने लगे तो उसने जैसे-तैसे बस्ता संभाला और घर की तरफ निकल गया…!!!! पर घर जाकर उसने चुपचाप बस्ता ले जाकर एक कोने में रखने लगा तो कला ने देख … Read more

तपस्या – विभा गुप्ता

#बड़ी_बहन          मंच पर उद्घोषक महोदय ने जैसे ही संजीव का नाम पुकारा, पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।सिविल सेवा की परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त कर संजीव ने अपने परिवार का ही नहीं, ज़िले का भी नाम रोशन किया था।इसी खुशी में शहर के एक प्रतिष्ठित सभागार में उसे सम्मानित किया जा रहा … Read more

मम्मी – सोनाली श्रीवास्तव

रात को सोते सोते अचानक फिर अपने गाल पर मम्मा के हाथ का स्पर्श महसूस किया वहीं नरम गुदगुदी मोटे से हाथ वही गर्माहट वही रेशम आंखों से आंसू अपने आप बह निकले। मानों वह  बस हमेशा यूं ही तैयार रहते हैं बरसने के लिए।   पूरे 569 दिन हो चुके हैं मां को गए  पर … Read more

नहले पर दहला – प्रीती सक्सेना

स्वलिखित   हां तो बात बहुत पुरानी है, हम पुत्र जन्म के डेढ़ माह बाद इंदौर आए, एक तो काम करने की कम आदत, अरे बताया तो था, पापा हमारे एसडीएम, थे न, चपरासियों की फौज रहती थी घर में, कुछ तो इस कारण से काम करने की आदत नहीं पड़ी , और हमें ये … Read more

सफर – अनुज सारस्वत

आज काफी दिनों बाद रेल में यात्रा करने का अवसर मिला कोरोना के कारण। स्लीपर का टिकट करा लिया था।मेरी ऊपर की सीट थी शरारती तो हम बचपन से थे तो जूते सहित चढ़ गये मन में शरारत सूजी रख दिये जूते पंखे के ऊपर।ऐसा बचपन में बहुत करते थे तब साधारण कोच ही हमारी … Read more

सयानी बेटी – रीटा मक्कड़

माँ का फोन बंद करने के बाद अंजली सोच में डूब गई। माँ कह रही थी संजना की तबियत आज ठीक नही है ।तुम फोन करके उसका हाल चाल पूछ लेना।बेचारी को सारा दिन काम से फुर्सत नही मिलती।कितना काम करती है ना।ऊपर से घर मे बजुर्ग सास ससुर। कितना थक जाती है बेचारी। संजना … Read more

लिट्टी की नियति – वीणा

आज पार्वती बहुत खुश थी , दिल्ली जो जाना था उसे । बेटे मनोहर ने टिकट कटवा दिया था दिल्ली आने का । कहा था– माँ , मैं डेरा ले लिया हूँ , पर छुट्टी नहीं मिल रही मुझे । रमेसर चचा के साथ तुम गाड़ी से आ जाना , मैं स्टेशन आ जाऊँगा लिवाने … Read more

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